-महक सिंह तरार॥
मुम्बई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी की पांच सौ पन्नो की चैट क्या छाप दी, ऐसा लगा कि जैसे अपने देश में वास्तव में रामराज्य दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. और बुरे लोगों का मुँह काला होने ही वाला है. जबकि दो दिन से समझा समझा के हार गया हूँ कि भैये यह देश पानी में गयी भैंस के समान हो गया ह. जब मन करेगा तो आ जायेगी, वरना उसे तो कल्लोल करने में बड़ा मजा आ रहा है. खैर अब पढ़ लीजिये इस रिपोर्ट को. बस हाथ के तोते मत उड़ने दीजिएगा. क्योंकि तोता उड़ेगा ही नहीं क्योंकि आपने उसके पर जो काट दिये हैं.
कुछ भोले (असली शब्द गधे पढ़ा जाये) लोग इस पर अर्णब को सलाखों के पीछे देखने का ख्वाब देख रहे हैं तो कुछ उसको नीचा दिखाकर खुद को ऊंचा देखने का भ्रम पाल रहे हैं. जिन को लगता है कि अर्णब बहुत बड़ी तोप है, वो लोग सरकारी अधिकारियों और नेताओं के गठजोड़ को ना समझने वाले भूले भटके आदर्शवादी हैं या हरकिशन सुरजीत के ज़माने वाले कम्युनिस्ट हैं. कुछ गोबर पट्टी के स्कूली कितानों द्वारा बुने गये आदर्शवादी संजाल में बिदबिदा रहे मूर्ख भी हों तो आश्चर्य नहीं.
आखिर ऐसा क्या कह दिया अपनी चैट में अर्णब ने, जो इससे पहले इससे कई गुणा ज्यादा कहा सुना नहीं गया..तब भी आप मूर्खों की तरह इस चैट की बिना पर प्यादे से बादशाह को मारने पे तुले हो.. दरअसल मीडिया द्वारा भारतीयों की याद्दाश्त के फ्रेम को इस कदर बार बार तेजी से रिफ्रेश किया जाता है कि जो मुद्दे दूसरे देशों में सरकारों को उखाड़ फेंकते रहे हैं, वो मुद्दे भारत मे अर्णब जैसे लोग ब्लैक डॉग के पैग चिकन लेग पीस के साथ गटक कर भारत की जनता के मुंह पर मूत कर सो जाते हैं.. क्या क्या नहीं हुआ विगत वर्षों में.. लेकिन रिजल्ट-बाबाजी का घंटा..
आदर्श सोसाइटी घोटाले में पक्ष-विपक्ष के नेताओं, बड़े बड़े अफसरों- सबके नाम सामने आये.. केस पानी की तरह ट्रांसपेरेंट था, लेकिन क्या हुआ..तमाशा-बच्चों बजाओ ताली.
नीरा राडिया की टेप आयी. पत्रकारों के, मीडिया हाउस के, नेताओं के, उद्योगपतियों के कच्चे चिट्ठे खुले. कुछ बदला क्या. केस में संलिप्त जिस मीडिया हाउस की एक महान पत्रकारा से राडिया की दिन रात बातचीत होती थी, उसी मीडिया हाउस के आज के क्रांतिकारी और मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार से जब उसी समय मैंने पूछा था कि अपने मुँह से तो सच पोंको, तो उसने मुँह ही सिल लिया था.
पनामा पेपर्स में देश के जिन जिन नेता-अभिनेता- अफसर के शामिल होने की बात पुख्ता सबूतों के साथ सामने आयी. उसका कौन सा बाल हमने-आपने नोच लिया. जबकि उसी मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक को इस्तीफा देना पड़ा था. वहां की कोर्ट ने पाकिस्तान के सबसे बड़े उद्योगपति व प्रधानमंत्री को लंदन में मात्र दो फ्लैट की डिटेल छुपाने का दोषी पाया था, उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. सरकार ही बदल दी, भारत में क्या हुआ? महानायक हूं मैं क्या उखाड़ लोगे मेरा.?
शांतिभूषण (पूर्व कानून मंत्री) ने एफिडेविट पर 7 में से 5 चीफ जस्टिस के भ्रष्टाचारी होने का दावा किया. तिस पर बड़ी अदालत गुर्रायी- बुड्ढे तुझे जेल मे फेंक देंगे- उसने कहा करो सुनवाई स्टार्ट, मैं साबित करता हूँ. तब से आज तलक किसी ने हवा भी पास नहीं की. पूरा मामला ही घोंट कर पी डाला. इस कदर सन्नाटा छाया हुआ है उस केस को लेकर कि तारीख नहीं मिल पा रही वर्षों से.
एक विचारधारा के पोषक रोहित वेमुला, दाभोलकर, पनसारे, कलबुर्गी, गोरी लंकेश वगैरह का चुन चुन कर कत्ल किया गया..जज लोरा का कत्ल..कुछ हुआ क्या?
