बीता साल पत्रकारों के लिहाज से अच्छा नहीं रहा. वर्ष 2011 में दुनिया भर में कम से कम 46 पत्रकार काम के दौरान मारे गए.पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे असुरक्षित रहा, यहां सात पत्रकारों की हत्या हुई. पाकिस्तान में पत्रकारों की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा रहा. सन 2002 से अब तक वहां 47 पत्रकार मारे जा चुके हैं.
सरकारी खुफिया एजेंसी का नाम भी पत्रकारों की हत्या में सामने आया. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली न्यूयार्क की एजेंसी कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान के अलावा इराक और लीबिया में भी पांच पत्रकार मारे गए.
संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कम से कम 17 पत्रकार खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हुए मारे गए या उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी. इनमें से ज्यादातर विद्रोह, हिंसा और और अरब देशों में पिछले साल चले बदलाव के आंदोलनों को कवर करने के दौरान मारे गए.
संस्था ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि पिछले साल इंटरनेट एवं वेब जर्नलिज्म करने वाले पत्रकारों के लिए भी खतरा बढ़ा है, जो पहले नहीं था. वेब पत्रकार भी अब निशाने पर आने लगे हैं.