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अमर उजाला अखबार से एक बड़ी खबर आ रही है कि इसके कार्यकारी संपादक अरविंद मोहन ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है । सूत्रों के मुताबिक अमर उजाला प्रबंधन से मतभेद होने के वजह से अरविंद मोहन को जाना पड़ा है।
खबर है कि इस बारे में ग्रुप के सभी वरिष्ठ लोगों को सूचित कर दिया गया है और किसी वरिष्ठ पत्रकार को इस पद पर लाने की कवायद शुरु कर दी गई है। अरविंद मोहन काफी अरसे से मीडिया में हैं और यहां आने के पहले वे हिंदुस्तान में थे। उन्होंने यहां गोविंद सिंह के बदले ज्वाइन किया था जो हिंदुस्तान गए थे।
हिंदुस्तान में अरविंद मोहन ने करीब दस वर्षों तक काम किया और बतौर एसोसिएट एडीटर ज्वाइन कर छोड़ते वक्त संपादक (डेवलपमेंट और क्वालिटी कंट्रोल), थे। वे इसके अलावा इंडिया टुडे, जनसत्ता सरीखे पत्र-पत्रिकाओं में काम कर चुके हैं और अध्यापन भी करते रहे हैं ।
मीडिया दरबार के मॉडरेटर 1979 से पत्रकारिता से जुड़े हैं. एक साप्ताहिक से शुरूआत के बाद अस्सी के दशक में स्वतंत्र पत्रकार बतौर खोजी पत्रकारिता में कदम रखा, हिंदी के अधिकांश राष्ट्रीय अख़बारों में हस्ताक्षर. उसी दौरान राजस्थान के अजमेर जिले के एक सशक्त राजनैतिक परिवार द्वारा एक युवती के साथ किये गए खिलवाड़ पर नवभारत टाइम्स के लिए लिखी रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार श्री मिलाप चंद डंडिया की पुस्तक "मुखौटों के पीछे - असली चेहरों को उजागर करते पचास वर्ष" में भी संकलित की गयी है. कुछ समय के लिए चौथी दुनियां के मुख्य उपसंपादक रहे किन्तु नौकरी कर पाने के लक्खन न होने से तेईस दिन में ही चौथी दुनिया को अलविदा कह आये. नब्बे के दशक से पिछले दशक तक दूरदर्शन पर समसामयिक विषयों पर प्रायोजित श्रेणी में कार्यक्रम बनाते रहे. अब वैकल्पिक मीडिया पर सक्रिय.
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