इसे अश्लीलता न समझा जाए। ये घटना अनुपपुर जिले के कोतमा थाने पर एस.डी.ओ. पुलिस एवं 10 स्टाफकर्मियों ने मिलकर इस कारगुजारी को अंजाम दिया है ! कोतमा एस.डी.ओ. पुलिस एवं 10 स्टाफकर्मियों ने मिलकर पत्रकार अरूण को बेरहमी से पीटा है, जिससे समस्त पत्रकारों में रोष व्याप्त है। इस बर्बरता पूर्वक किये गए कृत्य से देश की देशभक्ति एवं जनसेवा की नीति शर्मशार होती है ! पत्रकार साथियों ने इस कृत्य की भर्त्सना करते हुए उच्चस्तरीय जाच की भी मौखिक मांग की है।
कहा जाता है कि लोकतंत्र का चौथा खंभा पत्रकारिता है। हिटलर भारी भरकम सेना से नही डरता था बल्कि वह एक पत्रकार से डरता था। भले कागजों पर ये भारी-भरकम कथन भारी लगें प्रेऱणा देते हों लेकिन पत्रकारों का काम आज भी कितना जोखिम भरा है इसका अंदाजा इस दास्तान से हो जाता है। अस्पताल के बिस्तर पर घायल नजर आ रहा दर्द और गम से तड़प रहा यह शख्स है अनूपपुर जिले के कोतमा का पत्रकार अरुण त्रिपाठी। अरुण का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने एक सवाल किया। एक सवाल के जवाब के निशान आप उसके शरीर पर साफ देख सकते हैं। शरीर का कोई अंग शायद ही साबुत बचा हो जिस पर जख्म न हों।
जख्म शरीर पर जितने हैं उससे ज्यादा शायद दिल में और मन में हैं। अरुण का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने अनूपपुर जिले के कोतमा के एसडीओपी के एल बंजारा से एक सवाल कर अपने कर्तव्य का निर्वाह किया। पत्रकार की यह हिमाकत खाकी के गुरु को रास नहीं आई, और न सिर्फ पत्रकार की पंचिंग बैग की तरह जमकर धुनाई की गई बल्कि उसे विवश किया गया अभक्ष्य चीज खाने के लिए। जी हाँ, पत्रकार को थूक चाटने को विवश किया गया। अब आपको बता देते हैं इस हैवानियत के नंगे नाच की वजह।
वजह सिर्फ एक सवाल साहब को इस पत्रकार की जुर्रत रास नही आई। साहब अपने मातहतों के साथ मिलकर किसी भेड़ियों के दल की तरह टूट पड़े। दरअसल, एक अखबार के स्थानीय संवाददाता अरुण त्रिपाठी एक महिला के साथ थाने गए हुए थे। इस महिला की बेटी की लाश एक लॉज में लटकी मिली थी। इस संबध में महिला को बुलाकर पूछताछ की जा रही थी। परिजनों का आरोप है कि यह मामला आत्महत्या का नही बल्कि हत्या का है। जिसे पुलिस जबरिया तरीके से आत्महत्या साबित करने पर तुली हुई थी। इसके लिए महिला को माँ बहन की गालियों से संबोधित किया जा रहा था जिस पर अरुण ने आपत्ति की।
बस इतनी सी खता पर बंजारा खाकी के गुरुर रौब के चलते पत्रकार पर पिल पड़े। पहले तो लात जूतों से खुद ने पिटाई की इसके बाद अपने सात आठ मातहतों के हवाले कर दिया। ताकि वे भी हाथ साफ कर सकें। लगातार चार घंटों तक बंद कमरे में गाली गलौज के साथ अरुण की रुई की तरह धुनाई की जाती रही। कहाँ थाने पहुँचे थे अरुण और कहाँ जा पहुँचे अस्पताल। इतनी बुरी तरह पिटाई के बाद भी साहब का गुस्सा कम नही हुआ। पुलिस ने धारा 353 और 332 के तहत मामला कायम कर लिया है और अभी भी अरुण पुलिस अभिरक्षा में है भूखे हैवानों के साए में।
मानवाधिकारों के लिए जागरुकता वाले इस युग में जब किसी शातिर अपराधी तक की इस बेरहमी से पिटाई नही की जाती। लेकिन खाकी के आगे सारे कायदे धरे रह जाते हैं। फिलहाल अधिकारी और पत्रकार मिलने पहुँच रहे हैं लोकतंत्र के इस पहरुए से जिसने झेला है खाकी के खौफ का दंश। बेखौफ खाकी ने पत्रकार पर गंभीर धाराएं लगा दी हैं। क्या यही है हमारे शिवराज के स्वर्णिम मध्यप्रदेश का सच? क्या यही है दुनिया का वो हमारा सबसे बड़ा लोकतंत्र जिसका दम भरते हम नही थकते? कैसी है यह आजादी जहाँ सवाल पूछने की सजा इतनी सख्त है?
