काश ! स्कूल – कॉलेज के दिनों में या फिर पत्रकारिता में आने के बाद कमर वहीद नकवी जैसा कोई हिन्दी सिखाने वाला होता तो आज मेरी भी हिन्दी ठीक होती . नकवी जी के बारे जितना सुनता रहा हूं और उनसे कई सालों के मेल मुलाकातों के बाद उनके बारे में जो राय बनी है , उसके आधार पर मुझे लगता था कि नकवी जी भाषा पर जबरदस्त पकड़ रखते हैं . लेकिन फेसबुक पर उन्हें पढ़ने के बाद लगता है टीवी मीडिया में तो छोड़िए , प्रिंट …में भी नकवी जी जैसे लोग बहुत कम ही होंगे . टीवी में तो ऐसे भी हिन्दी के मामले में भयंकर दरिद्रता है . ज्यादातर लोग ( जिसमें मैं भी शामिल हूं ) बस काम चलाने लायक हिन्दी जानते हैं लेकिन उन्हें अहसास भी नहीं होता कि वो कुछ नहीं जानते . वो बस काम चलाने लायक हिन्दी लिख लेते हैं और नौकरी करते हुए जिंदगी गुजार देते हैं . लेकिन अपने आपमें डिक्शनरी हैं नकवी जी. मैं कई बार हिन्दी के कुछ शब्दों के इस्तेमाल के वक्त फंसता हूं तो फोन और फ्रेंड का इस्तेमाल करता हूं . रवीन्द्र त्रिपाठी ,राजेन्द्र यादव और शाजी जमां से लेकर अमिताभ (आजतक वाले) तक को फोन करता हूं . अभी हाल ही में मजनू और मजनूं को लेकर मामला फंसा . दोनों शब्दों के पक्ष विपक्ष में लोग थे . कई लोगों को फोन किया लेकिन विवाद कायम रहा . मुहब्बत और मोहब्बत पर भी मामला फंसता है . गूगल की समस्या ये है कि अगर यहां सर्च करें तो आप कभी सही शब्द तलाश लें , जरुरी नहीं
. गूगल पर सही और गलत दोनों शब्द लाखों की तादाद में है . आजतक से रिटायर होने के बाद नकवी जी फेसबुक पर हिन्दी के द्रोणाचार्य बनकर आ गए हैं . आप एकलव्य बनकर उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं और यकीन मानिए नकली जी गुरुदक्षिणा के रुप में आपसे आपकी ऊंगली भी नहीं मांगेंगे. हम जैसे लोग रोज उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं . सच कहूं तो फेसबुक पर नकवी जी के कमेंटस और जवाब पढ़कर मैंने कई शब्दों का सही इस्तेमाल सीखा है और ये भी समझ में आ गया है कि हम हिन्दी वाले कितना कम जानते हुए भी खुद को हिन्दी वाला मानते हैं …अगर आप में से किसी को अपनी हिन्दी पर गुमान है तो एक बार उनके फेसबुक पेज पर घूम आइए , आपको अपनी सीमाओं का भी अहसास हो जाएगा और शब्दों की तंगहाली का अंदाजा भी . आपकी हम सबको बहुत जरुरत है नकवी जी . नए लोगों को तो सीखने को मिलेगा ही , हम जो अबतक नहीं सीख पाए , वो सीख लेंगे …..
नकवी जी के फेसबुक पेज का लिंक: http://www.facebook.com/qwnaqvi
( लेखक न्यूज़24 के प्रबंध संपादक हैं. यह टिप्पणी उनकी फेसबुक वॉल से ली गयी है)
the errors shall become new gide lines to him.