प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन खबरों को ‘बकवास’ बताया है जिनमें कहा गया है कि हाल में सेना की दो टुकड़ियां सरकार को पूर्व सूचना दिए बगैर दिल्ली की तरफ कूच कर गई थीं। प्रतिष्ठित अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापी एक रिपोर्ट में कहा है कि जनवरी महीने की 16 तारीख की रात को सरकार को पूर्व सूचना दिए बिना दिल्ली के आसपास सेना की दो टुकड़ियां जमा हुई थीं।
अखबार के संपादक शेखर गुप्ता की बाईलाइन से प्रकाशित खबर में दावा किया गया है कि एक ‘टेरर अलर्ट’ घोषित किया गया, प्रधानमंत्री को 17 तारीख तड़के बताया गया और डायरेक्टर जनरल मिलिटरी ऑपरेशन्स से इन टुकड़ियों को वापस जाने का आदेश देने के लिए कहा गया। इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय से जब बीबीसी ने बात की तो उनका जवाब था, ‘‘ ये बकवास है (इट्स ऑल बंकम)। सेना ने पहले ही इस मामले का पूरी तरह खंडन कर दिया है।’’
रक्षा मंत्रालय और सेना ने भी इस खबर को आधारहीन बताया है।
सैन्य मामलों को जानकार सेवानिवृत्त मेजर जनरल अशोक महता का कहना है, “इस पूरी ख़बर में शक़ की गुंजाइश है। लेकिन मैं ये बात दावे से कह सकता हूं कि भारत में इस तरह से तख़्ता पलटना नामुमकिन है। दूसरा इस तरीके से दो टुकड़ियों को हरक़त कराने से तख़्ता नहीं पलटा जाता या तख़्ता पलटने की धमकी नहीं दी जा सकती।”
बीबीसी संवाददाता अनुभा रोहतगी से बातचीत में उन्होंने कहा, “परिस्थितियों के आधार पर ये कहानी पेश की जा रही है कि एक नाराज़ सेनाध्यक्ष हैं जो सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं और कुछ युनिट्स को उन्होंने ट्रेनिंग के लिए बुलवाया है, इससे क्या मतलब निकाला जाए। अख़बार ने एक किस्म से कहानी को लटका कर रख दिया है। लेकिन सेना के एक पूर्व अफ़सर की हैसियत से मैं कह सकता हूं कि ऐसे तख़्ता पलट नहीं होता।”
अख़बार में कहा गया है कि रात में हुई इस घटना के बारे में प्रधानमंत्री को तड़के जगा कर ये खबर दी गई थी और रक्षा सचिव को मलेशिया की यात्रा से बीच में ही वापस बुला लिया गया था। बीबीसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के सूचना सलाहकार पंकज पचौरी से सीधा सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री को सुबह जगा कर इस बारे में जानकारी दी गई थी तो उनका कहना था, ‘‘ नहीं। ये सब बकवास है। सेना पहले ही इसका खंडन कर चुकी है।’’
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दो तीन मोटी मोटी बातों का उल्लेख किया गया है जिनके अनुसार हिसार से सेना की टुकड़ी दिल्ली के नजफगढ़ तक आई थी जबकि आगरा से एक यूनिट हिंडन तक पहुंची थी। आम तौर पर सेना की टुकड़ियों के अभ्यास की खबर सरकार को पहले से ही दी जाती है लेकिन अख़बार का दावा है कि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ था। अख़बार के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता के नाम से छपी इस खबर में दावा किया गया है कि खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिलने के बाद सरकार ने आतंकवाद संबंधी अलर्ट भी जारी किया था ताकि सड़कों पर यातायात को धीमा किया जा सके।
अख़बार ने सेना की प्रतिक्रिया भी दी है जिसमें मेजर जनरल एसएल नरसिम्हन ( अतिरिक्त महानिदेशक, सार्वजनिक सूचना) ने कहा है ऐसा हुआ था लेकिन ये रुटीन अभ्यास का हिस्सा है और कोहरे में सेना की तैयारियों का जायजा लेने के लिए यह अभ्यास किया गया था। अख़बार के अनुसार यह घटना उसी रात की है जब सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने अपने जन्म तिथि को लेकर हो रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा़ खटखटाया था।
अख़बार की यह खबर ऐसे समय में आई है जब पिछले कुछ दिनों से सेनाध्यक्ष वीके सिंह और सरकार के बीच तनातनी बढ़ती रही है। पहले वीके सिंह की उम्र का मामला कोर्ट तक गया जिसके बाद सिंह ने रिश्वत के आरोप लगाए। ऐसे में प्रतिष्ठित अख़बार की इस खबर पर विवाद होने की पूरी संभावना है। (बीबीसी)
Kam se kam sena ke baare mein to eisi khabar chhape. sabhi ko apane Upar control rakhna chaahiye.
Bilkul bakavaas. Sirf akhbaar ki bikri badhaane hetu shaayad yah khabar di gai hogi.
”चन्दन” की तरह महकना चाहते हैं “शेखर”, दुर्भाग्य है की ना तो संघ में सेंघ मार सकते हैं ना ही राम विलास पासवान के बगल वाले घर में झांक सकते हैं, वैसे भी भारतीय जनता पार्टी में कोई पूछता नहीं है चाहे राम नाथ गोयनका के जन्म दिन मानाने के लिए सरकार को कितना भी फटकारें – तैयारी है “आलीशान भवन की ओर”, लेकिन कोई पूछता ही नहीं है
राज्य सभा जाना चाहते हैं शेखर गुप्ता साहेब!