महुआ न्यूजलाइन के डेढ़ सौ कर्मचारी निकाले गये
राणा और भुप्पी पर ठीकरा फोड़ दे रहे हैं बेरोजगार हुए कर्मचारी,
प्रद्युत, अमित, पूजा, हेमा, आस्था दीप और अनुराग त्रिपाठी भी पीडि़त
बकाया करो, कैमरे लो: कई कर्मचारियों ने कैमरे वापस करने से इनकार किया
नोएडा मुख्यालय के एचआर में देर शाम तक कर्मचारियों ने किया हंगामा
बड़े तोपचियों ने पहले ही कर्मचारियों तक लीक कर दिया था प्रबंधन का फैसला
-कुमार सौवीर||
दूसरों को नौकरी बचाने की टिप्स देने वाले महुआ न्यूज़ लाइन चैनल के खुद के कर्मचारी अपनी नौकरी नहीं बचा पाए और महुआ समूह को लेकर आशंकाएं आखिरकार सच साबित हुईं। महुआ न्यूज लाइन नामक चैनल बंद कर दिया गया है। करीब डेढ सौ कर्मचारियों को संस्थान से निकाल दिया गया है। देर शाम तक नोएडा मुख्यालय में एचआर विभाग के दफ्तर में इन कर्मचारियों ने हंगामा किया। उधर पता चला है कि प्रदेश के कई मंडल मुख्यालयों पर कर्मचारियों ने इस तालाबंदी की भनक लगते ही अपने दफ्तर में मौजूद सारा साज-सामान जब्त कर लिया है। इन कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनके बकाया देयकों का भुगतान नहीं किया जाएगा, वे दफ्तर का सामान वापस नहीं करेंगे।
बताते हैं कि इस तालाबंदी का फैसला महुआ समूह की पत्नी के आदेशों के मुताबिक किया गया है। समूह के मुखिया पीके तिवारी पर आये ताजा संकट के बीच हुए इस तालाबंदी को लेकर मारामारी मची हुई है। सबसे ज्यादा तो बवाल कर्मचारियों के श्रमविवादों को लेकर है। हालांकि कई मंडल मुख्यालयों में बनाये गये कार्यालयों के सामानों पर भी विवाद खड़ा हो गया है। ज्यादातर कर्मचारियों ने ऐलान कर दिया है कि बकायों का भुगतान नहीं होने तक वे सामान नहीं सौंपेंगे। इन कर्मचारियों का आरोप है कि मौजूदा संकट इस चैनल के दो दिग्गजों ने करतूतों की चलते सामने आया है।
सूत्रों के मुताबिक, महुआ न्यूज लाइन नामक यूपी चैनल के संपादक यशवंत राणा द्वारा इस बंदी का ऐलान छिपे तौर पर किया गया। कहने को तो इस फैसले का चुपचाप लागू करने की कोशिशें की गयी थीं। प्रबंधन का मानना था कि पहले मंडल मुख्यालयों पर मौजूद कैमरा आदि सारा कीमती साजोसामान नोएडा मुख्यालय तक पहुंचा दिया जाए, उसके बाद ही चैनल बंदी के फैसले को जगजाहिर किया जाएगा। लेकिन जानकारियों के मुताबिक ऐसा हो नहीं पाया और प्रमुखों ने अपने खासमखास लोगों तक प्रबंधन का यह फैसला लीक कर दिया।
तीन दिन पहले ही राणा ने सभी ब्यूरो प्रमुखों और कैमरामैन का निर्देश दिया था कि शनिवार 28 जुलाई तक सभी कैमरा-यूनिटों को दिल्ली तक पहुंचा दिया जाये। सूत्रों के अनुसार राणा के निर्देशों के तहत कहा गया था कि पुरानी सभी कैमरा-यूनिटों को मुख्यालय में जमा कराया जायेगा और बदले में नयी यूनिटें उन्हें दी जाएंगी। लेकिन एक कर्मचारी ने बताया कि इस फैसले की गुपचुप जानकारी इन कर्मचारियों को मिल गयी कि कैमरा-यूनिटों की वापसी का मकसद इस चैनल को बंद करना ही है। एक सूत्र ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त में बताया कि यशवंत राणा और भुपेंद्र नारायण सिंह उर्फ भुप्पी ने ही समूह के इस फैसले की जानकारी लीक की थी। कारण यह कि चैनल बंदी से राणा और भुप्पी के कई करीबी लोगों की नौकरी पर गाज गिर रही थी। ऐसे में ऐसे इशारे को भांप कर ही कई ब्यूरो प्रमुखों और कैमरामैनों ने यूनिटें जमा करने से इनकार कर दिया।
आज यानी शाम की दोपहर बाद जब इनमें से ज्यादा कर्मचारी जब नोएडा मुख्यालय पर पहुंचे तो उन्हें कैमरा-यूनिटें जमा कराने के बाद खबर दी गयी कि यह चैनल बंद किया जा रहा है। साथ ही यह भी ऐलान किया गया कि महुआ यूपी न्यूज लाइन चैनल के करीब 140 कर्मचारियों की सेवाओं की जरूरत अब संस्थान को नहीं है, अत: उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। जानकारों के अनुसार फिलहाल नौकरी से हटाये गये एंकर, प्रोड्यूसर और सीपीआर के कर्मचारियों के साथ कई बड़े पत्रकार भी शामिल हैं।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक नौकरी से निकाले गये कर्मचारियों में प्रद्युत खरे, अमित, पूजा, हेमा, आस्था दीप परिवार आदि प्रमुख हैं। कभी इस चैनल के हैड की दावेदारी करने वाले और मौजूद नेशनल ब्यूरो प्रमुख अनुराग त्रिपाठी को भी संस्थान से बाहर निकाला गया है।
बताते हैं कि भुप्पी के करीबी माने जाते गोरखपुर, इलाहाबाद और वाराणसी के ब्यूरोप्रमुख कार्यालय के कैमरामैनों ने अपने कैमरा-यूनिटों को नोएडा मुख्यालय में वापस करने से साफ इनकार कर दिया है। बताते हैं कि इन सभी कर्मचारियों ने साफ तौर पर कह दिया है कि जब तक उनके देयों का भुगतान नहीं किया जाएगा, वे कैमरा-यूनिटों को वापस नोएडा नहीं भेजेंगे।
उधर इतने कर्मचारियों की नौकरी पर अचानक आये इस संकट से भौंचक्के कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया। नौकरी से निकालने जाने की खबर मिलने पर समूह के मुख्यालय में उन कर्मचारियों ने जमकर हंगामा किया। बताते हैं कि मुख्यालय में अफरातफरी का माहौल अभी तक जारी है। हंगामा कर रहे कर्मचारियों ने कर्मचारियों ने इस अपने जानलेवा हमले के लिए सीधे-सीधे राणा और भुप्पी की शुरूआती जुगलबंदी और फिर ताजा संकट को भड़काने का आरोप लगाया है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि इन राणा और भुप्पी ने अपनी करतूतों के चलते ही महुआ समूह को बुरी तरह चूसा है और अब बाद में इतने कर्मचारियों को नौकरी से निकलवा दिया है।