-मोहम्मद शहज़ाद अब्बासी||
शिक्षा एक ऐसी चीज है जो हर इंसान के लिए इस तरह महत्वपूर्ण है जिस तरह ऑक्सीजन जीवन के लिए जरूरी है. शिक्षा के बिना मनुष्य बिल्कुल जानवर की तरह है यही शिक्षा है जो इंसान को बुद्धि और चेतना के धन से मालामाल करती है और जीवन की हकीक़तों से अवगत कराती है बिना ज्ञान मनुष्य कभी भी सीधी राह पर नहीं चल सकता है. ज्ञान ही मनुष्य को अधिकार की राह की ओर ले जाता है. शिक्षा के महत्व के बारे में लगभग सभी लोग परिचित हैं और इसी कारण कई लोग अपने जीवन को ज्ञान की प्राप्ति के लिए निछावर कर देते हैं और यही वजह है की सभी धर्मों में ज्ञान प्राप्त करने पर काफी ज़ोर दिया गया है.
आज के विकसित दौर में जो भी देश का निर्माण व विकास चाहता है वह अपनी विकास यात्रा में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी भी चाहता है क्योंकि किसी भी देश का विकास व उन्नति में पुरुषों के साथ महिलाओं की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है और जो महिलायें इस भूमिका में हिस्सा ले रही हैं उनका महत्व बिल्कुल इंकार नहीं किया जा सकता है. महिलाएं भी पुरुषों की तरह विभिन्न विभाग और सेवाओं में हिस्सा ले कर देश की सेवा कर रही हैं और उनके बा-मुकाम काम कर रही है और यह केवल इसलिए संभव हुआ है कि शिक्षा के गहने से सुसज्जित हैं’.
वैसे तो शिक्षा व ज्ञान प्राप्त करना हर मर्द और औरत का अधिकार है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्ति ज्यादा जरूरी है क्योंकि उन्होंने आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण जो करनी होती है. आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण में एक पढ़ी-लिखी माँ ही बेहतर हिस्सा ले सकती है. इसलिए उनका शिक्षित होना जरूरी है ताकि वह देश की खुशहाली और स्थिरता में अपनी भूमिका निभा सकें! देखने में आया है कि पढ़ी लिखी माँ अपने बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा और प्रशिक्षण का बेहतर रूप-रेखा तैयार कर सकती हैं और उनका बेहतर खयाल कर सकती हैं जिसकी वजह से उनके बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में जल्दी विकास कर सकते हैं. इसके विपरीत अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी महिलाएं अपने बच्चों की उस तरह परवरिश नहीं कर पाती हैं जिस तरह से परवरिश करनी चाहिए साथ ही उसके बच्चे भी बीमारियों का शिकार रहते हैं, क्योंकि वह स्वास्थ्य नियमों के अनुसार अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर पाती हैं. जबकि पढ़ी लिखी माँ बच्चे की शुरू दिन से ही बेहतरीन ख़याल रखती हैं भोजन उचित देने के कारण वह स्वस्थ रहते हैं.
जब माँ अच्छी परवरिश देकर बच्चों को अच्छी दिशा देंगीं तो हमारा राष्ट्र भी अच्छा राष्ट्र बनेगा जिससे यह बात साबित होती है कि सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र तब बनता है जब माँएं पढ़ी-लिखी, जागरूक और समझदार होती हैं आज जब हर तरफ मीडिया अपने प्रभाव लोगों पर डाल रहा है इंटरनेट, केबल और वीडियो गेम भी बच्चों के चरित्र को बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में एक पढ़ी लिखी और जागरूक माँ ही अपने बच्चों को उनके प्रभाव से सुरक्षित रख सकती है और समय की आवश्यकताओं के अनुसार अपने बच्चों का प्रशिक्षण सही रूप से कर सकती है. क्योंकि शिक्षित होने की वजह से वह अच्छे बुरे की तमीज़ बेहतर कर सकती है जो कि बच्चों को एक अच्छा इंसान और उपयोगी नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होता है हिन्दुस्तान के दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं की साक्षरता दर अफ़सोस नाक हद तक कम है, लेकिन इसकी वजह यह नहीं है कि वहां पर शिक्षण संस्थानों का अभाव है. वहां पर शैक्षणिक संस्थान तो हैं मगर वहां के घर के मुखियाओं में महिलाओं को शिक्षा दिलाने का रुझान नहीं है. घर के मुखियाओं के अनुसार शिक्षा पाने के बाद वह अपने अधिकारों की मांग करने लगती हैं और पढ़ लिख कर परिवार की बदनामी का कारण बनेंगी! इन क्षेत्रों की महिलाएं पूर्ण रूप से शिक्षा और समाज की जानकारी चाहती हैं, लेकिन सामाजिक प्रथा व रिवाज़ और पर्दे के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं और इसके साथ ही घर वाले भी लड़कियों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं देते जो एक चिंतनीय विषय है अब यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह हर हाल में इस पर विचार करे ताकि यह महिलाएं भी शिक्षित हो कर आने वाले भविष्य और समय में आने वाली पीढ़ी को विकसित कर पाए तथा अपनी योग्यताओं को भी प्रयोग में ला सकें.
पिछले कुछ सालों से हिन्दुस्तान की महिलाओं में शिक्षा पाने की चेतना उजागर हुई है. जिसकी वजह से अब पहले की तुलना में काफी संख्या में महिलाएं विभिन्न क्षेत्र में पढ़ाई कर रही हैं और अलग-अलग विभाग में नौकरी कर के देश की सेवा के साथ साथ घरवालों का प्रायोजन कर रही हैं. और देखने में यह भी आया है की घर के प्रमुख के ना रहने की स्थिति में या घर का प्रमुख कामकाज के योग्य ना-रहने की वजह से घर प्रणाली चलाने की जिम्मेदारी भी महिलाएं बा-खूबी संभाल लेती हैं इसके अलावा आज के इस दौर में जब महंगाई की मार हर जगह पड़ रही है कमाने वाला एक और खाने वाले दस हो तो यह जरूरी हो जाता है कि आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए महिलाएं भी पुरुषों के साथ काम करें और यह तभी संभव होता है जब वह शिक्षा के गहने से सुसज्जित हैं क्योंकि बिना शिक्षा के वह किसी भी प्रकार की उत्कृष्ट नौकरी नहीं कर सकती हैं इसलिए हर महिला को जितनी भी हो सके शिक्षा के मैदान में आगे आना चाहिए ताकि कल को किसी भी अप्रिय स्थिति में अपने पांव पर खुद खड़ी हो सकें और किसी पर बोझ न बनें….
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