-विजय पाटनी, नसीराबाद, राजस्थान
सारा देश विदेशों में जमा काला धन भारत में लाने में लगा है , तरह तरह की बातें बताई जा रही हैं, ये धन आया तो इस देश से गरीबी मिट जाएगी , भूखमरी मिट जाएगी , हम लोग विकसित हो जाएंगे , तरक्की के द्वार खुल जाएंगे और शायद ऐसा हो भी जाए।
लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि विदेशो में जमा काले धन से ज्यादा धन तो हमारे भगवानों ने जमा कर रखा है?
इस देश के लोगों का भला तो हमारे चलते-फिरते भगवान भी कर सकते हैं। फिर चाहे वो सत्य साईं हों या योग गुरु बाबा रामदेव , श्रीश्री रविशंकर हों या आसाराम या फिर मुरारी बापू , तिरुपति के बालाजी हों या शिर्डी के साईं बाबा, लाल बाग़ के राजा हों या दगड़ू सेठ गणेश, सिद्धिविनायक दरबार हो या अजमेर वाले ख्वाजा का दर, इन सब की कैश वैल्यू यदि निकाली जाए तो शायद इतनी तो निकले ही कि इस देश का हर परिवार लखपति हो जाए। और ऐसा हो भी क्यों न ? भगवान तो भक्तों का भला करने के लिए ही होते हैं, तो क्यों न वो आगे आएं, अपने दुखी और गरीब भक्तों का भला करने के लिए?
इस देश की विडंबना है कि जहाँ एक और गरीब बंद कमरों में भूख से अपनी जिन्दगी गवां रहे हैं वहीँ दूसरी और अरबों कि संपत्ति बंद है हमारे भगवानों के भवनों में। इस देश के नेता हो या साधू , बिजनिस मेन हो या भगवान सब लगे हुए है अपनी तिजोरियां भरने में, फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ पैसा विदेशों में जमा करा रहे हैं, और कुछ अपने कमरों में। सब लगे हुए है अपना ही साम्राज्य बढ़ाने में। जैसे हम फिर से राजा-महाराजाओं के युग में आ गए हों जहाँ राजा-अमीर, धनी होता था और बेचारी प्रजा गरीब। विदेशी बैंकों में जमा धन आम जनता का है। सही है, लेकिन इन मंदिरों में जमा धन भी तो आम जनता का ही है, और शायद जिस पे चंद लोगों का ही स्वामित्व है।
मैं किसी भगवान या साधू के खिलाफ नहीं हूँ, मैं साम्प्रदायिक भी नहीं हूँ और न ही मैं नास्तिक हूँ, लेकिन मैं भगवान से चाहता हूँ कि वो अपनी जायदाद अपनी संपत्ति कमरों में बंद करने की बजाय किसी गाँव के गरीबों को गोद ले के उनके भरण पोषण पे खर्च करें , ये पैसा भारत वासियों का ही है और ये पूरा उन्हीं के भले के लिए खर्च होना चहिए।
मुझे काला धन भी चाहिए और भगवान का प्रसाद भी, क्युंकि भगवान तो भक्तों का भला करने के लिए ही होते हैं।
मैं तो भ्रस्ट रहूँगा, पर भ्रस्टाचार मिटना चाहिए
आज कल जहाँ देखो हर जगह अन्ना , बाबा रामदेव और लोकपाल बिल छाया हुआ है|हर व्यक्ति चाहता है कि देश से भ्रस्टाचार ख़त्म हो, लेकिन अपने अंदर झाँक कर कोई भी नहीं देखना चाहता कि मैं भी कही ना कही भ्रस्ट हूँ| भ्रस्टाचार किसी एक , दो आदमी के आंदोलन या अनशन से ख़तम नही हो सकता, इसके लिए हर आदमी को जागरूक होना पड़ेगा| क्योंकि अगर देश मे भ्रस्टाचार है तो उसके लिए देश का हर नागरिक ज़िम्मेदार है |
