पूरी दुनिया में राजनीति तरह-तरह के मुद्दों पर होती है। महिलाओं, मजदूरों, गरीबों, बच्चों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, स्वच्छता, रक्षा, अनुसंधान, जल, जंगल, जमीन, जानवरों से जुड़े मुद्दे, धर्म, आध्यात्म, विज्ञान, व्यापार और न जाने किन-किन विषयों पर राजनीति गर्म होती है। इन मुद्दों पर सरकारें बनती और गिरती हैं, इन्हीं पर चुनाव भी लड़े जाते हैं। लेकिन भारत में अब मोहब्बत राजनीति का मुद्दा बना दिया गया है।
कितनी अजीब बात है कि दो विजातीय बालिग लोगों के बीच विवाह को, प्यार की नहीं धार्मिक कट्टरता की कसौटी से गुजारने की तैयारी कर ली गई है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जो उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद का है। अंतर-धार्मिक विवाह का रजिस्ट्रेशन कराने जा रहे एक जोड़े को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने रोक लिया और उन्हें पुलिस थाने लेकर गए। इस वीडियो में एक महिला से कांठ पुलिस थाने में गले में भगवा गमछा बांधे बजरंग दल के कार्यकर्ता सवाल कर रहे हैं। एक व्यक्ति पूछता है, हमें डीएम की अनुमति दिखाओ कि तुम अपना धर्म बदल सकती हो। दूसरा व्यक्ति पूछता है क्या तुमने नया क़ानून पढ़ा है या नहीं।
गौरतलब है कि बीते 24 नवंबर को उत्तरप्रदेश सरकार तथाकथित लव जिहाद को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ ले आई थी। इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उत्तरप्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया है, और कई भाजपाशासित राज्य अभी कतार में हैं। इस कानून के तहत ही मुरादाबाद के इस विवाहित जोड़े को बजरंग दल के सवालों का सामना करना पड़ा। खबर के मुताबिक कांठ पुलिस स्टेशन पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो में दिख रहा है कि लड़की निकाहनामे की एक कॉपी दिखा रही है जिसमें उसका मुस्लिम नाम है और उसी रीति-रिवाज से शादी की है।
लड़की सबूत के तौर पर अख़बार में छपा विज्ञापन भी दिखा रही है जिसमें उसने अपना नाम बदला था। उत्तर प्रदेश में जो नया कानून पास हुआ है उसमें शादी के लिए धर्मपरिवर्तन को प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन इस लड़की की शादी नया कानून आने से पहले हुई है। लड़की की मां के कहने पर लड़के और उसके भाई के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज की है। लड़की की मां का आरोप है कि उस पर धर्मपरिवर्तन के लिए दबाव बनाया गया। हालांकि वायरल वीडियो में 22 वर्षीय लड़की का कहना है कि वो बालिग़ है और पांच महीने पहले उन्होंने शादी की थी और वो इसका पंजीकरण कराने के लिए कोर्ट आई थीं। अभी यह साफ नहीं है कि लड़की ने अपना धर्मपरिवर्तन किया है या नहीं। भाजपाशासित सरकारें जब विजातीय प्रेम विवाहों को रोकने के लिए क़ानून बनाने की बात कह रही थीं, तभी इस तरह की आशंकाएं व्यक्त की गई थीं कि अब धर्मपरिवर्तन के नाम पर धर्म और संस्कृति के स्वघोषित ठेकेदारों को खुला खेल खेलने के लिए मैदान मिल जाएगा।
जब छेड़खानी रोकने के नाम पर एंटी रोमियो स्क्वाड बनाए गए थे, तब भी इस तरह कई मासूम लोगों को अपमानित होना पड़ा था। प्रेमी जोड़ों के साथ-साथ कई बार पति-पत्नी या भाई-बहन को भी अपने रिश्तों की पवित्रता अकारण साबित करना पड़ा था। धर्म की आड़ में अपनाया जा रहा यह तंग नजरिया न केवल समाज बल्कि लोकतांत्रिक राजनीति के लिए भी घातक साबित होगा, क्योंकि इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के शोषण के नए रास्ते खुल जाएंगे। अभी असम से एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें बजरंग दल का एक नेता धमकी दे रहा है कि क्रिसमस के दिन हिंदू चर्च न जाएं, अन्यथा बजरंग दल उन्हें जवाब देगा।
इस तरह की धमकी गैरकानूनी है और संविधान की भावना के खिलाफ है। सदियों से इस देश में सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में सहर्ष भागीदारी करते रहे हैं। संविधान उन्हें ऐसा करने की अनुमति देता है, लेकिन भाजपा राज में मजबूत हो रहे दक्षिणपंथी संगठन अब कानून से ऊपर अपने आदेशों को शायद रखने लगे हैं। 1994 के एस.आर. बोम्मई केस में न्यायाधीश के. रामास्वामी ने कहा था, कट्टर धार्मिक सोच न केवल नजरिए को संकुचित करती है बल्कि कानून के राज को भी कमजोर करती है। धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा मिलने से ऐसी ताकतें मजबूत होती जाती हैं, जो दो अलग धर्म के लोगों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने का काम करती हैं। ऐसे दौर में लोकतंत्र भी कमजोर होता है। यह देखना दुखद है कि 26 साल बाद यह टिप्पणी बिल्कुल सामयिक है, और भारत के लोगों के लिए चेतावनी है। हम अगर अब नहीं संभले तो बाद में जो बिगड़ेगा, उसे सुधारना बहुत कठिन होगा।
(देशबंधु)
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