-पूनमचंद भंडारी।।
आम वकील बहुत परेशान हैं, मुवक्किल भी परेशान हैं , वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सिर्फ चंद वकील ही कमा रहे हैं और वे नहीं चाहते हैं कि कोर्ट में काम शुरू हो। जबकि सारे काम शुरू हो गए हैं तो न्यायालय क्यों नहीं खुलें? अर्जेंट मुकदमों की सुनवाई कोर्ट में होनी चाहिए क्योंकि हर वकील के पास वीडियो कोंफ्रेंस की सुविधा नहीं है आम वकीलों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो रही है और मुवक्किल परेशान हो रहे हैं आपने राजस्थान में पार्षदों के चुनाव का आदेश दे दिया, लाखों लोग वोट देंगे और उम्मीदवार रेली सभाएं करेंगे प्रचार करेंगे तो कोरोना नहीं फैलेगा, पंचायत चुनावों में कोरोना नहीं फैला 24 लाख बच्चों ने परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा दी तो कोरोना नहीं फैला, करीब करीब सारे व्यापार शुरू हो गए, शादी समारोह आयोजित हो रहे हैं, सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी काम कर रहे हैं, सारे बाजार व मोल्स खुल गए हैं, ट्रेन बस हवाई जहाज चल रहे हैं तो कोरोना नहीं फैल रहा है लेकिन न्यायालय में काम होगा तो कोरोना फैल जाएगा।
आप लोग तो सामान्य स्थिति में भी दस फीट दूर बैठते हो। आपका न्यायालय कक्ष में आने जाने का रास्ता अलग है, फिर भी आप लोगों को कोरोना हो जाएगा?
अस्पताल में डाक्टर कम्पाउडर नर्सें और दूसरा स्टाफ काम कर रहा है, उन्हें कोरोना हो रहा है, कई मर गए हैं फिर भी सेवा कर रहे हैं। किट पहन कर पसीने पसीने हो रहे हैं। इन सभी के लिए भी यही आदेश कर दो कि आधे लोग ही काम पर आएंगे और आपकी तरह 10.30 से 1.00 बजे तक काम करेंगे। सारे सरकारी कर्मचारी, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी इसी तरह से काम करेंगे और पूरे प्रदेश में एक बजे बाद लोकडाउन के आदेश दे दीजिए और सरकार को आदेश दे दीजिए कि आधा काम करवाए और सबको पूरी तनख्वाह दे। अगर 05.10.020 से पूरा काम शुरू नहीं किया गया और न्यायालयो में वीडियो कोन्फ्रेंसिंग व प्रत्यक्ष सुनवाई के आदेश नहीं दिए गए तो हम आंदोलन करेंगे धरना देंगे और जरुरत पड़ी तो भूख हड़ताल पर बैठेंगे अतः आपसे निवेदन है कि आपने जो संविधान की शपथ ली है उसे निभाएं मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप संविधान की शपथ निभाएंगे।
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