लगता है मुंबई हमले में गिरफ्तार और फांसी की सजा पाए पाकिस्तानी आतंकी आमिर अजमल कसाब ने भारतीय कानून की पेचीदगियां सीख ली है। दर्ज़नों लोगों को निर्ममता से मौत के घाट उतार कर खूनी हंसी हंसने वाला यह हत्यारा अब खुद को बहकाया हुआ बता कर बेकुसूर साबित करने में जुटा है। एक बार फिर खुद को बख्श देने की गुहार लगाई।
कसाब में सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि मुंबई अटैक जैसा घिनौना काम करने के लिए उसका खुदा के नाम पर एक रोबॉट की तरह ‘ ब्रेनवॉश ‘ किया गया था। उसने अपील में कहा कि उसकी कम उम्र को देखते हुए उसे फांसी जैसी कठोर सजा नहीं दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को चुनौती देने वाली अपनी विशेष याचिका में कसाब ने अपने वकील गौरव अग्रवाल के जरिए से कहा कि वह बेकसूर है। उसके कथित कबूलनामे का कोई महत्व नहीं है। वह अपने इस कबूलनामे से इनकार कर चुका है , लेकिन इसी को आधार बनाकर उसे फांसी की सजा सुना दी गई।
अपनी अपील में उसने ये तो माना है कि उसने अपराध किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि चूंकि उसका ब्रेनवॉश कर दिया गया था इसलिए वह हाई कोर्ट से फांसी जैसी सजा का हकदार नहीं था। याचिका में उसने कहा कि हाई कोर्ट ने उसे फांसी की सजा देते वक्त उसकी 21 साल की कम उम्र को ध्यान में नहीं रखा।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कसाब इस तरह अपनी सजा को अगर माफ न भी करवा पाया तो वर्षों तक लंबित जरूर करवा सकता है। गौरतलब है कि कसाब की सिक्योरिटी पर पैसा पानी की तरह बह रहा है। ऐसी भी खबर है कि कसाब को छुड़ाने के लिए आतंकवादी कंधार हाइजैक जैसा कांड दोहरा सकते हैं। कंधार केस को देश अब भी नहीं भूल पाया है, जब आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस के प्लेन आईसी-814 को हाइजैक कर लिया था और बदले में भारत सरकार को तीन खूंखार आतंकवादियों मौलान मसूद अजहर, उमर शेख और मुस्ताक जरगर को रिहा करना पड़ा था।
कसाब की सुरक्षा के भारी खर्च पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ”हम कानून से परे नहीं जा सकते, चाहे इसके लिए कितना भी खर्च क्यों ना करना पड़े।” कसाब की सुरक्षा पर महाराष्ट्र सरकार ने ट्रायल के दौरान 31 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
Hamare Deash me nayay ka samarajy hai kisi vakati vishesh ka nahi……….. is liye kishi ko saja dene se pahale use suna jata hai na ki saja dene ke baad……. isliye kisi vishesh samudaye ko criticize nahi karna chiye……………..
mere paas
iski ninda karne ke liye shabd nhi
mill rahe
pichle 15 minute se sirf yahi soch
raha hu ye likhu vo likhu or fir
lagta hai ki nhi ye to bahut kam
hai
to sabka moral yahi nikala ki mere
paas to iski ninda karne layak
shabd hi nhi hai