-पंकज चतुर्वेदी।।
कोरोना काल के शुरुआत में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात का मुद्दा काफी जोरशोर से उठा था. गुरुवार को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें तबलीगी जमात की छवि खराब करने को लेकर याचिका दायर की गई थी. सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आज के वक्त में अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक आधार का सबसे अधिक दुरुपयोग हो रहा है.
दरअसल, इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया था. जूनियर अफसर द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि तबलीगी जमात की छवि को लेकर किसी तरह की गलत रिपोर्टिंग नहीं हुई है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे को सुप्रीम कोर्ट ने गोलमाल करार दिया और कहा कि सीनियर अधिकारी फिर से इसे जमा करे.
सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान पूछा कि कोरोना काल में तबलीगी जमात को लेकर किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उसपर सरकार की ओर से क्या एक्शन लिया गया, इसकी जानकारी दें. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, सरकार उनका तथ्यों के साथ सही जवाब दे.
इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने उन शक्तियों की भी सूची मांगी है, जिनका इस्तेमाल सरकार ने अपने अधिकारों के तहत किया.
आपको बता दें कि तबलीगी जमात मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमीयत-उलेमा-हिंद की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें संगठन की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया था. अदालत को दिए अपने जवाब में केंद्र की ओर से कहा गया कि वो मीडिया को किसी मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते हैं.
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