-सुरेन्द्र ग्रोवर||
सरकारें असंवेदनशील तो होती हैं लेकिन यूपी की वर्तमान योगी सरकार तो परले दर्जे की असंवेदनशील साबित हुई कि उसके हाथरस जिला प्रशासन ने मानवीयता की सारी हदें लांघते हुए एक परिवार से उसकी बेटी के अंतिम संस्कार तक का हक छीन मानवाधिकारों को पुलिसिया जूत्ते के नीचे बेरहमी से कुचल डाला.
बेदर्दी और बेशर्मी का सिलसिला यहीं नहीं थमा और हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार न केवल उन सभी वीडियो को फर्जी करार देते रहे जो मौके पर मौजूद लोगों ने फिल्मा लिए थे बल्कि लगातार अड़े रहे कि मनीषा वाल्मीकि का दाह संस्कार पीड़ित परिवार की सहमति से किया गया है. इस महाझुठे आदमी को इतनी भी जानकारी नहीं कि उसको किसी भी हालत में संविधान ने ऐसी कोई ताकत नहीं दी कि आधी रात को पुलिस के बूते किसी नागरिक का अंतिम संस्कार कर सके.

मृतका मनीषा वाल्मीकि को समझाइश के नाम पर धमकाते हुए प्रवीण कुमार लक्षकार और हाथरस एसपी
प्रवीण कुमार लक्षकार की इस हरकत को न सिर्फ संविधान और मानवाधिकारों की हत्या माना जाना चाहिए बल्कि इसे देश की जनता से द्रोह बतौर देखा जाना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लक्षकार और एसपी पुलिस को तत्काल सेवा से बर्खास्त कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। यदि ऐसे निर्मम अफसरों की कार भी पलट जाए तो किसी को दुख नहीं होगा।
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