
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के बलिदान को शायद ही कोई भुला सकता है। आज भी देश का बच्चा-बच्चा उनका नाम इज्जत और फख्र के साथ लेता है, लेकिन दिल्ली सरकार उन के खिलाफ गवाही देने वाले एक भारतीय को मरणोपरांत ऐसा सम्मान देने की तैयारी में है जिससे उसे सदियों नहीं भुलाया जा सकेगा। यह शख्स कोई और नहीं, बल्कि औरतों के विषय में भौंडा लेखन कर शोहरत हासिल करने वाले लेखक खुशवंत सिंह का पिता ‘सर’ शोभा सिंह है और दिल्ली सरकार विंडसर प्लेस का नाम उसके नाम पर करने का प्रस्ताव ला रही है।
भारत की आजादी के इतिहास को जिन अमर शहीदों के रक्त से लिखा गया है, जिन शूरवीरों के बलिदान ने भारतीय जन-मानस को सर्वाधिक उद्वेलित किया है, जिन्होंने अपनी रणनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवाए हैं, जिन्होंने परतन्त्रता की बेड़ियों को छिन्न-भिन्न कर स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन पर जन्मभूमि को गर्व है, उनमें से एक थे — भगत सिंह।
यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू ने भी अपनी आत्मकथा में यह वर्णन किया है– “भगत सिंह एक प्रतीक बन गया। सैण्डर्स के कत्ल का कार्य तो भुला दिया गया लेकिन चिह्न शेष बना रहा और कुछ ही माह में पंजाब का प्रत्येक गांव और नगर तथा बहुत कुछ उत्तरी भारत उसके नाम से गूंज उठा। उसके बारे में बहुत से गीतों की रचना हुई और इस प्रकार उसे जो लोकप्रियता प्राप्त हुई वह आश्चर्यचकित कर देने वाली थी।”
लेकिन कम ही लोगों को याद होगा कि भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने वालों में अंग्रेजों का साथ दिया था उनका तन-मन-धन से साथ देने वाले कौम के गद्दारों ने। अंग्रेजों ने तो उन्हें वफ़ादारी का इनाम दिया ही, आजाद भारत की कांग्रेसी सरकार भी उन गद्दारों को महमामंडित करने से नहीं चूक रही। कुछ गद्दारों को तो समाज के बहिष्कार का दंश भी सहना पड़ा, लेकिन कुछ ने अपनी पहचान बदल कर सम्मान और पद भी हासिल किया। आइए डालें एक नज़र ऐसे ही कुछ गद्दारों पर।
जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ गवाही देने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों ने कुछ लोगों को गवाह बनने पर राजी कर लिया। इनमें से एक था शोभा सिंह। मुकद्दमे में भगत सिंह को पहले देश निकाला मिला फिर लाहौर में चले मुकद्दमें में उन्हें उनके दो साथियों समेत फांसी की सजा मिली जिसमें अहम गवाह था शादी लाल।

दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले। शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले जबकि शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति मिली। आज भी श्यामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है।

लेकिन शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफन का कपड़ा तक नहीं दिया। शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था।
इस नाते शोभा सिंह खुशनसीब रहा। उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी। उसके बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु कर दी और बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया। सर सोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी बन गया जो अस्पतालों और दूसरी जगहों पर धर्मशालाएं आदि बनवाता तथा मैनेज करता है। आज दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से जाना जाता था। खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देश भक्त और दूरद्रष्टा निर्माता साबित करने का भरसक कोशिश की।


खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार भी साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या भी की। खुशवंत सिंह ने भी माना है कि उसका पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली मे मौजूद था जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेका था। बकौल खुशवंत सिह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही तो दी, लेकिन इसके कारण भगत सिंह को फांसी नहीं हुई। शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसे कई जगह अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की। खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल सर शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर भी आयोजित करवाता है जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजान बने) उसकी तस्वीर पर फूल माला चढ़ा आते हैं।

अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खुशवंत सिंह की नज़दीकियों का ही असर कहा जाए कि दोनों एक दूसरे की तारीफ में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने बाकायदा पत्र लिख कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से अनुरोध किया है कि कनॉट प्लेस के पास जनपथ पर बने विंडसर प्लेस नाम के चौराहे (जहां ली मेरीडियन, जनपथ और कनिष्क से शांग्रीला बने तीन पांच सितारा होटल हैं) का नाम सर शोभा सिंह के नाम पर कर दिया जाए। अब देखना है कि एक गद्दार का यह महिमामंडन कब और कैसे होता है।
yes galat hai.
