पौराणिक काल में वर्षो तप करने पर ऋषि-मुनि को ईश्वरीय कृपा प्रदान होती थी. इन कृपाओं को संत-मुनि मानव कल्याण के लिए प्रयोग एवं उपयोग करते थे. जन-कल्याण में दैविक आशीर्वाद का रूप भी बड़ा अलौकिक होता था. किसी काल में राजा भागीरथ के कष्टों को हरने के लिए माँ गंगा ने भगवान् शिव के जटाओं से निकल कर इस धरती पर अवतरित हुई थी.
काल बीते , जन-कल्याण करने का तरीका बदला. समय की मांग को देखते हुए इश्वरिए कृपा भी बदल गयी. आज के भौतिकवादी दुनिया में बहुत सारी चीजें आसानी से आपके पास पहुँच रही है. लोग-बाग़ अपने व्यस्तम दैनिक कार्य में अपने कष्टों को हरने की भी व्यवस्था ढूँढने लगे हैं. काफी ‘आर & डी’ भी हुई कि लोगो के दैनिक ‘प्रॉब्लम’ को कैसे हरा जाए. इसी वक्त की मांग को देखते हुए कुछ चतुर लोग समाज में आगे आये और अपने तथा-कथित तप, जप और दैविक चमत्कार के माध्यम से लोगों के कल्याण के लिए, कष्टों से निपटारे के लिए एक सुदृढ़ माध्यम चुना – वो माध्यम जो लगभग सभी के पास मौजूद हो चूका हैं किसी न किसी रूप में. ये माध्यम है – इलेक्ट्रोनिक मीडिया : टी.वी. , इन्टरनेट, मोबाइल फ़ोन , इत्यादि. इन्ही रंग-बिरंगी इलेक्ट्रोनिक मीडिया में बहुत सारे ‘बाबा’ का बोलबाला हो चला है. ये बाबा भी ऐसे-वैसे बाबा नहीं है. ये तो सभी अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं. ये ‘बाबा’ आपकी समस्याओं की जानकारी फ़ोन, इन्टरनेट, ई-मेल, आदि से लेते हैं और आपके लिए ‘ई-कृपा’ भी इन्हीं नए माध्यमो से बरसाते हैं. आपको सिर्फ इतना करना पड़ता है की आप अपने टी. वी. का सामने बैठे हों. इन चमत्कारी बाबाओं के रेडी मेड सोलुसन के बदले आपको महज गाँधी छाप वाले गुलाबी नोटों के ४-५ पत्ती देने होते हैं वो भी दक्षिणा समान. अगर आपको दक्षिणा इस रूप में नहीं देनी तो कोई बात नहीं इन बाबाओं के पास आप अपना ‘भौतिक-स्नेह’ ई-ट्रान्सफर भी इनके अकाउंट में कर सकते हैं. देखिये हैं न कितना सरल एवं सहज उपाय !
मैं आज एक मोबाइल कंपनी का ऐड देख रहा था जिसमे एक व्यक्ति अपने बहन/बेटी की शादी में आशीर्वाद में नोटों की फेरो की जगह अपना मोबाइल उसके सर के चारो तरफ घुमा रहा था. ये है आपके हाथ में मनी-पॉवर.
भैया हमतो एक ही ठो बात जानते हैं की ईहा ‘ई’ दुनिया बड़ा ही चमत्कारी हो रही है. जय हो ‘ई-आशीर्वाद’ की! – कुमार रजनीश
dhanyavaad !
bahut khub likha hai aapne to the point with picture. I like it very much. thks
net conect ka hi jmana hai bhaiya….
बहुत बहुत धन्यवाद श्री रवि जी !
प्रिय रजनीश जी,
आपका ये पहला लेख पढ़ा, पकड बहुत अच्छी है आगे भी इसी प्रकार की कुछ और सामग्री के लिए विनम्र निवेदन है.
Electronic ne to paagal kar rakha hai logo ko.
Add a comment…