दादरी में अखलाक की मोब लिनचिंग केस की जांच हुई. जांच से पता लगा कि उसके फ्रिज मे गौमांस था ही नहीं. तो उसकी हत्या में नामित 17 मुजरिमों को सजा के बजाये सम्मानित करके सरकारी उपक्रम में नोकरियाँ दे दी गयीं. बुलंदशहर की पागल भीड़ की हिंसा को रोकने के चक्कर में एक पुलिस इंस्पेक्टर को अमानवीय हो कर मारा हत्यारों ने. जिन्होंने मारा वो छूट कर बाहर आ गए. और बाहर आने पर उनके नेताओं ने उनके गले में फूलों का हार पहना कर उनकी वीरता का गुणगान किया. सर, कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
2014 में एक राजनेता ने दावा किया कि लोकसभा इलेक्शन के लिए सभी कैंडिडेट अपने खिलाफ केस का ब्यौरा देंगे.. मैं जीतने वालों को फ़ास्टट्रेक कोर्ट में डालकर एक साल में संसद को निर्मल कर दूंगा..कुछ साल बाद एक बम धमाके जैसे आंतकवादी केस में नामित औरत को अपनी पार्टी से जिताकर उसके साथ संसद भवन की गरिमा बढ़ायी जा रही है..और वो खुल कर महात्मा गांधी के हत्यारे को महिमामंडित कर रही है..किसी की रग फड़की क्या?
अपने एक बजट के दौरान जेटली ने राजनीतिक दलों द्वारा लिए जा रहे देशी, विदेशी चंदे को सभी तरह की जांच से मुक्त कर दिया. अब चाहे कोई पार्टी सीधे पाकिस्तान, चीन से बैंक में चंदा ले. उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला. कुछ हुआ? किसी ने जुम्बिश भी ली?
-इसके अलावा जेटली ने रक्षा सौदों में दलाली को लीगल कर दिया और अब दलाल खुल कर सीधे पार्टी को कमीशन दे सकता है. कोई कानूनी जांच नहीं होगी, कुछ हुआ क्या?
राफेल में झूठ पर झूठ की लाइन लगा दी गयी. निर्माता कंपनी के देश फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने जब सीधा कह दिया कि रिलायंस के अलावा हमे कोई ऑप्शन नहीं दिया गया तो हंगामा उठा.. सबसे बड़े जज ने एक दिन कागज मांगे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ़ाइल तलब करते ही निर्मला सीतारमण तुरंत दो घण्टे में बिना schedule के फ्रांस पहुंच गयीं.. उस बड़े जज के खिलाफ तुरंत अवैध यौन संबंधों का केस हो गया. तब जांच की प्रक्रिया मोटरसाइकिल प्रेमी जूनियर को सौंपी गई. बड़े जज ने सरकार को क्लीन चिट दे दी. जूनियर ने बड़े जज को क्लीन चिट दे दी. बड़े जज रिटायर हो कर राज्यसभा में, जूनियर अभी बड़े जज की सीट पर हैं. आखिर में एक घटिया बॉलीवुडी फिल्म देखिये. फ़ाइल खो गयी, कागज जल गये, फ्रांस तक में फ़ाइल खो गयी, रिलायंस दिवालिया हो गया, पर 28 हजार करोड़ झींगा लाला हो गए. बुद्धि में कुछ घुसा क्या?
मतलब आपको एक narrow spectrum वाला एजेंडा पकड़ाया जाता है और आप समझते हैं कि आप बहुत कुछ उखाड़ रहे हैं..आप कुछ उस तरह खुश होते हैं जैसे एक जमाने में क्रिकेट मैच खिल रहा होता था और विपक्षी टीम का कोई राजवाड़े से जुड़ा राजा या राजकुमार कैच पकड़ कर इस कदर इतराता था कि वो अंपायर की नोबॉल की पुकार भी नहीं सुनता था..और दोनों बल्लेबाज दौड़ दौड़ कर सिंगल से ही शतक बना लेते..
कभी कभी आप जो चाह रहे होते हो वो हो भी जाता है मगर वो आपके चाहने से नहीं बल्कि उस समय तंत्र के चाहने से ऐसा होता है.. बाकी तो 99 फीसदी चलचित्र जैसी अदृश्य पटकथा आपको बिज़ी रखती है.. दरअसल आप फेसबुक पर लिखकर सोचते हैं कि आपने कुछ बदल दिया.. नहीं, ऐसा कुछ नहीं..बल्कि जिस गलत के खिलाफ आप सड़क पर लड़कर कोई स्थायी बदलाव ला सकते थे, फेसबुक पर लिखकर उस प्रेशर को सेफ्टी वाल्व दे दिया आपने..
इस नाममात्र के freedom of expression के झूठ को समझने के लिए नोम चोम्स्की के 1998 मे The common goods में दिए गए एक कालजयी स्टेटमेंट को पढ़ें..
अर्णब और उसके मालिक ने कितनी रक्षा सौदों की पार्लियामेंट कमेटी मे हिस्सेदारी रखी, खोजो.. कैसे मोदी की नाक के नीचे मीडिया में रिलायंस की मोनोपोली बनाई गई, समझो.. ये सबूत है कि डिस्कोर्स को कंट्रोल, ड्राइव ओर खत्म करने की उनकी पावर अनलिमिटेड है.. आप तंत्र के कार्टून हैं बस.. चिल्लाते रहिये अर्णब जैसे प्यादों पर..मास्टर पर्दे के पीछे से आप पर हंसता रहता है..