(खंडवा के संजय गीते के फेसबुक वॉल और ब्लॉगर मनीष तिवारी के पोस्ट पर आधारित)
Sirf suspend nahi seedhe barkhast karna chahiye sabhi ko. .csae ko human right me le jaana chahiye. Sabit kar diya ki police beimaan hi nahi behad neech bhi he.
पुलिस प्रशाशन मुर्दाबाद …
Inki Puri jankari or sampark number diya jae
start a discussion and poll through various forums….very good suggestion….what about having a CCtv cameras in police stations??
as a journalist I am againt this action of police. those police must be suspended who were involved in this activity.
अभी-अभी कुछ लिखा है,वाही चस्पां कर रहा हूँ यहाँ,अलग से क्या कहूँ इस पर
बहुत दिनों से चाहर रहा हूँ लिखना एक कविता
मगर पूरी ही नहीं हो पा रही है यह कविता….
यह कविता भूखे लोगों की है
बेबस और कमजोर लोगों की है
यह कविता मेहनतकश लोगों की है
यह कविता स्त्रियों और बच्चों की है
यह कविता तमाम असहायों की है
यह कविता पीड़ित मानवता की है
यह कविता लोगों की जीवंत अभीप्सा की है
कविता तो यह उपरोक्त लोगों की ही है
मगर अनचाहे ही यह कविता
कुछ दरिंदों की है,कुछ राक्षसों की भी
कुछ हरामियों की की है,कुछ कमीनों की भी
इंसानियत के दुश्मन कुछ समाजों की भी
धर्म के आडम्बर से भरे कुछ लोगों की भी
स्त्रियों और बच्चों का शोषण करने वालों की भी
और मानवता को शर्मसार करने वालों की भी
यह कविता कुछ अत्याचारियों की भी है और
कुछ अनंत धन-पशुओं और देह-भोगियों की भी है
मगर दोस्तों यह कविता मेरी-आपकी किसी भी नहीं है
क्योंकि हम तो यह कविता पढने-लिखने
फेसबुक पर लाईक और कमेन्ट करने वाले शरीफ लोग हैं
और कवितायें शरीफों की नहीं होती
इसलिए आईये ओ दोस्तों
हम कुछ बेहतर अगर नहीं कर सकते
खुद भी अगर बदल नहीं सकते
आज से हम भी हरामी और कमीने बन जाएँ
और कोई हम पर भी कुछ कविता लिख ही डाले….!!
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कहीं भी कुछ भी हो जाए यह हमारी जिम्मेवारी नहीं है
और हम अगर कुछ कर भी ना पायें तो लाचारी नहीं है
कोई तड़पता हुआ हमारी आँख से सामने मर भी जाए,तो क्या हुआ
किसी स्त्री की इज्जत सरेआम लुट भी जाए तो क्या हुआ
अभी-अभी कोई गोली ही मार दे किसी को तो हम क्या करें
अभी कोई किसी को उठा कर ले जाए तो हम क्या करें
हम क्या करें अगर संसद में शोर-शराबा हो रहा होओ
हम क्या करें जब सब कुछ हमारा लुट-पिट रहा होओ
अभी-अभी हम भ्रष्टाचार पर चीखेंगे-चिल्लायेंगे
अभी-अभी हम किसी गीत पर झूमेंगे गायेंगे
अभी-अभी हम किसी एक चोर को गद्दी से हटायेंगे
अभी-अभी हम किसी दुसरे चोर की सरकार बनवायेंगे
बहुत कुछ घटने वाला है अभी हमारी आँखों के सामने
पूरा देश ही लुट जाने वाला है हमारी आँखों के सामने
अपने अहंकार के बात-बात पर हर किसी से लड़ने वाले हम
कभी एक क्षण भर के लिए भी यह नहीं सोच पाते कि
अपना यह लुटा-पिटा अहंकार और यह झूठी गैरत लिए
खुदा के घर वापस जाकर भी उसे क्या मुहं दिखायेंगे !!
