पिछले कई दिनों से भगत सिंह क्रांति सेना नाम के एक संगठन के युवा अध्यक्ष तेजेंदर पाल सिंह बग्गा, श्रीराम सेना की दिल्ली इकाई के नौजवान अध्यक्ष इन्दर वर्मा और दोनों के विचारों से प्रभावित एक और किशोर विष्णु गुप्ता मीडिया के अपने संपर्कों से प्रशांत भूषण के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में जाने की जानकारी प्राप्त कर रहे थे। कई पत्रकारों से उन्होंने इसके बारे में पूछा था कि टीम अन्ना के इस अहम सदस्य को कैसे और कहां पकड़ा जा सकता है। बुधवार को भूषण के टीवी इंटरव्यू चलने और कैमरा मौजूद रहने की भी उन्हें पुख्ता जानकारी थी। सवाल यह उठता है कि क्या इस हादसे (या ड्रामे) की जानकारी मीडिया को पहले से थी और वह लाइव फुटेज़ की लालच में चुप था? सवाल यह भी है कि क्या पत्रकारों ने इसकी चेतावनी पहले दे दी थी और वकील साहब ने जान-बूझ कर लात खाई?

दरअसल दोनों ही संगठन खुद को देशभक्त मानने वाले ऐसे नौजवानों के हैं जो अन्ना आंदोलन के हिंदूवादी योग गुरु बाबा रामदेव से दूरी बनाने के पैंतरे से उसकी ‘असलियत’ समझ लेने का दावा कर रहे थे। इन संगठनों का मानना है कि टीम अन्ना कांग्रेस के इशारे पर ही काम कर रही है। दोनों के फेसबुक प्रोफाइल पर जाएं तो उनकी विचारधारा की भी धलक मिलती है जिसके मुताबिक राहुल गांधी के पक्ष में जनमत बनाना ही अन्ना के आंदोलन का मूल मकसद है। दोनों संगठन, खास कर भगत सिंह क्रांति सेना के सदस्य एक अर्से से फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से टीम अन्ना के अन्य सदस्यों की ‘पोल खोलने’ में जुटे हैं।
भगत सिंह क्रांति सेना कुछ महीने पहले तब चर्चा में आया था जब लेखक खुशवंत सिंह ने अपने पिता सर शोभा सिंह के नाम पर विंडसर प्लेस का नाम रखने की मुहिम चला रखी थी। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि सर शोभा सिंह ने असेंबली बम कांड मामले में शहीद भगत सिंह के खिलाफ अदालत में गवाही दी थी। उस वक्त किसी भी राजनीतिक दल ने इस मुद्दे पर साफ सफ कुछ भी कहने से बचने की कोशिश की थी, तब सिर्फ इसी सेना ने जंतर-मंतर पर धरना दिया था। बाद में हंगामा बढ़ने पर मनमोहन सिंह सरकार ने विवादास्पद लेखक के बदनाम पिता के नाम पर किसी भी सार्वजनिक स्थल का नामकरण करने से मना कर दिया था।