सालोँ/सालियोँ,कमीनोँ/ कमीनियोँ तुम जैसे हरामी सरकार को तो तन्दूरी मेँ भूनकर सडक पर घुमने वाले कुत्तोँ को डाल देना चाहिए।
अच्छा नहीं लगा यह सब पढ़कर। लेकिन किया भी क्या जा सकता है। हजारों नाम हैं ऐसे लोगों के जो वतन पर मर मिट गए लेकिन गद्दारों को ईनाम मिले।.
इसका हमें पूरा विरोध करना चाहिए और तो और गद्दार शोभा सिंह के नाम का बोर्ड लगने ही नहीं देना चाहिए उखड फेंको उसे.
CONGRESS KI NEETI AAJ BHI DESH KO TABAH OR DESH BHAKTON KO MITANE KI RAHI HIA PAHLE BHI AAJ BHI BHAGT SINGH JI KO HAMARA NAMAN.
congress bhdwa giri karne lagi hai abhi tak angrezo ka bhot ser se nahi utara isiyliye unko khush kar rahi hai…
congress desh wasiyon ko mehngai ki maar ke saath saath aisi aur kayi cheezo me 'maat' dene wali hai, jo hum angrez sarkar se bhi umeed nahi kerte the 🙁
DASH KE GADDARO KO SAMAAJ KABHE NAHE BHULTA HE – KYUKE, HEREY KE DIL ME TERASKAR KA BHAAV HOTA HE. BANDE – MATRAM – JAI SHRI RAM.
Bhai ye aapne kaha tab pata chala, magar bahut bahut sukriya khulashe ka,
कहीं होंगे भगत सिंह तो कहते होंगे ::: यार सुखदेव , राजगुरु.
हम भी किन नामुरादो के लिए मर गये |.
ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुझ पे दिल कुर्बान………
तू ही मेरी आरजू, तू ही मेरी आबरू, तू ही मेरी जान………..
ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुझ पे दिल कुर्बान……….
खुशवंत के आर्टिकल जिस अखबार में भी आते है, उसमे बस वो आपने अगल बगल में रहने वाली महिलाओं के बारे में ही लिखता है, उन महिलाओ का जिनका
अखबार से कुछ लेना देना नहीं है.
साथ ही साथ ये नास्तिक भी है और नास्तिक होना ही सबसे बड़ा पाप है.
भारत कि सच्ची इतिहास के लिए ( पुरुषोत्तम नागेश ओ़क कि पुस्तके पढ़े )
जिसमे सब कुछ सही लिखा हुआ है.
इन गद्दारों का नाम ही लेना पाप है’
दोस्तों कांग्रेस को निकल फेको इस देश से.
mere desh ka kya hoga jab GADDARO ko Mahimamndit SARKAR karegi.
Shayad we Gaddaro ki Fauj khara karna chahte hai
यह पूरे देश के लिए शर्मनाक स्थिति है। एक तरफ तो आजादी के लिए अपना सब कुछ गंवाने वालों के परिजनों की स्थिति आजादी मिलने के ६५ सालों में बद से बदतर हो गई औऱ दूसरी तरफ देश के ऐसे गद्दार हैं जिन्होंने देश के साथ गद्दारी का ईनाम अंग्रेजों के जमाने में भी पाया और आज भी सत्ता का केंद्र बने हुए हैं। ग्वालियर घराना का नाम देश के ऐसे ही गद्दारों में लिया जाता है जिसकी गद्दारी के कारण रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों से हार माननी पड़ी थी और इस देश में पैर जमाने में मदद मिली थी। आजादी मिलने के बाद भी इस घराने का राजनीति में दखल रहा औऱ देश के लोगों ने इसे स्वीकार भी कर लिया। शायद इतिहासकारों ने सही तरीके से देश का पक्ष रखा ही नहीं। जवाहरलाल नेहरू ने इतिहास लिखने का ठेका कम्युनिस्टों को जो दे दिया था।
एक साल पेले मैने FB per शेयर किया था यह कडवा सत्य, और गुज़ारिश है सिख कमुनिटी से की ऐसे देश द्रोही का नाम हमारी सड़कों पर नहीं होना चाहेये चाहे अंग्रेजो का नाम लिखा रहे अगर मनमोहन जी कुय्च दोस्ताना निभाना चाहते हैं तो अपनी कुर्सी छोड़ डे
its shameful…
कभी हम शाहरुख की अदाकारी पर मर गए.
