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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सर्वमित्रा सुरजन॥

तमाम ऊंच-नीच से होते हुए अब तक यात्रा को सफलतापूर्वक कन्याकुमारी से कश्मीर तक ले जाने का कमाल राहुल गांधी ने कर दिखाया है। लेकिन इस मुकाम पर आकर, जब यात्रा चार दिनों की शेष रह गई है और राहुल गांधी श्रीनगर में झंडा फहराने के लिए तैयार हैं, तब बहुत संभल कर चलने की जरूरत है। घाटी का मौसम तो इस वक्त ठंड और बारिश के कारण फिसलन वाला हो ही गया है, सियासत में विरोधियों ने रास्ते में फिसलन के पूरे इंतजाम कर रखे होंगे।

भारत जोड़ो यात्रा 35 सौ किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। जैसा कि हर सफर में होता है, इसमें भी कई तरह के उतार-चढ़ाव, टेढ़े-मेढ़े रास्तों, अंधी गलियों और खतरनाक मोड़ों से सियासी तौर पर कांग्रेस को गुजरना पड़ा। राहुल गांधी तो हमेशा से भाजपा के निशाने पर रहे हैं, जाहिर है इस यात्रा में भी भाजपा को तरह-तरह के दोष निकालने ही थे। और कुछ नहीं तो राहुल गांधी की टी शर्ट, उनके जूतों को लेकर टिप्पणियां की गईं। कई बार महिलाओं के साथ उनकी तस्वीरों को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश भाजपा ने की।

राहुल कब, क्या खा-पी रहे हैं, इस पर भाजपा की नजर थी और बीच में उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर ऐसी तस्वीर भी ट्रोल आर्मी ने दिखाई, मानो राहुल शराब की गिलास लिए बैठे हैं। जबकि असली तस्वीर में गिलास में चाय है। राहुल ने भरी ठंड में स्वेटर-जैकेट नहीं पहनी, तो उसे भी उनकी छवि खराब करने का सबब बना लिया गया। राहुल से नफरत करने वाले कुछ लोगों ने ऐसी भ्रामक सूचनाएं सोशल मीडिया पर डाली कि ये सब ड्रग्स के कारण हो रहा है।

भाजपा ही नहीं असद्दुदीन ओवैसी जैसे वरिष्ठ सांसद और राजनेता ने भी राहुल का नाम लिए बिना जिस तरह उनके लिए जिन्न शब्द इस्तेमाल किया, उससे समझ आता है कि कांग्रेस विरोधी दल किस कदर इसी कोशिश में लगे थे कि किसी भी तरह यात्रा खराब हो जाए, या रुक जाए या राहुल गांधी कहीं कोई चूक करें और वो उसे भुना कर ही यात्रा को बदनाम करें।

तमाम ऊंच-नीच से होते हुए अब तक यात्रा को सफलतापूर्वक कन्याकुमारी से कश्मीर तक ले जाने का कमाल राहुल गांधी ने कर दिखाया है। लेकिन इस मुकाम पर आकर, जब यात्रा चार दिनों की शेष रह गई है और राहुल गांधी श्रीनगर में झंडा फहराने के लिए तैयार हैं, तब बहुत संभल कर चलने की जरूरत है। घाटी का मौसम तो इस वक्त ठंड और बारिश के कारण फिसलन वाला हो ही गया है, सियासत में विरोधियों ने रास्ते में फिसलन के पूरे इंतजाम कर रखे होंगे, उन्होंने अपने औजार कुछ और पैने कर लिए होंगे। ऐसे में सावधानी बरतने में ही अक्लमंदी है।

लेकिन यह देखकर आश्चर्य होता है कि दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को ये बात क्यों नहीं समझ आती। कश्मीर पहुंचकर सर्जिकल स्ट्राइक वाला जो बयान दिग्विजय सिंह ने दिया, उसे सुनते ही अंदेशा हो गया था कि अब इस मुद्दे को भुनाने में भाजपा लग जाएगी। ज्ञात हो कि दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कहा था कि इसमें कई लोगों के मरने की बात कही गई है, लेकिन कोई सबूत नहीं दिया। वे झूठ के पुलिंदों के सहारे शासन कर रहे हैं। इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमलों का सिलसिला शुरु कर दिया।

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पहली बार राहुल गांधी ने कहा है कि वे सेना का सम्मान करते हैं। दिग्विजय सिंह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के साथ हजारों किमी चले हैं, क्या आप उन्हें समझा नहीं सकते हैं। यानी दिग्विजय सिंह की कही बातों के लिए भाजपा ने किसी न किसी तरह राहुल गांधी को ही दोषी ठहराने का कारण ढूंढ लिया।

मध्यप्रदेश में चुनाव हैं तो इसे देखते हुए वहां के नेताओं ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा, ये कभी सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगते हैं, कभी राम के अस्तित्व का सबूत मांगते हैं। यह सेना का मनोबल गिराने का पाप कर रहे हैं। मैं तो राहुल गांधी से जवाब मांगना चाहता हूं कि यह कैसी भारत जोड़ो यात्रा है? टुकड़े टुकड़े गैंग आपके साथ चल रही है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मौके का फायदा उठा कर उन्हें घेरा। और भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और अरविंद केजरीवाल तीनों को अगली सर्जिकल स्ट्राइक में हेलीकाप्टर से लटका कर पाकिस्तान ले जाएं और जहां बम गिरा रहे हों, वहां इन तीनों को गिरा दें। यह बयान अशोभनीय तो है ही, पड़ोसी देश पर संभावित हमले की बात करना भी राजनैतिक शिष्टाचार के विरोध है। लेकिन भाजपा के लिए फिलहाल नेताओं के ऐसे ही बयान लाभदायक हैं, क्योंकि इससे जनता का भावनात्मक दोहन करना आसान होता है।

