


रोहतक के अपना घर के बच्चों और महिलाओं के यौन शोषण में आला नेता और उच्च अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो इस प्रकरण को पहले ही रोका जा सकता था और अपना घर की संचालिका जसवंती देवी नरवाल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाने में देरी नहीं की जाती. यह आरोप लगाया है, समस्त भारतीय पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती नीलम अग्रवाल ने. श्रीमती नीलम अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ को इस बारे में एक ज्ञापन भेजकर चेताया है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह जिला और उनका अपना निर्वाचन क्षेत्र होने से रोहतक में होने वाले किसी भी बड़े अपराध की जानकारी मुख्यमंत्री को ना हो, ऐसा मानना बचकाना बात होगी.



श्रीमति नीलम अग्रवाल द्वारा उठाये गए इस मुद्दे में काफी दम नज़र आता है. दरअसल अपना घर नामक अनाथालय में पुलिस वालों, अधिकारियों और नेताओं द्वारा बालिकाओं के साथ लगातार हो रहे बलात्कारों के इस पूरे मामले में हरियाणा सरकार ने जिस तरह से चुप्पी साधी है और मामले की लीपा पोती की जा रही है, उसके के पीछे गहरे राज़ छिपे हैं. गौरतलब है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पत्नी श्रीमती आशा हुड्डा, मार्च महीने में ही अपना घर की संचालिका जसवंती देवी नरवाल को गरीब, विधवा, बेसहारा, अनाथ बच्चों व महिलाओं के कल्याण एवं पुनर्वास के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर (सब सामने आ चुका है कि कैसा और किसका कल्याण कर रही थी) हरियाणा में महिलाओं को दिए जाने वाले इस सबसे बड़े इंदिरा गांधी अवार्ड से इसकी स्थापना के तुरंत बाद अपनी इस सखी को सम्मानित कर चुकी हैं.
अब मुश्किल ये है कि इस जगजाहिर दोस्ती से पल्ला झाड़ना इतना आसान भी नहीं. सांप के मुहं में छछूंदर जैसी हालत है हुड्डा की. इसी चक्कर में माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि वैसा कुछ नहीं है जैसा सामने आ रहा है और इस पूरे मामले को रफा दफा करने कि कमान संभाली है हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास सिपहसालार सुन्दरपाल सिंह ने. हरियाणा के सभी पत्रकारों को सरकार के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों के हश्र की याद दिलाई जा चुकी है जिसके चलते हरियाणा के स्थानीय पत्रकार अपनी जान गंवाने या किसी झूठे मामले में जेल यात्रा करने के बजाय चुप्पी साध लेने में ही अपनी भलाई मान रहे हैं. मीडिया दरबार के एक संवाददाता ने जब रोहतक के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से इस मामले की टोह लेनी चाही तो वे लोग पहले तो इस मामले को हलके तौर पर लेते नज़र आये मगर जब उन्हें ज्यादा कुरेदने का प्रयास किया गया तो उनके चेहरे पर उभरी डर की रेखाओं ने जैसे सारी कहानी बयाँ कर दी, जो कि हमारे ख़ुफ़िया कैमरे की जद में कैद हो गए.
यदि इस मामले की मोनिटरिंग उच्च न्यायालय द्वारा नहीं की जा रही होती तो यह मामला कभी का दफ़न हो चुका होता मगर दुर्भाग्य हरियाणा सरकार का कि मामला दबने की बजाय ज्वालामुखी का रूप लेता जा रहा है. बस देखना ये है कि बलात्कार की पीड़ा से तडपती उन बच्चियों की बद्दुआओं में ज्यादा दम है या उनका बलात्कार करने वाले पुलिस अधिकारियों, राजनेताओं और बलात्कार करवाने वाली जसवंती को सम्मानित करने वाली हस्तियों में.
Jo jesa karta hai vesa to bharna padega.
NICE COLLECTION
mera bharat mahan