पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी ने बताया कि नरेंद्र (52) तथा सरोज कंवर (48) नीलकंठ कॉलोनी वैशाली नगर में रहते हैं। नरेंद्र 19 नवंबर को बैंकाक चला गया था। सोनी ने बताया कि तीनों फरार डायरेक्टर भी बैंकाक में ही हैं। नरेंद्र सिंह ने बताया कि वह बैंकाक के पास चांताबूरी में फ्लैट किराए पर लेकर रह रहा था। उनके दोनों बेटे गत माह वहां से भारत आ गए थे।
नरेंद्र ने बताया कि वह दिनभर फ्लैट पर ही रहता और ई-पेपर के जरिये जयपुर में गोल्ड सुख के मामले की सारी जानकारी लेता रहता था। उसे रेड कार्नर नोटिस जारी होने की जानकारी भी थी। पूछताछ में नरेंद्र सिंह ने अन्य साथियों से संपर्क होने से इनकार कर दिया। उसने बताया कि जयपुर से चार नवंबर को तीनों डायरेक्टरों के फरार होने के बाद उसका उनसे संपर्क नहीं हुआ और न ही उसे पता है वे कहां हैं, हालांकि यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही।
दिल्ली एयरपोर्ट से ज्यों ही नरेन्द्र सिंह बाहर आया। वहां खड़े विधायकपुरी थाना प्रभारी राजेंद्र दिवाकर तथा सब इंस्पेक्टर लिखमाराम ने दबोच लिया। नरेंद्र सिंह यह सब देख कर हक्का-बक्का रह गया। उसके पास मोबाइल या अन्य कोई इलेक्ट्रानिक डिवाइस नहीं मिला, जिससे उसकी उपस्थिति का पता चल सके। फरार होने के बाद उसने मोबाइल रखना छोड़ दिया ताकि किसी को भी उसका बैंकाक में पता नहीं चल सके। नरेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि कंपनी के तीन डायरेक्टर मानवेंद्र, प्रमोद तथा महेंद्र चार नवंबर को ही परिवार सहित बैंकाक चले गए थे। इनके फरार होने से निवेशकों में आक्रोश फैल गया। तब उसने 17 नवंबर को निवेशकों के साथ मीटिंग की। मीटिंग में नरेंद्र ने सल्फॉस की गोलियां खाने का नाटक किया, ताकि निवेशक उनके पक्ष में आ सके।
मीटिंग में तय हुआ कि उसके साथ तीन प्रमोटर बैंकाक जाएंगे तथा फरार तीनों डायरेक्टरों को तलाश कर लाएंगे। 19 नवंबर को वह प्रमोटर अमोल, अरुण तथा कुलदीप के साथ बैंकाक चला गया। इस दौरान उसने दूसरी फ्लाइट से पत्नी को भी वहां भेज दिया। हालांकि, बैंकाक पहुंचने के बाद नरेंद्र ने तीनों प्रमोटरों से कोई संपर्क नहीं किया। इसके बाद वे एक-दो दिन में जयपुर लौट आए। (भास्कर)
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