-बसंत जेटली॥
विक्रम ने एक बार फिर पेड़ पर लटका शव उतारा और कंधे पर लटका कर चल दिया। तब शव में स्थित वेताल ने कहा कि हे विक्रम तेरा हठ प्रशंसनीय है। रास्ता लंबा है सो तुझे अधिक थकान न हो इसलिये एक कथा सुनाता हूँ। कथा के आख़ीर में मैं तुझसे सवाल पूछूंगा। अगर तूने जानते बूझते सही जवाब न दिया तो तेरे सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे और अगर तेरा जवाब सही हुआ तो मैं वापस उड़ जाऊँगा। यह कह कर वेताल ने कथा शुरू की।
सुन विक्रम ये कहानी है तो छोटी सी पर इसके मायने बड़े हैं।आर्यावर्त के भरत खंड में एक देश हुआ करता था। नाम क्या था ये बताना इस कहानी के लिए ज़रूरी नहीं है।
अब देश था तो लोग भी थे और सरकार भी थी और मीडिया भी था। मने जो होना चाहिए देश में वो सब था। सरकार के आलोचक भी थे, समर्थक भी थे और भगत भी थे। भगत जो चाहते थे वो देखते थे और जो नहीं देखना होता था वो नहीं देखते थे लेकिन भगत और सरकार कहते थे, प्रचार करते थे कि वो समदर्शी हैं।
हुआ ये कि एक दिन एक धनिक के बंदरगाह पर बड़ी मात्रा में अवैध ड्रग्स पकड़ ली गईं। अब वो धनिक व्यापारी निकला सरकार का चहेता तो कहीं कुछ ख़बर तो बनी पर चली नहीं। सरकार चुप , मीडिया चुप और समदर्शी भगत भी चुप ही चुप। बीत गया कुछ समय बस सुगबुगाहट होती रही। समय की बात कि कुछ कथित बड़े लोगों की कथित बिगड़ी संताने एक यात्री क्रूज़ पर पार्टी करते और ड्रग लेते पकड़ ली गईं। उनमें एक बड़े विधर्मी अभिनेता का बेटा भी पकड़ा गया। पता नहीं कि उसके पास से ड्रग बरामद हुईं या नहीं हुईं….. शायद नहीं हुईं लेकिन विधर्मी बड़ा अभिनेता था और उसका बेटा गिरफ़्तार हुआ था सो मीडिया शुरू और समदर्शी भगत भी शुरू। हल्ला मच गया। लड़के के बाप को ज़लील करना शुरू हुआ, कई कंपनियों ने उस ऐक्टर से करोड़ों के विज्ञापन वापस ले लिया। लड़का जेल में जमानत के इंतज़ार में है और मीडिया और भगत सब चालू हैं ऐसे कि जैसे टूट पड़ा हो आसमान इस वज़ह से। लाभ ये हुआ कि इस शोर से धनिक की अवैध ड्रग्स पकड़े जाने के बारे में जो थोड़ी बहुत सुगबुगाहट थी वो भी ग़ायब हो गई।
कुछ दिन बीते कि एक और घटना घटी। एक प्रदेश के किसान आंदोलन प्रदर्शन से वापस लौट रहे थे कि किसानों से नाराज़ एक मंत्री के पुत्र ने उन पर अपनी कार चढ़ा दी। कई किसान घायल हुए और कई मर गए। थोड़ा शोर मचा, मंत्री पुत्र की गिरफ़्तारी की मांग हुई। मंत्री पिता बेटे को बेगुनाह बताता रहा। देश की सरकार का मंत्री था सो न सरकार बोली न मीडिया बोला न भगत कुछ बोले। ख़ैर फ़िलहाल विरोध के चलते मंत्री पुत्र से अभी पूछताछ चल रही है। गुनाह साबित हुआ तो शायद सज़ा भी होगी ही। एक बात और बता दूँ विक्रम कि यही भगत जो एक अन्य मामले में एक विधर्मी अपराधी को जेल में बिरयानी खिलाने का आरोप लगाते थे वह मंत्री पुत्र को पूछताछ के दौरान कई बार नाश्ता कराने पर चुप बैठे हैं। अब तू बता विक्रम कि क्या सरकार और उसके समर्थकों का यह व्यवहार सही है? याद रख कि गर तूने जानते – बूझते जवाब न दिया तो तेरे सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
विक्रम ने कहा कि हे वेताल अंध भक्ति से अधिक भयानक कुछ नहीं होता। अन्याय का विरोध जनता का अधिकार है। उस विरोध के कारण को दूर करना सरकार का दायित्व है। मीडिया का दायित्व है कि वह बिना लाग लपेट के सारी ख़बरें देश और दुनिया के सामने लाए। समर्थकों का दायित्व है कि यदि वह स्वयं को समदर्शी प्रचारित करते हैं तो वे अंधा समर्थन न करें और विरोधियों का दायित्व है कि वो अंधा विरोध न करें। कुल मिलाकर इस मामले में सरकार, मीडिया और भगत सभी कर्तव्यच्युत साबित होते हैं और यह किसी भी देश के लिये बहुत भयानक साबित हो सकता है।
वेताल बोला… तू धन्य है विक्रम। तू वाकई सच्चा न्यायप्रिय राजा है। मैं तुझे साधुवाद देता हूँ लेकिन तूने तो सही जवाब दे दिया सो मैं चला।
यह कहकर वेताल विक्रम के कंधे से उड़ा और फिर उसी पेड़ की उसी डाल पर वापस उल्टा लटक गया।
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