-भंगेड़ी लाल॥
मुझे याद है, बापू जोहानिसबर्ग से प्रिटोरिया जा रहे थे। मैं रेलवे स्टेशन पर चाय बेच रहा था।
गांधी जी ने ट्रेन रुकवा दी और उतर कर मुझे गले से लगा लिया।
बापू भारत लौटे, तब मैं एनसीसी का कैडेट था।
बापू मुझे देखते ही पहचान गए, कहा – “तुम ही मेरे आठवें पुत्र हो नरेन्द्र”…
“नरेन्द्र नाम सुनते ही मेरे अंदर का विवेकानंद जाग गया। मुझे याद है, रामकृष्ण परमहंस ने मां काली के मंदिर में मुझे आशीर्वाद दिया था। आज उसी आशीर्वाद से मैं चौकीदार हूं। मैं प्रधान सेवक हूं। एक हजार एक सौ 70 साल में जो कुछ नहीं हुआ वो मैं कर रहा हूं।
विश्वगुरु भारत आज ब्रह्माण्ड गुरु बनने की राह पर है।
मितरो, कल शाम 8 बजे मैं प्रजा को संबोधित करूंगा।
डरें नहीं, इस बार डेढ़ सौ करोड़ टीकाकरण का जश्न मनाना है।
ये कीर्तिमान हमारे किसानों ने बनाया है। उनकी आय दो दूनी चार गुणा करने के लिए मैंने जगजीवन राम जी से बात की थी। मेरे आध्यात्मिक पिता डॉ भीमराव आम्बेडकर मुझे सुभाष चन्द्र बोस से मिलाने ले गए थे।
नेताजी ने मुझे राष्ट्र निर्माण का संकल्प दिलाया।
उनके कहने पर मैं बल्लभ भाई पटेल से मिला।
आज उनकी प्रतिमा से लाखों लोगों को वैसा ही रोजगार मिल रहा है, जैसा रामराज्य में था। अब किसी को घर में ताला लगाने की जरूरत नहीं है। घर के अंदर का माता-बहिनों का काला धन बाहर आ चुका है।
ईमानदार विश्वगुरु के प्रत्येक नागरिक के पास आज छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो ताले की जरूरत क्या है ???
2024 में मैं अपने सभी भाई-बहिनों को अनावृत्त कर के दिखाऊंगा…
वर्ना मेरा क्या है, वापस हिमालय चला जाऊंगा…
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