जब एक सरकारी दफ़्तर में हमारा काम रुक जाता है, तो हम सोचते चलो कुछ पैसे दे देते हैं काम तो जल्दी हो जाएगा यहाँ के चक्कर तो नही लगाने पड़ेंगे, और हमारा समय भी बच जाएगा|हर व्यक्ति चाहता है कि देश से भ्रस्टाचार ख़त्म हो लेकिन अपने अंदर के भ्रस्ट इंसान को ख़त्म नही करना चाहते| अगर हम ये सोच रहे कि बाबा रामदेव और अन्ना भ्रस्टाचार को ख़त्म कर देंगे, तो ये हमरी सोच ग़लत है| इन लोगो के पास कोई जादू की छड़ी नही है कि जिसको ये ले घुमाएँगे और भ्रस्टाचार ख़त्म हो जाएगा ये लोग भी एक आम इंसान कि तरह है, बस अंतर इतना है की पहला कदम इन्होंने बढ़ाया है मंज़िल अभी बाकी है|
हर राजनीतिक पार्टी इस मुद्दे को बढ़ चढ़कर भुनाने मे लगी हुई है, लेकिन हम लोगो को ये नही भूलना चाहिए कि ये लोग भी उन्ही नेता लोगो मे से एक है, ये लोग केवल राजनीति करते है ना कि जनता के हित के बारे मे सोचते है, इन लोगो का राजनीति मे आने का मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना होता और इनको पता होता है की पैसा कमाने का सबसे बढ़िया तरीका राजनीति के अलावा और कहीं नही. इसलिए में तो ये कहूँगा कि हर आदमी को रामदेव और अन्ना बनना पड़ेगा, तो ही इस देश का कुछ हो सकता है|
इसलिए मैं बदलूँगा तो देश बदलेगा|
विजय जी uday sagar का कहना है:
मॅ आपकी बातों से १००% सहमत हूँ जो इनके पीछे भाग रहे हैं अन्ना के पास कोई जादू की छडी नहीं है या जो आदमी लोकपाल बनेगा क्या वो जादूगर होगा भाई साहब और कुछ नहीं होगा 200 लोग और हराम की खाने के लिए हमारे संसद के सिर पर बैठ जायेंगे ये इनका ड्रामा है कांग्रेस का मिला जुला बाबा राम देव का ब्लैक मनी वाला मुद्दा दबाने तथा स्विस बैंक से पैसा गायब मिल जाएगा यदि अन्ना जैसे लोग देश के वफ़ादार हो ही नहीं सकते आप शायद भूल रहें है देश के गधार राज ठाकरे को उत्तर भारतीयों को महारास्ट्रा से मार भगाने पर शाबासी दी थी ये वो ही अन्ना है मेरे देश की जनता अगर वाकई में भ्रष्टाचार मिटाना चाहती तो जनता को माँग करनी चाहिए शिक्षा की यानी देश में शिक्षा का बाज़ारी करण बंद होना चाहिए देश में एक भी स्कूल कॉलेज प्राइवेट नहीं होने चाहिए नर्सरी से लेकर उच्च उच्चतम हाई से भी हाई शिक्षा मुफ़्त होनी चाहिए जब पूरा देश शिक्षित होगा तो सबको अपने अधिकारों का पता होगा तो भ्रष्टाचार अपने आप ही ख़तम हो जाएगा नहीं तो उदारहण के यूरोपियन देशों को देखलो वहाँ साक्षरता दर 100% है और भ्रष्टाचार 10% वो भी उँचे पैमाने पर अच्छा एक बात बताओ आज से 30 साल पहले कभी सुना था की किसी एसीपी डीसीपी आईजी डीआईजी आईएस आईपीएस अधिकारी या कोई मंत्री संतरी सिपाही हवलदार या नेता राजनेता अभिनेता एसडीम डीएम को जेल जाते देखा था नहीं ना लेकिन अब सब जेल जा रहे रहे हैं आज जेलों में 35 प्रतिशत जनशनख्या इन्ही लोगों की है ये सब कैसे हुआ जागरूकता की वजह से और जागरूकता कहाँ से आई अरे भाई शिक्षा से
