नई दिल्ली। सोशल मीडिया के दुश्मन के रूप में पहचाने जाने लगे हैं कपिल सिब्बल। पर सोशल मीडिया का दुश्मन होने से इंकार करते हुए दूरसंचार मंत्री ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ही तरह इंटरनेट के लिए भी नियमन की वकालत की है। सिब्बल ने कहा कि कौन कहता है कि मैं सोशल मीडिया का दुश्मन हूं, मैं नहीं समझता कि मैं इसका शत्रु हूं। सिब्बल ने ये बातें अपने नए काव्य संग्रह के विमोचन के बाद चर्चा के दौरान तब कही जब यह कहा गया है कि मीडिया के एक धड़े ने उन्हें सोशल मीडिया का शत्रु करार दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया इस देश के कानून के अधीन है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस देश के कानून के अधीन है। जब यह दोनों कानून के दायरे में हैं तो क्या सोशल मीडिया जैसा नया माध्यम इसके दायरे में नहीं होना चाहिए? उन्होंने कहा कि प्रिंट में जो मन में आए वैसा कुछ भी आप प्रकाशित नहीं कर सकते या टेलीविजन पर जो मन चाहे वैसा कुछ भी नहीं दिखा सकते, इसके लिए तमाम नियमन हैं। फिर सोशल मीडिया के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि सोशल मीडिया को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ज्यादा अधिकार है। इसी से मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का शत्रु नहीं बन जाता। दरअसल, मैं हमेशा स्वतंत्रता के लिए लड़ा और इस चर्चा की कोई तार्किकता नहीं है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि सोशल मीडिया के लिए भी नियमन होना चाहिए, जिससे दूसरे लोगों की स्वतंत्रता का हनन न हो। सबको अपनी बात रखने की आजादी है, पर सोशल मीडिया कम से कम मीडिया के मानको को पूरी तरह से ध्यान में नहीं रखता है। तमाम तरह के ऐसे फोटो अपलोड किए जाते हैं, जिससे किसी भी देश का माहौल खराब हो सकता है या किसी भी धर्म के आस्था को चोट पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया का दुश्मन नहीं बल्कि इसको संतुलित बनाने का पक्षधर हूं।