कभी हम सलमान की बाडी पर मर गये.
कभी हम एश्वर्या की खूबसूरती पर मर गये.
कभी हम करीना के ठुमको पर मर गये.
कभी हम सचिन के छक्के पर ओर कभी धोनी के बालो पर मर गये.
कहीं होंगे भगत सिंह तो कहते होंगे ::: यार सुखदेव , राजगुरु.
हम भी किन नामुरादो के लिए मर गये |.
bahut sahi jankari di he aapne
my name is jagdish bhagat singh look like shaheed bhagat singh and also bhagat of shaheed bhagat singh..main 25 yrs se bhagat basbhusa main hu…main desh main jitne bhi krantikaari hai unke liye kaam karta hu…aur muje iske liye fakaar hai aur gaurav mehsus hota hai…aur ap baat kar rahe hai jin logo ne shaheed bhagat singh se gaadari ki unka desh main bykat karna chaiye..desh main jo uva pidi hai unko sukoon milega….jo karm unhone kiye hai unka karz hum puri zindagi nahi chuka sakte hai…unhi ki wajah se hum chain ki sans le rahe hai…
INQULAB ZINDA BAAD… JAGDISH BHAGAT SINGH
ye hamara durbhagya hai aur bevkoofi ki hum yese GADDARON HATYARON THUG DAAKOOS LAMPATO ko mahimamandeet karate hai.khuswant to example hai ek, aise bhare pade hai.humne 1947 ke baad Muslimleagueeon ko DESHBHAKTA bana liya, 1977 ki emergency wala terrorRAJ lagnewali-1984 me sikho ka massacre karwanewali party ka aaj hindustan me raj hai.videsh me kaala dhan hai, usko bharat NAHI LAANE KA HAR ORDERED TIKRAM KARNEWALA VAYKATI AGLA president ho sakta hai!!KYA PARADOX HAI?
congress party to angrejo ki supporter thi or aaj v hai bidesiyo ke samne sar jhukana congres ki aadat hai. congressiyo ko avoid kiya jana chahiye.
Mera bharat mahan jo kare gaddaro ka samman.
Every Indian should be aware of how loyal is INDIAN govt.
Sahi kaha anil bhai
india me sab kuch ho sakta hai.
every indian having respect for freedom fighters should read this to know this horrrible truth.
Bhai yes hindustan hai. yahan pemana doosra chalta hai. jitna achha kam utna bara inam. Jo bahut achha karega usko goli mar di jayegi.
naveen ji sirf facebook se kaam nahi chalega ye news kisi paper ke front page per be honi chahiye. shame on us.
Govt shuru se hi gadaro ka ssth deti aae hae.
gaddaron ko marna hoga, ab.
khooni khappar bharna hoga.
और इस ‘आरोप’ पर खुशवन्त सिंह का कहना है कि उन्होंने (सर शोभा सिंह ने) सिर्फ़ सच बोला था। सत्य मेव जयते!
पता नहीं ऐसी कितनी कहानियाँ अनकही रह गईं, जिनका बेपर्द होना ज़रूरी था । विशेष कर अंग्रेज़ों द्वारा सम्मानित सभी ‘सर’, ‘रायबहादुर’ व ‘खानबहादुरों’ के इतिहास को खंगालना आवश्यक है । क्या पता कहाँ कौन सा गड़ा हुआ बदबूदार मुर्दा उखड़कर अपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट की राह देख रहा हो ।
thank dear , en kutto aur kamino ko samne lane ke liya thanks. and i hope that u will discover such type of kamine parson.