इस बिभास्त कृत्य कि मै पुरजोर तौर पर बिरोध करता हूँ, इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाय कम है,
यहाँ मै बेदना से तड़प रहें पाठकों से मेरी नम्र बिनती है कि आदरणीय अरुण त्रिपाठी जी के साथ अमानवीय बर्ताव करने वाले अधिकारी और कुछ सुधि पाठक के वर्ताव सामान रूप से निंदनीय है, निर्ममता पूर्वक कृत्य करने वाले ने डंडा का इस्तेमाल कर अपने आप को कलंकित किया और आप के भी मर्यादा का उल्लंघन कर खुद को कलंकित किया. निवेदन है कि "भाषा कि अभिव्यक्ति में शालीनता अवश्य हो" नही तो फिर हम में और उनमे कोई अन्तर नही रह जाएगा." पुनः मै आदरणीय अरुण त्रिपाठी जी के साथ हुए कृत्य को गलत मानता हूँ, और मै अपने देश के तमाम अधिकारी से निवेदन करता हूँ — " कि हम आप से काफी उम्मीद लगाए रहते हैं, आप के प्रति आपार श्रधा और बिश्वास रखते हैं, हमारे विश्वास को हमारी आशा को खंडित मत होने दीजिए,".
पुलिस की अत्यंत ही घटिया हरकत है ये.इसकी जितनी भी निंदा की जाय,कम है.साथ ही ऐसे पुलिस अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए.सस्पेंड तो बहाना है.
dard ko na dekhiye dard se ..dard ko bhi dard hota hai…dard ko bhi zaroorat hai pyar ki..akhir pyar mai dard he to humdard hota hai …….
khabar dehkarman dukhit hai.netik tor par sarkar ko bada kadam udana chahiye jisse bediye polic balo se midia surkshit rah saken.madia nhi hogi to sdop aur dus polic karmiyo ke pribar ki ghatnay koun batayega.
KHAAKI !!!!!!! LOGON KI SURAKSHA KE LIYE HAI YA UNKI IS KADR PITAYI KARNE KE LIYE ?????!!!!!!!!!!!!
in police walo ko suspend krne se km nhi chlega…in par attempt to murdar ka case darj kr mukadma chalaya jana chahiye…itna kurur karya.
police waloo ka marna ka koi Gam nahi hota…. Dog hota hai sala..
Ma chot do police waloo ki… Police waloo ka pariwar ki same prakar se ghar maro..
police vale ko saspend nahi kthor saja do.
police vale ko sespend nahi arun tripathy ke havlekaro
एक पत्रकार पर इस तरह का अत्याचार कभी माफ़ नहीं किया जा सकता आज इस देस को बचाने की चिंता कोई करता है तो सिर्फ एक पत्रकार आज पत्रकार नहीं हो तो सरकारी काम समय पर कभी पुरे नहीं हो सकते जनता को पत्रकारों पर पूरा भरोसा है
ek patrkar par es tarah ka atyachar kabhi mafe nahi kiya sakta
कुत्ते हैं साले…अब कुत्तो को तमीज कहाँ होती है व्यवहार की तभी तो इंडियन पुलिस को कुत्ता बोला जाता है इनका भी यही हाल करना चहिये साले हरामी……
हमारे सभ्य समाज की सुरक्षा ले लिए बनाये गए पुलिसिया तंत्र ने खुद एक गुंडे का रूप ले लिया है….ऐसी घटनाओ के बारे में सुनकर इस बात की पुष्टि होती है .
बंजारा जैसे अफसरो की वजह से समाज में पुलिस के प्रति विशवास कम …भय ज्यादा है .
एक आम आदमी अपराध कर जाता है ..क्योंकि कई बार उसे कानूनी प्रावधानों की पूरी जानकारी नहीं होती …लेकिन एक क़ानून जानने वाला जब अपराध करता है उसे कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए …बंजारा का अपराध किसी भी हालत में क्षम्य नहीं है ..उसे बर्खास्त कर कद दंड दिया जाना चाहिए
एक बात और यह भी की इतिहास गवाह है की जब कोई पत्रकार प्रताड़ित होता है …उसके पीछे कोई दूसरा पत्रकार ही प्रशाशन के हाथो का खिलौना बना होता है ….इस मामले के पीछे यदि कोई पत्रकार साथी है तो उसका पत्रकार समाज से सामूहिक बहिष्कार होना चाहिए और नहीं है तो सभी पत्रकारों को साथ मिलकर घटना का विरोध करना चाहिए
जो चुप बैठेंगे हो सकता है की अगली बारी उनकी हो
दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए…देश का चौथा स्तम्भ आज खतरे में है…अगर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो पत्रकारों को अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी इन वर्दीधारी दैत्यों से….
