-सुनील कुमार॥आज प्रेम का त्यौहार वेलेंटाइन डे है, और इसके लिए प्रेमी दिलों ने फूलों और तोहफों की तैयारी कर रखी है, दूसरी तरफ प्रेम
Category: साहित्य
मुझे लात मारने से पहले तीन डॉट..
-पंकज के. चौधरी॥ बरसों पहले की बात है। मैं एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहा था। एक बार मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया यह टीचर
रंगा सियार बन बैठा सम्राट ककुदुम ..
-राजीव मित्तल॥ एक समय की बात है. एक सियार किसी हादसे में घायल हो गया. कई दिन तक वह अपनी खोह में पड़ा रहा..जब ठीक
भाषा फ़ाँसी पर नहीं चढ़ती, चढ़ते हैं आप..
-अजित वडनेरकर॥ हिन्दी से खाने, कमाने और नाम हासिल करने वाले गाहे-ब-गाहे हिन्दी को बदनाम क्यों करते हैं ? मंगलेश डबराल को हिन्दी वाला होने
आपके आये या नहीं, रेपिस्टों के अच्छे दिन आ गए..
-विष्णु नागर।। लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार और भाजपा यह सिद्ध करने पर आमादा है कि 19 साल की हाथरस की दलित लड़की के
एचआर तोताराम के चलते टाईम्स समूह का प्रस्ताव ठुकरा दिया..
-ओम थानवी।। 1984 की बात है। राजेंद्र माथुर नवभारत टाइम्स का संस्करण शुरू करने के इरादे से जयपुर आए। पहली, महज़ परिचय वाली, मुलाक़ात में
कोविड पश्चात दुनिया और बहुजन कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी
-प्रमोद रंजन।।कहा जा रहा है कि अगर नए कोरोना वायरस के संक्रमण को कड़े लॉकडाउन के सहारे रोका नहीं गया होता तो मानव-आबादी का एक
गावस्कर का आत्मघाती मजाक खासा महंगा पड़ा
-सुनील कुमार।।हिन्दुस्तानी क्रिकेट के एक बड़े नामी-गिरामी और इज्जतदार भूतपूर्व खिलाड़ी, वर्तमान कमेंटेटर सुनील गावस्कर अपनी एक लापरवाह एक टिप्पणी को लेकर ऐसे बुरे फंसे
नित्यानंद गायेन की एक कविता – राजा से हर मौत का हिसाब लेना चाहिए
नये भारत की सरकारमारे गए नागरिकों की गिनती नहीं करतीमने किसी सरकारी खाते और डेटाबेस मेंकोई रिकार्ड नहीं रखतीदरअसल आसान भाषा में समझ लीजिएकि सरकार
नागरी प्रचारिणी सभा और एक सम्पादक की व्याकुल-चिंता !
-सुधेंदु पटेल|| कवि-नाटयकार व्योमेश शुक्ल ने अपनी फेसबुक पोस्ट ‘एक बवाल हिंदी वालों की जान पर यह भी है’ लिखकर आज मेरी दुखती रग को
अर्नब गोस्वामी की गोदी पत्रकारिता..
अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता पर पुष्पा जिज्जी का व्यंग..
कहीं पे हकीकत, कहीं पे फसाना..
-सुनील कुमार।।हिन्दुस्तान में इन दिनों हकीकत देखनी हो तो कार्टून देखें और अखबारों में खबरें पढ़ें, और फसाने देखने हों तो टीवी चैनलों पर खबरें