सर्जिकल स्ट्राइक जब हुई थी, तब भी इस पर कई तरह के विवाद और सवाल उठे थे। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन इसी पर भाजपा को बड़ी बढ़त मिल गई थी। पिछले आम चुनाव में अगर भाजपा ने पहले से अधिक सीटें हासिल की तो उसका एक बड़ा कारण सर्जिकल स्ट्राइक और उस वजह से राष्ट्रवाद का उठा तूफान था। जब कांग्रेस एक बार इस मुद्दे पर जल चुकी है, तो फिर उसे कदम फूंक-फूंक कर रखने चाहिए थे। लेकिन दिग्विजय सिंह का बयान इसके बिल्कुल उलट लगा। अगर अभी चुनाव होते तो शायद यह कांग्रेस के लिए सेल्फ गोल हो सकता था।

कांग्रेस के बाकी नेताओं ने भी शायद यही महसूस किया, इसलिए इस बयान से तुरंत ही किनारा करते हुए इसे उनका निजी बयान बता दिया गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस पर तुरंत सफाई देते हुए कहा था कि यह उनका निजी बयान है और यह पार्टी की विचारधारा नहीं है। इसके बाद जब मंगलवार को राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस की, तो उम्मीद थी ही कि इस पर सवाल उठेंगे और ऐसा ही हुआ। जब राहुल गांधी से सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल उठे तो उन्होंने जवाब दिया कि ‘जो दिग्विजय सिंह ने कहा है, उससे मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं, वो उनका व्यक्तिगत बयान है। हमारी सेना पर हमें पूरा भरोसा है, अगर सेना कुछ करे तो उन्हें सबूत देने की जरूरत नहीं है। उनका बयान निजी है वो हमारा नहीं है।’

राहुल गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे सेना का सम्मान करते हैं और उससे कोई सबूत नहीं मांग रहे। लेकिन जब पार्टी का इस मामले पर पक्ष पहले ही सामने आ चुका था, तो राहुल गांधी अगर केवल कह देते कि कांग्रेस और वे खुद इस बात से सहमत नहीं हैं, तब भी काफी होता। लेकिन यहां राहुल पर अनावश्यक दबाव बन गया या ये कहा जा सकता है कि उन्हें बेवजह दबाव में लाया गया। जयपुर की प्रेस कांफ्रेंस में जब उन्होंने चीनी और भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प पर टिप्पणी की थी, तब भी भाजपा ने उनकी देशभक्ति और सेना के लिए सम्मान पर सवाल उठा दिए थे। हालांकि तब भारत जोड़ो यात्रा का उफान था, और मीडिया में इस मुद्दे को अधिक तूल देने की कोशिशें नाकाम हो गईं। मगर अब तो यात्रा समाप्ति की ओर है और ऐसे में इस मुद्दे को कितना खींचा जाएगा, यह देखना होगा।

वैसे राहुल गांधी या कांग्रेस को अपनी देशभक्ति या सेना के लिए सम्मान का प्रमाण देने की कोई राजनैतिक बाध्यता नहीं है। इस देश का इतिहास कांग्रेस और गांधी परिवार के त्याग और शहादत से भरा पड़ा है। भाजपा अगर किसी सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस को इस मुद्दे पर घेरती भी है, तो कांग्रेस को जवाब देकर उसमें फंसना नहीं चाहिए। बल्कि जनता के बीच जाकर देश के स्वतंत्रता संग्राम और उसमें कांग्रेस के योगदान के बारे में अधिक से अधिक बताने की जरूरत है।

गांधी, नेहरू, पटेल, बोस सबके बारे में तथ्यात्मक जानकारियां जनता खासकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है। इतिहास के जनशिक्षण का यह काम कांग्रेस को कायदे से आजादी के 75 बरसों में खूब कर लेना चाहिए था, लेकिन तब कांग्रेस के नेता अपनी स्वार्थ सिद्धियों में लगे रहे और अब जबकि एक बड़े वर्ग को भ्रमित करने का काम हो चुका है, तब कांग्रेस इस दिशा में काम करना शुरु कर रही है। देर से उठाए गए इस कदम का असर कब तक होगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा ने इस देश के विचार से जनता को काफी हद तक परिचित करा दिया है। राहुल गांधी की अथक मेहनत और प्रतिबद्धता को इसका पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए।

भारत जोड़ो यात्रा की रूपरेखा तैयार करने में दिग्विजय सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई है और उनकी कई तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिसमें वे जोश से राहुल गांधी का साथ देते हुए पैदल चलते नजर आए हैं, थक जाने पर जमीन पर चटाई बिछाकर झपकी लेते दिखे हैं। जब इतनी मेहनत की है, तो फिर उसका पूरा फल मिले, इसकी कोशिश उन्हें और तमाम कांग्रेस नेताओं को करनी चाहिए। पथरीले, बर्फीले रास्ते में हर कदम संभल कर उठाया जाए, तो कारवां सफलता से मंजिल तक पहुंच पाएगा।

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