भगत सिंह क्रांति सेना के अध्यक्ष तेजेंदर पाल सिंह बग्गा का परिवार मूल रूप से बिहार के रहने वाला है और एक अर्से से दिल्ली में बसा हुआ है। एक सिख होने के बावजूद बग्गा का मानना था कि दो सिख (खुशवंत सिंह और मनमोहन सिंह) अपने धर्म के लोगों के दिलों की भावनाएं नहीं समझते हैं। प्रशांत भूषण की पिटाई पर बग्गा ने ट्विटर, फेसबुक और एसएमएस के जरिए न सिर्फ इस कांड की जिम्मेदारी ली बल्कि हमले में शामिल रहे इंदर वर्मा के परिवार को सरिता विहार में और अपने पिता को तिलक नगर में पुलिस द्वारा उठाए जाने की भी जानकारी दी। बग्गा ने बड़े उत्साह में फोन पर प्रशांत भूषण की पिटाई की जानकारी देते हुए बताया, ”उसने हमारे देश को तोड़ने की कोशिश की, मैंने उसका सिर तोड़ने की कोशिश की.. हिसाब बराबर..”
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के कुछ नेता प्रशांत भूषण की पिटाई पर खुशी जता रहे हैं, जबकि हकीकत ये है कि बग्गा और उनके साथी टीम अन्ना के सदस्यों से जितनी नफरत करते हैं उससे कहीं ज्यादा घृणा वे अन्ना के खिलाफ मोर्चा खोले कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के प्रति रखते हैं। फेसबुक पर ये ग्रुप उन्हें ‘पिग’-विजय कह कर बुलाता है। कुछ दिनों पहले उनके संगठन ने सुब्रहमण्यम स्वामी के घर पर हुए हमले के खिलाफ पुलिस स्टेशन पर धरना भी दिया था और उनके ताजा रहस्योद्घाटनों को प्रचारित करने में भी जुटा था।

प्रशांत भूषण की पिटाई में गिरफ्तार हुए इंदर वर्मा मूल रूप से पंजाव के जालंधर के निवासी हैं, लेकिन काफी अर्से से दिल्ली में हैं। कुछ ही महीने पहले उन्हें श्रीराम सेना की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था और यह ताजपोशी हिन्दुस्थान मोर्चा के अध्यक्ष व पूर्व सांसद बीएल शर्मा ‘प्रेम’ के हाथों बाकायदा एक समारोह आयोजित कर हुई थी। श्रीराम सेना ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साफ लिखा है कि यह पिटाई प्रशांत भूषण के देश विरोधी बयान के कारण की गई है।
प्रेस विज्ञप्ति में इन्द्र वर्मा के बयान के मुताबिक, “प्रशांत भूषण का कश्मीर पर दिया गया भारतीय विरोधी बयान असहनीय है। हमारी सेना और सुरक्षाबलों के खिलाफ अनर्गल बयान देने वाले दुश्मन के एजेंट के समान है। हमें हैरानी है कि हमारी देश की राष्ट्रपति जो तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर है, प्रशांत भूषण जैसे लोगों को देखते ही गोली मरने का आदेश क्यों नहीं देती। खैर हम भारत वासियों के भी कुछ फ़र्ज़ है। हमें ऐसे देशद्रोही को सबक सिखाना ही होगा। जय हिंद-जय हिंद की सेना।”
प्रेस विज्ञप्ति में आगे लिखा है कि प्रशांत भूषण, जो टीम अन्ना के सदस्य हैं, ने कश्मीर पर बयान दिया था कि “कश्मीर से सेना हटाई जाए क्योंकि भारतीय सेना वहां पर अत्याचार कर रही है।” भूषण ने ये भी कहा था कि कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। प्रशांत भूषण ने इरोम शर्मीला के साथ सुर मिलाते हुए AFSPA का भी विरोध किया था।
सवाल यह है कि जब मीडिया में सब को पता था तो क्या एक वर्ग की सहानुभूति बग्गा और उसके साथियों के साथ थी जिसने उनकी मदद की? या फिर जाने-अनजाने ही बग्गा और उनके साथियों ने अपने संदेश को फैलाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल किया? अगर ऐसा है तो मीडिया में भी कई लोग हैं जिन्हें इस्तेमाल होने पर गर्व है।
Excellent write up.. You are really great Dheeraj Sir ji..
The crux of the story shows the real face of committed and dedicated mediapersons. Hats off for them.
कमाल का लिखते हैं धीरज जी.. आपने मेरे ही नहीं करोड़ों हिन्दुस्तानियों के दिल की बात कह डली.. तेजेंदर बग्गा और इंदर के साथ-साथ आपको और क्रांती सेना व श्री राम सेना का सहयोग करने वाले मीडियाकर्मियों को दिल से सलाम.
jabardast