जनरल वीके सिंह को बदनाम करने की उनके विरोधियों की कोशिश एक बार फिर नाकाम हो गई है। हालांकि सरकार ने पीटीआई की उस रिपोर्ट का खंडन कर दिया है कि चिट्ठी लीक मामले में आर्मी चीफ को ‘क्लीन चिट’ मिल गई, लेकिन खबर चर्चा का मुद्दा बन ही गई। अब इस बात की जांच भी संभव है कि लीक की आईबी जांच-रिपोर्ट फिर कैसे लीक हो गई?
दरअसल रविवार रात समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक खबर जारी कर बताया था कि सेना की तैयारियों को लेकर जनरल वीके सिंह द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी लीक होने के मामले की जांच कर रही आईबी ने आर्मी चीफ को क्लीन चिट दे दी है। यह भी खबर आई कि यह चिट्ठी कैबिनेट सचिवालय की अधिकारी ने लीक की थी। आईबी की रिपोर्ट में संयुक्त सचिव स्तर की इस अधिकारी को दोषी पाया गया है। इस चिट्ठी में हथियारों, गोला बारूद की कमी जैसे संवेदनशील मसलों को उठाया गया था और इसके लीक होने पर काफी बवाल भी मचा था। जनरल सिंह पर भी उंगली उठी थी। सरकार ने आईबी को मामले की जांच के आदेश दिए थे।
सूत्रों ने कहा कि संयुक्त सचिव स्तर की महिला अधिकारी कैबिनेट सचिवालय में खुफिया एजेंसियों का काम देख रही थीं। कुछ संदिग्ध लोगों से पूछताछ के बाद इस अधिकारी से भी पड़ताल की गई। आईबी की रिपोर्ट के बाद दोषी महिला अधिकारी को कैबिनेट सचिवालय से हटा दिया गया है। अब उसे उसके मूल कैडर में भेज दिया गया है। इस अधिकारी के खिलाफ संवेदनशील गोपनीय दस्तावेज लीक करने के लिए कार्रवाई की जा सकती है। ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री के नाम 12 मार्च को लिखा गया यह पत्र 28 मार्च को कई अखबारों ने प्रकाशित किया था। इस पत्र में जनरल सिंह ने सेना के पास हथियारों और गोला बारूद की कमी का जिक्र किया था।
देर रात सरकार ने इस खबर का खंडन कर दिया। पत्र सूचना कार्यालय यानि पीआईबी की प्रधान महानिदेशक नीलम कपूर ने कहा कि किसी अधिकारी को इस लीक का जिम्मेदार ठहराए जाने संबंधी रिपोर्ट ‘पूरी तरह से गलत’ है। उधर पीटीआई ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। सवाल सिर्फ ये नहीं कि जनरल सिंह की चिट्ठी को किसने लीक किया, बल्कि ये भी उतना ही महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आईबी की गोपनीय रिपोर्ट मीडिया तक कैसे आई?
चिट्ठी लीक होने पर संसद में भारी हंगामा हुआ था। कुछ पार्टियों ने जनरल को बर्खास्त करने की मांग की थी। चिट्ठी लीक करने को देशद्रोह माना गया था। जनरल सिंह के सरकार के साथ उम्र को लेकर विवाद के कारण उनको निशाना बनाना और सरल हो गया था। जनरल सिंह ने अपने को निर्दोष बताते हुए लीक को देशद्रोह की घटना मानने और इससे उसी तरह से निपटने की मांग की थी। अब फिर हंगामा मचा है। लगातार लीक होती खबरें क्या सरकार को कोई सबक देंगी या फिर ये मीडिया को हथियार बना कर लड़ने की नई तकनीक है?