-महक सिंह तरार॥
किसान आंदोलन के नेता अक्सर 3 कानूनों की वापसी पर घर वापसी ओर MSP पर खरीदी की कानूनी गारंटी की बात करते सुने जाते है। पिछले डेढ़ दशक से हम किसान (स्वामीनाथन) आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की लड़ाई लड़ रहे थे। जिसे ना कभी मनमोहन ने पूरा किया ना मोदी ने। किसान एक ऐसी ढलान वाली सड़क पर खड़े है जो गरीबी के समुंदर मे जाकर खत्म होती है और किसान की वास्तविक आय महंगाई दर की तुलना मे साल दर साल घट रही है। किसान गरीब हो रहा है। हर साल भारत के सवा सात लाख किसान आर्थिक तंगहाली से खेती ही छोड़ देते है। हम उस फिसलन वाली सड़क पर मुट्ठी भींच कर हाथ उठाकर नारे लगा रहे थे स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करो, लागू करो, जी लागू करो। तभी सरकार ने 3 कृषि कानून बनाकर हमारा लंगोट छीन लिया। तो हम अब MSP के बजाए लंगोट लंगोट (कृषि कानून की वापसी) चिल्ला रहे है, MSP पीछे खिसका है (हालांकि नेता MSP की डिमांड भी कर रहे है) पर मनोविज्ञान कैसे काम करता है इसकी कहानी सुनाता हूँ।

किसी गांव मे एक सिद्ध महात्मा रहता था। उस गांव मे एक विद्यार्थी ने सोचा कि तिमाही परीक्षा नजदीक है महात्मा से फल पूछ लेता हूँ। वो महात्मा के पास राम राम करके बोला बाबा मैं फैलहोऊंगा या पास? बाबा बोला फैल। ओर वो सच मे फैल हो गया। परीक्षाएं हर तीन महीने बाद होती ही थी तो अगली बार फिर वही सवाल। बाबा मैं फैल होऊंगा या पास?
बाबा: फैल। ओर वो फैल हो गया। फिर अगली परीक्षा, वही सवाल #फैलहोऊंगा या पास? बाबा: फैल। ओर वो तीसरी बार भी फैल हो गया। जब चौथी बार वो बाबा तक पहुंचा तो पूछा कि मैं पास होऊंगा या फैल? बाबा: पास। उसने पलट कर पूछा बाबा इसबार ऐसा आशीर्वाद क्यों? तो बाबा ने कहा कि हर बार तेरे मन का डर तुझसे फैल या पास पुछवाता था इसबार कर्म बदल गया अब तू पास या फैल पूछ रहा है जो तेरे मन का घोतक है। जा अब पास होगा। तो किसान नेताओ के मन कानून वापसी ओर MSP कहते रहे है जो उनकी प्राथमिकता को दर्शाता लगता है।
मेरे अनुसार प्राथमिकता क्या हो बता देता हूँ। SKM जो मांग कर रहा है मैं उनके साथ हूँ। बस जहां किसान भाई ध्यान नही दे पा रहे उसकी लिस्ट शेयर करता हूँ।
नंबर 1) C2 कॉस्ट पर 50% मुनाफे वाला MSP पर गारंटी खरीदी का कानून बने।
नंबर 2) CACP पूर्णतया स्वतंत्र आयोग बने जो MSP ना खरीदी की शिकायतों पर प्रदेश के मुख्यसचिव या IG तक को सम्मन जारी करके तलब कर सके जैसे अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष (मंत्री स्तर) को होते है। लागत मूल्य के निर्धारण के लिए प्रयोग होने वाला डेटा NSSO सर्वे द्वारा इकट्ठा हो ताकि सरकारें उसमे किसान लूट की संभावनाएं ना कर सके।
नंबर 3) सरकार द्वारा शहीद हुए किसानों को मुआवजा ओर मुकद्दमे वापसी
नंबर 4) जब जब सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग बनाया जाये उसी के साथ NFC (राष्ट्रीय किसान आयोग) का गठन भी हो। इसमे आधे सरकार द्वारा नामित लोग हो और आधे किसान। जैसे सरकारी कर्मचारियों की आय व्यय, वेलफेयर इत्यादि के सवाल हर पांच-साल सालो मे संभाले जाते है किसान का वेलफेयर भी उनके साथ ही संभाले जाएं। अगर NFC रेगुलर नही बनेगा तो C2 प्लस 50% भी 8-10 सालो मे बिल्कुल बेअसर हो जायेगा।
नंबर 5) कृषि कानूनों की वापसी या कम से कम 2024 तक स्थगन। जब MSP मिलता होगा तो किसान मजबूत ही होगा। 2024 मे नई सरकार अगर इन बिल को लाएगी तो फिर लड़ लेंगे, कोई मर थोड़ा जाएंगे।
नंबर 6) खेती आमदनी मे गेंहू व चावल की कुल कीमत से भी ज्यादा पैसा किसानों को देने वाले दूध को MSP के अंदर लाया जाए। आज पानी की बोतल से सस्ता दूध बिकता है किसानों का।
नंबर 7) कृषि क्षेत्र के योगदान के अनुसार ही केंद्रीय बजट मे कृषि क्षेत्र को धन आवंटन हो। साल दर साल कृषि क्षेत्र के आवंटन (बजट परसेंटेज) कम होने से आधारभूत ढांचे का विकास नही हो पाया।
नंबर 8) राष्ट्रीय बीज अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए और इसमे देश की स्वतंत्रता बचाये रखने के लिए मोनसेंटो जैसी GM बीज कंपनियों को बाहर रखा जाए।
नंबर 9) कृषि क्षेत्र को उद्योग का दर्जा मिले।
नंबर 10) कृषि सब्सिडी खाद कंपनियों के बजाये सीधी किसान को मिले। जो ऑर्गेनिक खेती वाला किसान आज यूरिया या NPK प्रयोग नही करता उसकी सब्सिडी उसे नही मिलती।