Mai to janta hi nahi tha ki khushwant singh ka baap ek gaddar hai. Thnx for telling. Mai khushwant ki books bahut padhta tha bt ab se nahi padhunga. Uski sari books jala dunga. Aur manmohan ko to pm ki chair mili rahe . Country chahe bik jaye.
Congress is the badest party.
यह भी एक बेहद शर्मनाक पक्ष है खुशवंत सिंह नामक जीव का – “”उसके पिता ने गवाही नही दी थी! उन्होने सिर्फ़ सच कहा था और अदालत मे उन दोनो की पहचान की थी! क्या सच बोलना भी अपराध है!”” इस मा%॓%॑ऽ को कौन कहे कि देश के लिये हजार पाप भी पुण्य होता है! हजार जाने भी लेनी पडे अपने देश के लिये तो उसका दोष नही लगता है!! पर इस को समझाये कौन! देश का हर सैनिक इसके तरह सच बोलने लगे तो इस के सिर के बाल भी न बचें!
JIS JHUTH SE KISI KA BHALA HOTA HAI VAH JHUTH SACH SE BHI BADAKAR AUR PHIR DESH KI BAT HO TO………………..
जिस सच्चाई से हमलोग अनजान थे उसे सामने लाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.खुशवंत सिंह के लेखन से ही प्रतीत होता है की वे अंग्रेज और अंग्रेजियत के सबसे बड़े पैरोकार है.लेकिन हमें ये पता नहीं था की ये उनका वंशानुगत गुण है.चलिए देर से ही सही एक गद्दार तो चिन्हित हुआ.
क्रोंग्रस सर्कार हाय हाय……………
क्रोग्रस सर्कार हाय हाय…………………….
ये इस देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे कुत्तों को अभी तक हड्डी डाल रहे हैं. हो सकता है कि जनता की जानकारी में अब तक ये बात न हो. मगर जब पता ही चल गयी है तो जनता तो थूकेगी ही, मै भी थूकता हू ऐसे देश द्रोहियों पर.. देश की अस्मिता से खिलवाड़ का अंजाम मकबूल हुसैन ने भी देख लिया कि अपने वतन में दो गज जमीन तक न मिली… अब बारी है खुशवंत सिंह की, और अब बारी है जनता की कि ऐसे गद्दारों का क्या अंजाम करना है , इसका फैसला अपने हाथ में ले………..
Shrinagar ke laaal chowk ka naam ”Afzal chowk” aur mumbai ka naya naam ”Kasaabai” prastav sansad me monsoon satra me paarit karvana sarkaar ki prathmikta hai.
Ye kya ho raha hai MAN MOHAN DAS mutti bhar RAJA hain 120 crore DAS ………JO 120 crore janta ko maan nahin de sakta WO Shaheed BHAGAT SINGH JI ko kya dega……………..
ये तो पता ही नहीं था ……खुशवंत सिंह को कई बार पढने की कोशिश करता था ….पर समझ में ही नहीं आता ….खाली बकवाश ///////// इन गद्दारों को देश कभी माफ़ नहीं करेगा …….”देर है ….अंधेर नहीं ” …..हिसाब होगा ….और एक -एक बात का हिसाब होगा ///
is tarah count karenge to sindhia family ko kha bhul gaye jisne angrejo ke sath milkar Rani Laxmibai ko marvaya tha. Puri congress party hi gaddaro ki hai.
sarkar or khushwant singh dono ke liye hi bohat shrm ki baat hai..