उफ्फ़… गज़ब का ज़ुल्म… तस्वीर ही जब इतना खौफनाक है तो हकीक़त क्या होगी…
अफ़सोस.. इतनी हवानियत वो भी एक खबर नवीश के साथ … जो अपनी नहीं बल्कि लोगो के दुःख दर्द को को सुनाता है और … इन हुक्मरानों की कलि करतूतों को जनता के सामने सच्चाई से साथ लता है ..शर्म आणि चाहिए शिव राज सरकार को को जिसके यहाँ एक पत्रकार को खाकी वर्दी ने इस तरह बड़ी ही बेहरहमी से पिता है .. तस्वीर चीख चीख कर बाया कर रही है की किस तरह की हवानियत की गयी है हम ही नहीं बल्कि पूरा पत्रकार जगत इस घटना की निंदा करता है … दोषों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए की फिर कभी किसी पत्रकार के साथ ऐसी हरकत न कोई कर सके….
आज जिस तरह कि घाटनायेँ पुलिस थाने के आँदर हो रही है इससे ये साबित होता है कि पुलिस जनता कि हिफाजत के लिये नही भ्राष्टाचारीयोँ कि हिफाजत के काम कर रही हैँ न्याय के काम से कोषो दूर नजर आ रही हैँ जिसके लिये समाज ने इसे बैठाया हैँ!
शर्मनाक
यह शर्मनाक है
बिहारमे भी ऐसी घटनाएँ सुनने को मिलती हैं
पुलिस में सुधर होना आवश्यक है
बेहद शर्मनाक घटना है , सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए ,….
बेहद शर्मनाक घटना है , सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए ,…साथ ही हमारे पीड़ित पत्रकार को न्याय दिलवाने के लिए सभी पत्रकार बन्धु का समर्थन जरुरी है
बेहद शर्मनाक घटना है , सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए ,…साथ ही हमारे पीड़ित पत्रकार को न्याय दिलवाने के लिए सभी पत्रकार बन्धु का समर्थन जरुरी है – ” हमे खुद हमारी मदद की जरुरत है”
agar yahi loktantra hai to ise dafan kar dene ka waqt hai
कार्रवाई की मांग कमजोर लोग करते हैं,मेरा मानना है पत्रकार को इतना कमजोर नहीं होना चाहिए।पत्रकार वो होता है जिससे सरकारें खौफ खाती हैं,फिर थानेदार की क्या विसात।इस कुकृत्य के लिए इसे सजा हम पत्रकार मिलकर ही देगें…क्या आप में से कोई पत्रकार ऐसा है जो इस अपराधी का काला चिट्ठा मुझे मेल करे।
इन पुलिसवालों ने खाकी बर्दी को रखेल बना दिया है ! यह कानून के रखवाले नहीं मनमर्जी के मालिक है जो चाहे कह सकते है जो चाहे कर सकते है ! इस आदमी की यह स्तिथि यह एक पत्रकार है आम आदमी जिसकी कोई नहीं सुनता न इस तरह कोई उसकी फोटो दिखा सकता न जाने कितने बेबश होंगे जिनको यह दूर्त पुलिसवाले आए दिन अपनी क्रूरता से यह हाल करते है ! पुलिसे वाले को क्या सिखाया जाता होगा पहले तो यही नहीं समझ आता गाली देना , तमीज़ नाम की कोई चीज़ नहीं ! पैसे सरे आम मागते है ! ………………………………. पुलिसे डिपार्टमेंट ही बंद होना चाहिए !
या पूरा -२ नियंत्रण होना चाहिए
इन पुलिसवालों ने खाकी बर्दी को रखेल बना दिया है ! यह कानून के रखवाले नहीं मनमर्जी के मालिक है जो चाहे कह सकते है जो चाहे कर सकते है ! इस आदमी की यह स्तिथि यह एक पत्रकार है आम आदमी जिसकी कोई नहीं सुनता न इस तरह कोई उसकी फोटो दिखा सकता न जाने कितने बेबश होंगे जिनको यह दूर्त पुलिसवाले आए दिन अपनी क्रूरता से यह हाल करते है ! पुलिसे वाले को क्या सिखाया जाता होगा पहले तो यही नहीं समझ आता गाली देना , तमीज़ नाम की कोई चीज़ नहीं ! पैसे सरे आम मागते है ! ………………………………. पुलिसे डिपार्टमेंट ही बंद होना चाहिए !
