-राजीव खंडेलवाल||
अभी हाल ही में सम्पन्न हुए 13 वे राष्ट्रपति चुनाव में प्रणव मुखर्जी आशा के अनुरूप ही नहीं बल्कि उससे भी अधिक वोट प्राप्त कर जीतने में सफल हुए। उनके प्रतिद्वद्वी पी.ए. संगमा जो अपनी जीत हेतु किसी चमत्कार की उम्मीद रख रहे थे, वह नहीं हो पाया। लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण चमत्कार अवश्य इस चुनाव में देखने को मिला वह यह कि ‘इलेक्ट्राल कॉलेज’ के पंद्रह आदरणीय, माननीय, सम्माननीय सांसद सदस्य एवं 49 विधायकों के वोट अवैध घोषित किये गये। देश में गणतंत्र स्थापित हुए 62 वर्ष हो गये और प्रथम आम चुनाव 1952 में हुआ था। प्रथम राष्ट्रपति का चुनाव 2 मई 1952 को हुआ तब से लेकर आज तक दोनों सदनों संसद व विधानसभा के सदस्यगण (सांसद व विधायकगण) राष्ट्रपति के ‘इलेक्ट्राल कॉलेज’ के सदस्य होकर मतदान करते चले आये है।

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