मिडिया आज भी गद्दार शोभा सिंह को सर कह रह हैं मुझे ताज्जुब हो रहा हैं। अंग्रेजो के दिए गए उपाधी को अब तक ढोने में लगा हुआ हैं अगर दिल्ली सरकार विंडसर पैलेस का नाम शोभा सिंह रखती है तो रखे हम उसे गद्दार शोभा सिंह चौक के नाम से जानेगें।
achcha hota sarkar sadakon ki vasiyat mahpurushon ke naam na kare aur jo kar diya hai unko vapas le le. phir jitane gaddar hai unke naam sadakon ki vasiyat karde jisase log unke naam ko paron tale raunde, behichak thuke, mal-mutra ka tyag karein aur unki karni ka phal pradan kare
ye aap ne bhot hi achaa mudda uthaaya hai,, is par sab ko najar karni hi chahiye or is mudde ki jad tak jana chahiye,,,ye ek sharam ki baat hai ye hamare desh ki baat hai ,,,
शर्म की बात है देश के गद्दारों को कांग्रेस सरकार सम्मान दे रही है हम सब भारतीयों को इसका विरोध करना चाहिए और सरकार में जो गद्दार नेता घुस आये है वही गद्दारों को सम्मान दिलवा रहे हैं उन्हें समयं आने पर जनता को सरकार से बहार का रास्ता दिखा देना चाहिए
vatan ke gaddaro ka samman hoga or netaji apne vote bank ki khatir kuch bhi karenge….sharm karo gaddaro …..
हम लिखेंगे और देश के नेता उसे वह सम्मान भी दे देंगे | सभी कइ बलिदानों पे पानी फेर दिया इन नेताओ ने. इनके घर से कोई मरे तो इन्हें पता हो न | ये सिर्फ असी करो में घूमते हे जनता को कितना दुःख होता ह इन्हें क्या पता
बहुत शर्म की बात हे शहीदों को याद करने का टाइम नही और चले हे गद्दारों को हीरो बनाने|
बहोत अफ़सोस की बात है के हमारी सरकार ऐसे लोगों को सम्मानित कर रही है जिन्हों ने उन के साथ ग़द्दारी की, जिन्हों ने अपने खून से इस धरती का तिलक किया, बड़े शर्म की बात है, लेकिन हमारी ये सरकार तो शर्म को घोल कर पी गई है, इस चिकने घड़े पर अब किसी भी लानत मलामत का कोई भी असर नहीं होता है
sardar shobha singh has brought a disgrace on a (genius son) & on the nation.
the honor to Khushwant singh’s father should be given by Britishers not by Indian government or we the Peoples’ of India should identify the real Britisher’s, and kick them out.
I should congratulate to Manmohan Singh that at least he dared to show his real face.
Shame on khuswant singh neither he couldn’t prove himself as good thoughtful writer nor Indian and even not best human being.
desh k gaddar hi raja bane hai. gaddar ka beta pure desh ko nasihat de raha hai. ye hamara durbhagya hai.
सरदार मनमोहन सिंह जी भी तो इंग्लैंड में जाकर कह चुके हैं कि प्रशासन की सीख पाने के लिए हम अंग्रेजों के क़र्ज़दार हैं !अंग्रेजों के ये वफादार अंग्रेजों के चमचों- जासूसों केनाम पर सडकों केनाम नहीं रखें तो विदेशी मैडम खुश कैसे होंगी और सरदारजी ठोकर से ठाकुर कैसे बने रहेंगे !
jab ek naukarshah desh per raj karega to usase kitani samajhdari ki ummid aap kar sakte hain, waise bhi manmohan ko bhi aise hi taj mila hai, aap samajh rahen honge hum kahana kya chahate hain, aur ye khushwant jo radia ki chelin barkha ke liye kashide padhta hai,kuchh mat kaho nale me khud girkar marega.
अबकी बार कसाब के दोस्तों !!! आपसे गुजारिश है की हमला किसी नेता पर न कर पाओ तो अभिनेता के घर पर जरुर कर देना ,,,,,,ड्रामाबाज़ तो दोनों ही हैं ……किन्नर इनसे लाख दर्जे बेहतर हैं
Ram Ram Raaaaaaammmmmmmm
ऎसे बेहया लोगों से उम्मीद भी क्या की जा सकती हॆ?
बहुत ही शर्मनाक!
एक बिजूके (क्रो स्केयर बार )को प्रधान मंत्री बनाने का नतीजा है यह ,यहाँ गद्दारों का सम्मान ,दही -भात ,आतंकियों को बिरयानी और संतों को सलवार मिलती है .यह देश है वीर जवानों का ….
सहभावित कविता :वोट मिला भाई वोट मिला है .-डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश ,सह- भाव :वीरेंद्र शर्मा .. वोट मिला भाई वोट मिला है ,
सहभावित कविता :वोट मिला भाई वोट मिला है .-डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश ,सह- भाव :वीरेंद्र शर्मा ..
