-आशीष व्यास।।
सवाल ये है कि हाथरस के डीएम और एसपी ने जो कुछ किया या करने का आदेश दिया वो खुद से दिया या दिलवाया गया था?
खबर है डीएम और एसपी सस्पेंड कर दिए गए हैं. पक्का ये कहकर कुछ दिन में फिर जॉइन करवा देंगे, मामला शांत करना है अभी. डीएम और एसपी का नार्को टेस्ट होगा, पीड़िता के घर पर तैनात पुलिस कर्मियों का नार्को टेस्ट होगा. सब ठीक है, पर जिसके इशारे पर ये सब हुआ उसका होगा?
प्रशासन की नौकरी शुरू से कुत्तई वाली ही थी, मालिक की बात आँख बंद करके बिना सही गलत के बस पूछ हिलाने वाली. क्योंकि उनको भी मेवा खाना है नौकरी का!
हर रोज ऐसे सैकड़ो बलात्कार होते हैं, एक आधा ही मीडिया में आते हैं. अभी दौर चल गया है बलात्कार पर खबर आने का, तो लग रहा कितने बलात्कार हो रहे हैं, सरकार, पुलिस कुछ नही कर रही, जंगलराज हो गया है। चार दिन तक खूब चलेंगे फिर न्यूज़ से गायब हो जाएगी ऐसी खबरे. पर बलात्कार नही रुकेंगे. ऐसे ही वीभत्स टाइप होते रहेंगे, रोज होंगे. रोज किसी न किसी बलरामपुर किसी हाथरस की लड़की के साथ होगा. पुलिस ऐसे ही पीड़ित के घर वालो को बलात्कार के आरोपियों के घर वालो से पैसे लेकर कम्प्रोमाइज करवाने का काम करती रहेगी! बस वो बलात्कार टीवी न्यूज, सोशल मीडिया की खबरों में नही आएगा तो लगेगा राज्य देश में अब सब सेट हो गया है. सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है. पुलिस का क्रूर चेहरा नही दिखेगा।
पुलिस भी किसी लड़की की साइकिल पर चेन चढाने वाला फोटो डाल के ट्वीटर पर रिट्वीट कमा रही होगी। भदोही का एक पुलिस कर्मी किसी बुजुर्ग को सड़क पार करा देगा जिसको पूरे उत्तर प्रदेश के हर जिले के पुलिस के ट्वीटर हैंडल से रीट्वीट किया जाएगा। आपको भी लगेगा पुलिस बहुत फ्रेंडली हो गई है. किसी झँटउखरे पुलिस को आप भी सिंघम समझ के वाह वाह करेंगे! पर जो कायम रहेगा वो ये होगा… राजनीति. शासन की धूर्तता. प्रशासन की नीचता. ब्लात्कार. आवाज दबाने का काम. कम्प्रोमाइज! और मीडिया का….. रसोड़े में कौन था?