–कुमार सौवीर||
हां, फर्क तो है ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के लोगों और उनकी वैचारिक-सोच के पायदान पर। कोई किसी निर्दोष को मौत के कगार तक पहुंचा देता है तो कहीं किसी की हल्की सी चोट को खुद अपने दिल पर महसूस कर लेता है। बसपा सरकार के अवसान और सपा सरकार के सूर्योदय के समय-अंतराल में हुई दो घटनाओं में सत्ता के टूटने-जोड़ने में साफ तौर पर देख-महसूस किया जा सकता है।
तो पहले चर्चा कर ली जाए एक मर्मांतक हादसे पर, जहां सत्ता की बेलगाम सत्ता ने साफ-स्याह के बीच सारा फर्क ही खत्म डाला था। करीब डेढ़ साल पहले यह घटना लखनऊ के कानपुर रोड पर हुई थी बसपा सुप्रीमो और जब मुख्यमंत्री रहीं मायावती का काफिला हवाईअड्डे से लखनऊ की वापसी में फर्राटा भर रहा था। वीआईपी रोड पर आगे बढने से चंद सैकड़ा मीटर पहले ही मायावती दिल्ली से लौटते समय कार से बैठी हुई थीं। करीब ढाई दर्जन गाडि़यों के इस काफिले को सायरन बजाती पुलिस की गाडि़यों ने चारों ओर से घेर रखा था। कानपुर-लखनऊ मार्ग के इस पूरे इलाके पर पुलिस के आला अफसरों ने ट्रैफिक बंद रखा था। मायावती की सुरक्षा के नाम पर सायरन बजातीं इन गाडि़यों एक-दूसरे को ओवरटेक कर रही थीं।
इसी बीच तब के अपर पुलिस महानिदेशक एके जैन की गाड़ी ने सड़क के किनारे पर एक स्कूटर को रौंद डाला। इस स्कूटर पर दो वृद्ध नागरिक मुख्यमंत्री के इस काफिले के गुजरने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस हादसे में इन दोनों बुजर्गों को गंभीर चोटें आयीं, लेकिन मायावती का कारवां फर्राटा भरते हुए निकल गया। काफिला निकलने के बाद दोनों घायलों को एक स्थानीय अस्पताल पर पहुंचाया गया, जहां घायलों की हालत गंभीर बताते हुए मेडिकल कालेज रेफर दिया गया। यह चोट इतनी ज्यादा थी कि मेडिकल कालेज में इनमें से एक बुजुर्ग की एक टांग काटनी पड़ी थी। डाक्टरों का कहना था कि यह घटना के फौरन घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया होता तो वृद्ध की टांग बचायी जा सकती थी।
हैरत बात तो यह थी कि काफिला के गुजरने के बाद भी पुलिस मौके पर पहुंची थी। नागरिकों के हस्तक्षेप के बाद से ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया था। हालांकि बाद में एडीजी एके जैन मेडिकल कालेज पहुंचे थे और बाद में गंभीर रूप से घायल इस बुजुर्ग को दस हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने का मदद की कोशिश की थी, लेकिन इस वृद्ध की बेटी ने इस मदद को कड़े शब्दों में ठुकरा दिया था। पुलिस की गैरत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तब पुलिस ने इस मामले को दर्ज तक नहीं किया था।
अब चर्चा एक ताजा एक घटना पर, जहां बीते गुरूवार यानी 20 जून को पूर्व केन्द्रीय रक्षामंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का काफिला दिल्ली रवानगी के लिए हवाई अड्डे की ओर कानपुर रोड की ओर बढ रहा था। मुलायम सिंह यादव हवाई अड्डे से पहले मोड़ पर जैसे ही काफिला गुजरा तो उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति सड़क पर गिरा पड़ा था। घायल की साइकिल से गिरे केन से दूध बह रहा था।
यह देखते ही श्री यादव ने फौरन अपनी गाड़ी रूकवा दी। काफिला भी रूक गया। घायल व्यक्ति की पहचान माडल सिटी, पारा, बुद्धेश्वरन निवासी सुलेमान पुत्र सूबेदार के तौर पर हुई। बातचीत के बाद श्री यादव ने अपने निजी सचिव अरविन्द यादव से घायल को आर्थिक मदद दिलवाई। सुलेमान को उम्मीद नहीं थी कि उसके साथ कोई बड़ा नेता इस मानवीय तरीके से पेश आएगा और उसकी परेशानी पर ध्यान देगा। वह अवाक था।
सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक यह घटना छोटी थी। आए दिन ऐसा अक्सर होता रहता है। लेकिन श्री यादव ने संवेदनशील नेता की भूमिका तो निभाई ही।
लो, मैं फिर हो गया बेरोजगार।
अब स्वतंत्र पत्रकार हूं और आजादी की एक नयी लेकिन बेहतरीन सुबह का साक्षी भी।
जाहिर है, अब फिर कुछ दिन मौज में गुजरेंगे।
मौका मिले तो आप भी आइये। पता है:-
एमआईजी-3, सेक्टर-ई
आंचलिक विज्ञान केंद्र के ठीक पीछे
अलीगंज, लखनऊ-226024
फोन:- 09415302520
thank`s friend`s
is prakar ki tamam misale neta ji ne di jinhe me janta hu neta ji ke pass hi mera gaun hai unke va unke pariwqr ke bare me bahut kuchh janta hu koi bhi jankary hetu mujhe contect ker sakte hai,, 08285121464.