वोट मिला भाई वोट मिला है ,
पांच बरस का वोट मिला है .
फ़ोकट सदन नहीं पहुंचें हैं ,जनता ने चुनकर भेजा है ,
किसकी हिम्मत हमसे पूछे ,इतना किस्में कलेजा है .
उनके प्रश्न नहीं सुनने हैं ,हम विजयी वे हुए पराजित ,
मिडिया से नहीं बात करेंगे ,हाई कमान की नहीं इजाज़त ,
मन मानेगा वही करेंगे ,मोनी -सोनी संग रहेंगे ,
वोट नोट में फर्क है कितना ,जनता को तो नोट मिला है ,
वोट मिला भाई वोट मिला है .पांच बरस का वोट मिला है .
हम मंत्री हैं माननीय हैं ,ऐसा है सरकारी रूतबा ,
हमें लोक से अब क्या लेना ,तंत्र पे सीधे हमारा कब्ज़ा ,
अभी तो पांच साल हैं बाकी ,फिर क्यों शोर विरोधी करते ,
हिम्मत होती सदन पहुँचते ,तो शिकवे चर्चे कर सकते ,
पर्चा भरने की नहीं कूव्वत ,फिर क्यों व्यर्थ कहानी गढ़ते ,
वोटर ही तो लोकपाल है ,हममें क्या कोई खोट मिला है ,
वोट मिला भाई वोट मिला है ,पांच बरस का वोट मिला है .
भगवा भी क्या रंग है कोई ,वह तो पहले भगवा है ,
फीका पड़ा लाल रंग ऐसा ,उसका अब क्या रूतबा है .
मंहगाई या लूट भ्रष्टता ,यह तो सरकारी चारा है ,
खाना पड़ेगा हर हालत में ,इसमें क्या दोष हमारा ,
जनता ने जिसको ठुकराया ,वह विपक्ष बे -चारा है ,
हमको ज़िंदा रोबोट मिला है ,वोट मिला भाई वोट मिला है ,
पांच बरस का वोट मिला है
बेहद शर्मनाक. हमारी आज़ादी के उन बहादुरों का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है, उन वीरों के सम्मान की जगह एक देशद्रोही के नाम पर एक इमारत का नाम रखना, सरकार की इन वीरो के प्रति उदासीनता को स्पष्ट रूप से सामने लाती है|
आज हमारी सरकार को ज्यादा जरुरत अपने खूफिया एवं सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की है, जिनके आभाव में सैकड़ो निर्दोषों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है| उस पर दिग्विजय जैसे नेता अपनी घटिया वयान वाजी से देश की जनता की दुखती राग पर हाथ रख रहे हैं, और वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब अपनी नीतिओं की वजह से ही वर्तमान सरकार अपने मुंह की खाएगी|
पर सरकार का ये कदम अत्यंत निंदनीय है, और एक देशभक्त एवं जागरूक भारतीय होने के नाते, मैं इसकी पुरजोर निंदा करता हूँ.| दिल्ली की जनता को एक देशद्रोही और देशभक्त में अंतर पता है, और मैं समझता हूँ, सरकार के लिए इस इमारत का नाम शोभा सिंह के नाम पर रखना इतना आसन न होगा|
Thodi samvedana to Badhiko me bhi hoti hai , hamare man-niya pradhanmantri ji kis mati k bane hai pata nahi ! Madam aur Rahul k liye imandar hai to sab thik hai !
It will be a matter of great national shame if this is allowed to happen. It will also amount to betraying those who sacrificed their lives for the cause of India’s Independence.
sarkar ko chahiye ki sab jaghon se bhagat singh ka nam hata kar shobha singh ka nam likh de!
rashtradrohi ka samman rashtriya apmaan mana jana chahiye. iske khilaf aawam ko aawaz buland karana hoga. yadi aisa huaa rahaa to desh bhakt -shahido ka kya hoga….? virodh me uth khade hone ki jarurat hai… yahi vikalp hai… samman ka samman bana rahe.. samman apaatra ke paas jakar apmanit naa mahsoos kare…
sabhi dag ache nahi hote chahe jis detrejant se dhoye jai. main khuswant singh ke lekh pada karta tha, lakin ak dashdrohi ka ladka………shame..shamem
अब क्या कहे , ये कहावत युही नहीं लिखी गयी होगी … हँस चुगेगा दाना तिनका , कौवा मोती खायेगा ….. इस कहावत के येही सार लगते हैं …. बहुत बहुत धन्यवाद इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिये ….
