उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, यह मुहावरा इस कोरोना काल में देश के सत्ताधीशों पर सटीक बैठ रहा है। देश में कोरोना की इस भयावह दूसरी लहर के लिए सरकार की लापरवाही और स्वास्थ्य सुविधाओं की जगह चुनाव को तरजीह जिम्मेदार है, यह बात अब अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी उठने लगी है। लोकतंत्र में निर्वाचित सरकारों का काम जनता के हितों की रक्षा करना है, अगर सरकार ऐसा करने में नाकाम रहती है, तो उसे सत्तासुख भोगने का कोई हक नहीं है। मगर भारत में इस वक्त सरकार न जनता के हितों की रक्षा कर पा रही है, न जनता के हक में आवाज उठाने वालों की। बल्कि सरकार को उसकी जिम्मेदारियों और गलतियों का एहसास कराने वालों के साथ सख्ती बरती जा रही है। बिहार में पप्पू यादव की गिरफ्तारी या भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत, इसका प्रमाण हैं।
बिहार में जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव का राजनैतिक इतिहास बहुत चमकदार नहीं रहा है, बल्कि वे कई विवादों में घिरे रहे। फिर भी कभी निर्दलीय तो कभी सपा, कभी राजद के प्रत्याशी बन लोकसभा पहुंचते रहे। 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों के वक्त उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी बनाई। जाप का कोई बड़ा जनाधार बिहार में नहीं बन सका है, लेकिन इससे पप्पू यादव की राजनैतिक सक्रियता में कोई कमी नहीं आई। पिछले महीनों में उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया था और गाजीपुर सीमा पर धरना दे रहे किसानों के बीच वे जा पहुंचे थे। अब वे कोरोना से पीड़ित मरीजों की आवाज उठा रहे हैं। बिहार में नीतीश सरकार की अक्षमता लोगों की जान पर बहुत भारी पड़ी है। बिहार चुनाव के वक्त भाजपा ने सबको मुफ्त वैक्सीन का जो दावा किया था, उसकी हकीकत रोजाना बढ़ते मरीज बता रहे हैं।
स्वास्थ्य सुविधाएं बिहार में पहले ही लचर थीं और महामारी में इसका सबसे ज्यादा खामियाजा जनता ने भुगता है। इसके बावजूद नीतीश सरकार ने बचाव के कदम उठाने में देर की और अदालत की फटकार के बाद लॉकडाउन लगाया। लेकिन इसके बावजूद बिहार में हाहाकार मचा है। जनता के बड़े हिस्से को न इलाज के लिए अस्पतालों में जगह मिल रही है, न ही अस्पताल तक पहुंचने के लिए एंबुलेंस की सुविधा मिल रही है। इस बीच एक चौंकाने वाला खुलासा पप्पू यादव ने किया। उन्होंने भाजपा के सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के आवास के पीछे खड़ी दो दर्जन एंबुलेंसों को मीडिया को दिखाया। धूल खाती, बेकार पड़ी एंबुलेंसों की तस्वीर से भाजपा सांसद और भाजपा पर सवाल उठने लगे कि आखिर किस अधिकार से इतनी सारी एंबुलेंस किसी सांसद के घर पर खड़ी रह सकती हैं। जब लोगों को कई गुना कीमत देकर एंबुलेंस का इंतजाम करना पड़ रहा है, तब इस तरह एंबुलेंस की जमाखोरी कहां तक उचित है।
भाजपा की ओर से इसका कोई संतोषजनक जवाब तो नहीं मिला। अलबत्ता खबरों के मुताबिक राजीव प्रताप रूडी ने पप्पू यादव को ड्राइवर लाकर सभी एंबुलेंस चलवाने की चुनौती दी थी। जिसके जवाब में पप्पू यादव 40 ड्राइवरों को एंबुलेंस चलवाने के लिए लेकर पहुंचे थे। सरकार की पोल इस तरह खोलने का दंड अब उन्हें भुगतना पड़ा है। मंगलवार सुबह पटना पुलिस ने उन्हें लॉकडाउन के नियम तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है।
आश्चर्य है कि एंबुलेंस घर पर रखने वाले राजीव प्रताप रूडी पर कोई कानूनी कार्रवाई अब तक नहीं हुई। लेकिन गलत बात का खुलासा करने वाले पप्पू यादव को गिरफ्तार करने में सरकार ने जरा भी देरी नहीं दिखाई। नीतीश कुमार इस मामले में बिल्कुल मोदीजी के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। हालांकि नीतीश सरकार में शामिल जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी ने इस गिरफ्तारी को गलत ठहराया है। हैरानी इस बात की भी है कि महामारी के भीषण दौर में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत अनेक बड़े नेता चुनावी रैलियां करते रहे, कभी बिना मास्क के दिखे, कभी दो गज की दूरी मिटाते दिखे, उन पर कोविड नियमों के उल्लंघन का कोई मामला नहीं बना, लेकिन पप्पू यादव अगर एंबुलेंसों को चलाने के लिए ड्राइवर लेकर गए, ताकि कोरोना पीड़ितों की सहायता की जा सके, तो उसे लॉकडाउन का उल्लंघन मान लिया गया। नीतीश कुमार ने ठेठ भाजपाई अंदाज में यह दुचित्तापन दिखाया है।
भाजपा सरकार को कांग्रेस अभी उसकी गलतियों के लिए लगातार घेर रही है। जिस पर अब भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सोनिया गांधी को चार पन्नों का पत्र लिखकर नकारात्मक प्रचार का आरोप लगाया है। वैक्सीन से लेकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट तक कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों को ओछी राजनीति करार दिया है। जे पी नड्डा के पत्र से भाजपा की नाकाम रहने की खीझ जाहिर होती है। बेहतर होता अगर श्री नड्डा कांग्रेस पर इल्जाम लगाने के अपनी पार्टी को गलतियां सुधारने के निर्देश देते।
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