आज सरकारी स्कूलों की जो हालत बद से बदतर होती जा रही है उसके लिए कोई अनशन नहीं करता है करें भी क्यों क्यों की हमें आदत है शिक्षा का प्रमाण पत्र भी रिश्वत देकर लेने की जहाँ अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता हमारे पास तो धन का भंडार है ही एक प्रमाण पत्र भी खरीद लेंगे और लानत है देश के उन शिक्षकों पर जो पैसा लेकर प्रमाण पत्र बेचते हैं में भी एक समाज सेवक हूँ में जब भी कोई ग़रीब बच्चा देखता हूँ उसे स्कूल जाने के लिए उकसाता हूँ यदि उसके मा बाप नहीं भेजते हैं तो में उनपे दबाव बनता हूँ और कोई कहे कि फलाँ सरकारी स्कूल में स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा है तो मुझे 100 किलो मीटर भी जाना पड़े तो जाऊंगा लेकिन आप की सोच क्या है मैं तो भ्रस्ट रहूँगा, पर भ्रस्टाचार मिटना चाहिए
आज कल जहाँ देखो हर जगह अन्ना , बाबा रामदेव और लोकपाल बिल छाया हुआ है|हर व्यक्ति चाहता है कि देश से भ्रस्टाचार ख़त्म हो, लेकिन अपने अंदर झाँक कर कोई भी नहीं देखना चाहता कि मैं भी कही ना कही भ्रस्ट हूँ| भ्रस्टाचार किसी एक , दो आदमी के आंदोलन या अनशन से ख़तम नही हो सकता, इसके लिए हर आदमी को जागरूक होना पड़ेगा| क्योंकि अगर देश मे भ्रस्टाचार है तो उसके लिए देश का हर नागरिक ज़िम्मेदार है |
विजय जी मै आप से सहमत हु . हर तरह का पैसा जो कही पर भी ब्लाक है और जनता के काम नहीं आ रहा है.चाहे काला धन विदेश में हो या देश में . उसे जनता की जानकारी में आना ही चाहिए और उसे जन कल्याण में खर्च होना चाहिए. धन्यवाद्
विचार सभी के अपने होते हैं ..चाहे उसके पीछे कोई भी तर्क न हो . चर्चा में तो शरीक किसी को भी समझाया जा सकता है परन्तु नेट पर लिखने वाले पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा सकता है .
मंदिरों में पड़ा हुआ धन दान के माध्यम से आया है और जिसने दान दिया है यह वह जाने की उसकी यह काली कमी है या सफेद …हाँ यदि डकैती का माल है तो पोलिस और न्यायालय जब्त कर सकती है . मंदिरों में दान के माध्यम से प्राप्त हुआ धन और विदेशी बैंकों में चोरी से जमा काला धन दोनों में कोई समानता नहीं है ….इसकी तुलना करना काले धन की चोरी से आम जनता का ध्यान हटाने की एक कपटी चाल मात्र ही है . मंदिरों में जमा धन की बात से पहले तमाम राजनैतिक नेताओं जिन्होंने इस देश पर राज किया है …उनका नाम क्यूँ नहीं लिया जाता की इन तथा कथित जन-सेवकों के पास जो भी जरूरत से अधिक धन है वह सरकार जब्त कर देश और समाज के हित के काम में उपयोग करे . मंदिरों में दान के माध्यम जमा धन को अवश्य ही समाज के उपयोग में लाया जा सकता है …परन्तु क्या धर्मनिरपेक्ष की चादर ओड़ने वाले वक्फ बोर्ड की लाखों एकड़ भूमि जिस पर नाजायज और बेनामी कब्जे हो रहे हैं …को देश और समाज लिए देने और लेने बी बात करने की हिम्मत करेंगे ?
मुद्दा केवल विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापिस लाने और भ्रष्टाचार से देश और समाज को मुक्त करने का ही है और हमें उसी पर ही संवेदनशील और सजग होना है …भटकना या भटकना नहीं .
कलम की ताकत का समाज को सही दिशा देने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए…….सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने या समाज को दिशा हीन करने के लिए नहीं…!
हां यह एक दूसरी सोच है क्यूंकि भगवान् के पास थो दान दिया गया धन है लेकिन काल धन थो गरीब जनता का पैसा है जोकि वापस आना ही चाहिए