Kia hamarei nataon ki akhein aundhi ho gayee haa jo yah sab daikh nahi saktai. vasai bi unkai pass time hi kahan haa. yeh sab india main hi ho sakta haa.
KUTTE HAI POLICE WALEEE MAROOO SALOOO KO GIVE WRITTEN COMPLAIN & PUT CASE IN COURT AGAINST POLICE WITH THEIR NAMES & RANK WHO BEAT U
बेहद शर्मनाक घटना है , सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए ,…साथ ही हमारे पीड़ित पत्रकार को न्याय दिलवाने के लिए सभी पत्रकार बन्धु का समर्थन जरुरी है – ” हमे खुद हमारी मदद की जरुरत है”
फेस बुक के माध्यम से हम सब शिवराज भैया से अपील करतें हैं ऐसे हैवानो पर सख्त कार्यवाही करके ये साबित करें कि वो कमज़ोर मुख्यमंत्री नहीं है…… आम लोगों के हित में निर्णय लीजिये शिवराज जी मध्यप्रदेश कि जनता आपके साथ है…
yes sale police wale in ki to m……….
ये लोकतंत्र पर लूटतंत्र का हमला है ,हम इस गुंडागर्दी को कतई बर्दास्त नही कर सकते …………….
ये दर्द किसी के समझ में नहीं आयेंगा, क्योंकि ये दर्द एक पत्रकार का है ….
Sooooo…. Sadddddddd……….
सत्य कहा आपने. कहा भी गया है कि एक बूंद स्याही काफी है. दुर्भाग्य यह है कि इस स्याही की कीमत आज खून से भी कम हो गयी है. यह तस्वीर काफी है राजनेताओं और अधिकारीयों की दबंगई की. कोई भी अधिकारी इस कदर अमानुषिक नहीं हो सकता है जब तक उसके ऊपर सफेदपोश नेता या उच्च अधिकारीयों का हाथ न हो या फिर वह किसी मानसिक दबाव काशीकर न हो. बहरहाल, इसे मात्र एक कहानी के रूप में नहीं समझा जाये और इस दिशा में जो भी ठोस कदम हो उठाने की कोशिश की जाये ताकि अगला शिकारी कोई दूसरा पत्रकार बंधू न हों.
इन पुलिस वालो की भी ऐसी ही पिटाई होनी चाहिए अपने आप को खाकी का गुरु मानने वाले इन पुलिस वालो को नंगा कर डंडा इस पत्रकार भाई को दे देना चाहिए| फिर नो एफ.आई.आर., नो टोक फेंसला ऑन डी सपोर्ट |.
उफ! ऐसा पुलिस वाला गंगानगर में भी है…अभी प्रशिक्षु है….बाद में ऐसा ही बनेगा…ऐसा लगता है…
सभी दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। इसके लिए क्षेत्रीय पत्रकार एसोसिएशन के सदस्यों को जोर-शोर से प्रयास करना होगा। ताकि दूसरे जगहों के पत्रकार भी इसमें उनका सहयोग कर सकें.
पुलिसिया कार्यवाही की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत पर कोई संदेह नहीं है, सिर्फ म.प्र. ही नहीं ऐसे केसेज आपको भारत के अन्य प्रदेशो एवं क्षेत्रो में भी मिलेंगे! जहा वर्दी का दुरूपयोग होता है तथा पुलिस गैर जिम्मेदाराना हरकते करती है ,सबसे अफ़सोस की बात तो ये है कि आप इसकी शिकायत करे भी तो किससे? उच्च अधिकारियों से लेकिन वो अपने विभाग एवं मातहतो के खिलाफ एक्शन कैसे ले? कोर्ट में जाईये तो उसकी भी न्यायिक प्रक्रिया लंबी है , राजनैतिक हलकों में जिसकी सत्ता है उसी की पुलिस पर चलती भी है बाकी किसी की नहीं और चूंकि मामला पुलिस के ही खिलाफ है इसलिए आपको दो-चार केसेज के लिए तैयार रहना चाहिए मसलन सरकारी काम-काज में दखलंदाजी , तोड़-फोड़ लड़ाई झगडा इत्यादि!
उफ्फ़… गज़ब का ज़ुल्म… तस्वीर ही जब इतना खौफनाक है तो हकीक़त क्या होगी… किसी नादिरशाही हुकूमत की तस्वीरें लगती हैं… शर्म और लानत है ऐसे जनसेवक हुक्मरानों पर और ऐसे लोकतंत्र पर…
MP govt me aisa ho rha hai..unacceptable.
this is very bad news over socity.