दुनिया को दो ध्रुवों में बांटने वाले अमेरिका और रूस अब शीतयुद्ध के दौर से तो बाहर निकल आए हैं, लेकिन दोनों के बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता अब भी कायम नहीं हुआ है। बल्कि इस वक्त दोनों ही देश संबंधों के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद इस बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की जिनेवा में मुलाकात हुई। दोनों राष्ट्रपतियों की मुलाकात पर दुनिया की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दिशा काफी हद अमेरिका और रूस से ही तय होती है।
पिछले कुछ बरसों में रूस और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर तनाव कायम हुआ है। जैसे रूस नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन चाहता है, जिसके बन जाने से रूस से जर्मनी को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी। लेकिन अमेरिका नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन को भू-राजनीतिक सुरक्षा खतरे के तौर पर देखता है और उसका विरोध कर रहा है। बेलारूस के शासक अलेक्सांदर लुकाशेंकों को पुतिन का समर्थन हासिल है, लेकिन अमेरिका को रूस का ये समर्थन रास नहीं आ रहा। रूस-अमेरिका संबंधों में रूस में कैद दो पूर्व-अमेरिकी नौसैनिकों का मामला भी तल्खी पैदा कर रहा है।
रूस ने इन पर जासूसी का आरोप लगाया है। 2014 में जब यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर रूस ने अपना आधिपत्य जताया तो पश्चिमी देशों ने इसका काफी विरोध किया, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने क्रीमिया पर रूस के दावे को मान्यता देने से इनकार कर दिया। अमेरिका ने रूस पर चुनावी दखलंदाजी का आरोप लगाया है। अमेरिकी सीनेट की 2020 में जारी एक रिपोर्ट कहती है कि रूस ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया, लेकिन रूस ने इस आरोप को खारिज किया है।
साइबर हमलों को लेकर भी अमेरिका ने रूस पर उंगली उठाई है, लेकिन पुतिन ने इन्हें ‘हास्यास्पद’ बताया है। रूस में पुतिन विरोधी अलेक्सी नवेलनी पर कार्रवाई को लेकर भी अमेरिका-रूस आमने-सामने हैं। कुछ अरसे पहले नवेलनी को जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी, हालांकि उन्हें समय रहते जर्मनी ले जाकर इलाज मुहैया कराया गया। अभी नवेलनी रूस में हिरासत में हैं। अमेरिका ने नवेलनी का खुलकर समर्थन किया है। जो बाइडेन ने कहा था कि , ‘नवेलनी की मौत एक और संकेत होगा कि रूस का मौलिक मानवाधिकारों का पालन करने का बहुत कम या कोई इरादा नहीं है। मार्च में एक इंटरव्यू में जो बाइडन ने ब्लादिमीर पुतिन को ‘हत्यारा’ तक कह दिया था।
अमेरिका और रूस के इन बढ़ते तनावों के कारण दोनों देशों में राजनयिक संबंध भी दांव पर लग गए थे। दोनों देशों में एक-दूसरे के राजदूत नहीं थे और रूस ने हाल ही में अमेरिका को ऐसे देशों की सूची में डाल दिया था, जिसके संबंध उनसे दोस्ताना नहीं है। इन्हें आधिकारिक तौर पर ‘अनफ्रेंडली स्टेट’ की संज्ञा दी जाती है। इतने तनावपूर्ण माहौल में दोनों राष्ट्रपतियों की मुलाकात तय हुई तो आशंकाएं और संभावनाएं दोनों पर निगाहें टिकी थीं। जो बाइडेन से पहले ब्लादिमीर पुतिन बिल क्लिंटन, जार्ज बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप के समकक्ष रह चुके हैं। बिल क्लिंटन से उनके संबंध अल्पकालिक थे, जार्ज बुश के वक्त आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रूस को महत्वपूर्ण सहयोगी देखा गया। ओबामा के कार्यकाल में आरंभिक रिश्ते सौहार्द्रपूर्ण रहे, लेकिन क्रीमिया मामले से बात बिगड़ गई और ट्रंप के साथ भी पुतिन के रिश्ते नरम-गरम चलते रहे। जो बाइडेन पांचवे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो पुतिन के साथ बातचीत कर अमेरिकी-रूसी संबंधों की दिशा तय करने बैठे।
बतौर राष्ट्रपति पुतिन से इस पहली मुलाकात से पहले जो बाइडेन ने कहा था, ‘मैं रूस के साथ संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन अगर रूस अपनी हानिकारक गतिविधियों को जारी रखता है तो हम जवाब देंगे।’ बाइडेन ने अपना इरादा पहले ही स्पष्ट कर दिया था, लेकिन मुलाकात के बाद हवा में ऊपर उठा उनका अंगूठा इस बात का द्योतक था कि बातचीत विफल नहीं रही। वार्ता के बाद साझा बयान में कहा गया कि ‘तनाव के बावजूद’ साझे लक्ष्यों पर प्रगति हुई। दोनों नेताओं ने कहा कि ‘निकट भविष्य में अमेरिका और रूस ‘रणनीतिक स्थिरता विमर्श’ शुरू करेंगे जो गहन और सुविचारित होगा।’ इस बयान में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि दोनों देशों ने हथियारों पर नियंत्रण खतरे कम करने के उपायों के लिए काम शुरू करने पर भी सहमति जताई है और कहा है कि ‘परमाणु युद्ध कभी नहीं जीते जा सकते और कभी नहीं होने चाहिए।’ परमाणु हथियारों की बढ़ती होड़ के बीच विश्व शांति के लिहाज यह काफी बड़ी पहल है। इसके साथ ही दोनों देशों ने अपने राजदूतों को उनके पदों पर वापस भेजने पर सहमति जताई है।
राजनयिक संबंध बहाल होंगे तो संबंधों पर जमी बर्फ भी पिघलने लगेगी। लेकिन उससे पहले तनाव के पिछले मसलों को सुलझाना होगा। जिसके आसार फिलहाल जल्द नहीं दिख रहे हैं। नवेलनी पर सख्त कार्रवाई को अमेरिका मानवाधिकार के नजरिए से देख रहा है, तो रूस इसे सही ठहरा रहा है। इस मामले पर सवाल हुए तो पुतिन ने ब्लैक लाइव्स मैटर और कैपिटोल हिल की घटना की याद दिला दी। दोनों पक्ष साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर परामर्श शुरू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं। हालांकि पुतिन ने फिर से अमेरिका के इन आरोपों का खंडन किया कि रूसी सरकार अमेरिका और दुनिया भर में व्यापार और सरकारी एजेंसियों के खिलाफ हाल के हाई-प्रोफाइल हैक के लिए जिम्मेदार थी।
अमेरिका-रूस की इस शिखर बैठक से किसी त्वरित परिणाम की अपेक्षा नहीं की जाना चाहिए। राहत की बात यही है कि कड़वाहट भरे रिश्तों के बीच बातचीत की नयी शुरुआत हुई है। वैसे जिनेवा शहर को इस मुला$कात के लिए चुनना भी अहम है। 1985 में शीत युद्ध के दौर में पहली बार पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और पूर्व सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाच्योव की मुलाकात भी यहीं हुई थी।
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