Dosto
Jo Log Angrejo ki chaplusi karte the aaj wo he desh ko chalane wale hai. Jaise kabhi angrejo ne Aam Bhartiya Janta ke bare main nahi socha to Ye Gaddar kya desh aur Desh ki Janta ke bare main socheneg 🙂
ये कांग्रेस पार्टी एक दिन देश को बेच देगी और धीरे-२ बेच रही है | ये साले शुरू से भ्रष्ट रहे है इनके खून में है, ये देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने काम कर रही है |
देश के नेताओ की कर्तुते हमेशा से ही देश के लोगो को शर्मिंदा करती रही है, आज ये नेता उन शहीदों को अपमानित करने से भी नहीं चुक रहे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी, कांग्रेस सरकार ने अपने हित के लिए कभी देश की परवाह नहीं की,देश के दुश्मनों का साथ दिया है, अब तो देश में क्रांति होगी तभी ऐसे भ्रस्त और गद्दार नेताओ का सफाया हो सकेगा.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है…इससे पहले सिंधिया परिवार भी इसी श्रेणी मैं आते हैं…..
hum sirf yahan likh kar rah jayenge aur woh sammanit bhi ho jayenge. durbhaagy
Sharmnaak hai….
यह दिल्ली है दोस्त
मेरे तुम्हारे गर्म ताज़ा और देसी लहू को
खौलते तेज़ाब में बदल कर
पूरे देश की शिराओं में धकेलती हुई
यह दिल्ली है दोस्त
इसे देखो ..गौर से देखो
पर छूना मना है
पढ़ो
इन बुलंद इमारतों के
छज्जों पर टंगी भाषा को पढ़ो
दलाली इनमें सबसे प्रमाणिक अक्षर है
इस शहर के पांचतारा तंदूरों में
सिर्फ लकडियाँ ही नहीं जलतीं
बीमार दिल सी
लगातार फैलती इस दिल्ली को
दिल के डाक्टर की अविलम्ब जरूरत है !
यद्यपि ये इतिहास बन चूका है परन्तु फिर भी राष्ट्रीय भावना हेतु ऐसा नामकरण न करें तो अच्छा होगा क्योंकि यह कोई आवश्यक भी नहीं और न ही कोई इसकी मांग कर रहा है.
YDI GADARO KO SMANIT KATI HAI SARKAR TO JANTA Kabhi maf nahi kregi……sawdhan ho jay sarkar…..!!
It is really hurting
Its a matter of shame for whole india. Very few people know about it.लानत है ऐसे देश की जनता और शासक की जहाँ देश के गद्दारों को सम्मान दिया जा रहा
Achha hoga Khushwant Singh uss road ka naam Shaheed Bhagat Singh ke naam karwa kar apne pita ki gaddariyon se mukti paaye…
खुशवंत सिंह के पिता सर सोभा सिंह उस समय सेंट्रल असेम्बली की गैलेरी में ही थे जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली में बम फेंके थे. सोभा सिंह ने इसीलिए गवाही भी दी थी. यह तथ्य मेरी पुस्तक ‘भगत सिंह: इतिहास के कुछ और पन्ने’ के पृ. 56 पर भी पढ़ा जा सकता है.
bahut achi jankari sajha ki hai.gaddaron ko inaam dene ka riwaz to hai hi…
this is true and Mr.Khuswant Singh has the guts to say that his father should be honoured for his contribution in building Delhi by naming a road after him.
yah to sansanikhej khabar hai. chullu bhar pani mein doob marna chahiye gadaro ko samman dene valo ko.Gaddaro ka sath dene wala desh ka dushman hai.
kamaal hai ……… heezdi sarkaar se or kya apeksha karte hain aap….?
इसी बात का तो रोना है कि हमारे देश मे सिर्फ़ गद्दारो और आतंकवादियो को ही पूजा जाता है या कहिये कि जो खुद गद्दार है उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है…………अब चाहे मुंबई हिले या दिल्ली वहां हमले होते है तो होने दो आखिर गद्दार ने हमेशा गद्दार का ही तो साथ दिया है तो ऐसे मे ऐसी सरकार और उसके चमचो से और क्या उम्मीद की जा सकती है?
इसे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी एक भारतवासी के लिए … मुझे ये बात पता नहीं थी .. मैं आज और अभी से खुशवंत सिंह की किताबों का बहिष्कार करूँगा …
इस मसले को आम लोगों के समक्ष उठा कर आपने प्रशंसनीय कार्य किया है. खुशवंत सिंह भले ही एक अच्छे लेखक हों, लेकिन उनके मरहूम वालिद को उनके राष्ट्रविरोधी कार्यों के लिए हरगिज़ मुआफ नहीं किया जा सकता. अगर सरकार सच ही उनका सम्मान करने के लिए आतुर है तो कहना पड़ेगा की हमारा देश अभी आज़ाद नहीं हुआ है और अंग्रेजों के गुर्गे अब भी हम पर हावी हैं.
congress government has never given any award to true freedom fighter.congress is duplicate of british rulers.
aaj kal hum sab ek gulam ki jindgi ji rahe hai…fark itna h pehle Angrej the ab Govt hai…..roj hum corruption k baare me media se sunte h lekin such poocho to hume pata hi nahi k koun sahi hai aur koun corrupt… Iss tarah bina jaane kisiko blame karne se behtar hai ki……we should strongly recommend One Man Rule in India..taki hume ye to pata ho ki hume kis gaddar ko Maut k ghaat utarna h…..Jai Hind
धन्यवाद, मुझे मालुम ही नहीं था की “खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी”.
इसीलिए खुसवंत सिंह काफी समय तक कांग्रेसियों की हाँ में हाँ मिलाते रहे हैं. आखिर एक गद्दार (खुसवंत सिंह का परिवार) दुसरे गद्दार (कांग्रेस पार्टी) के साथ ही जाएगा.
लानत है ऐसे देश की जनता और शासक की जहाँ देश के गद्दारों को सम्मान दिया जा रहा है …
hum sabko iske khilaaf awaaz uthani hogi or is chor ko chor prove karna hoga
today we common people are feeling helpless..n this UPA govt is making the country a hell….we common people of this great nation must unite and take pledge that UPA shouldn’t come again to rule…
कांग्रेसियों की परम्परा है गद्दारी करना और गद्दारों को सम्मानित करना, बेवकूफ तोह वोह हैं जो बार बार इसे चुनते हैं., खुशवंत सिंह तो औरतों का भोगी है,दलाल है,जो अख़बार उसे छापते है उनकी देशभक्ति भी शक के दायरे में राखी जनि चाहिए.
plz educate people about this matter otherwise after that we feel guilty.share with every one.
hum aasaissa nahi honay degayyyy.
shahid bhagat singh was not only one of the powerful revolutionaries of his time but also the most influential person among youngsters ….this is an insult and a black mark not only to the sikh community but to all indians……the above article shows that the sweat & blood poured by the legend is unnoticed & the others r enjoying …..decision should be made quickly whether to pay a” tribute” or making their tribute a fun……..
पता नहीं इस बुड्ढे खूसट गद्दार के बेटे खुशवंत को क्यों अखबार वाले इतना भाव देते है उसकी बकवास छापकर|
shame…………………………………………………………………
Its a matter of shame for whole india. It proved that “VIBHISHAN TOH HAR LANKA MEIN HOTA HAI.”
Shame on you shobha singh.
Its a matter of shame for the entire Sikh community as Khushwant Singh had compared Five builders of Delhi as “Panj Pyare” – the five beloved after the first five followers of the last Sikh Guru Govind Singh including his father – Shobha Singh. The others were Basakha Singh, Ranjit Singh, Mohan Singh and Dharam Singh Sethi (Read – Give the builders of New Delhi their due, Hindustan TimesJuly 10, 2011, Page No. 15, Delhi Edition). He has also mentioned that “the British gave them due credit by inscribing their names on the stone slab”. Now, its high time for the people of this country to decide “whom to be honoured?”