छत्तीसगढ़ से भाजपा का राज भले ही चला गया हो किंतु माफिया राज नहीं गया है, वह तो आज भी माफियाओं के शिकंजे में कसा हुआ है, और हो भी क्यों ना जब भाजपा सरकार थी तो भाजपा के माफिया सक्रिय थे और अब कांग्रेस सरकार है तो कांग्रेस के नेता और उनके समर्थक माफिया बने बैठे हैं.
हालात इतने बुरे हैं के पत्रकार भी सुरक्षित नहीं। यदि माफियाओं के खिलाफ कोई पत्रकार खबर लगा दे तो यह माफिया उन्हें पीटते पीटते थाने तक ले जाते हैं और कहते हैं जो बिगाड़ सकता है बिगाड़ के दिखा.
छत्तीसगढ़ के कांकेर मैं यही हुआ वहां के माफियाओं के खिलाफ कानपुर के स्थानीय पत्रकार सतीश यादव ने खबर लगाई तो कांकेर के पूर्व पालिका अध्यक्ष और उनके साथी पत्रकार सतीश यादव को मारते घसीटते थाने तक ले आए इस बारे में जब स्थानीय पत्रकारों को जानकारी मिली तो वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के साथ पुलिस थाने पहुंच गए तथा पत्रकार सतीश यादव का वीडियो रिकॉर्ड किया तथा फेसबुक पर लाइव कर दिया। इसके बाद यह पत्रकार पुलिस थाने के अंदर जाकर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने लगे। लेेेलेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी बल्कि चुपके से आरोपियों को खबर कर दी.
कमल शुक्ला ने पुलिस थाने के पुलिस थाने के आंगन से फेसबुक लाइव कर सब को सूचना दी और सहयोग मांगा। जब माफियाओं को यह पता लगा कि पुलिस थाने में पत्रकार इकट्ठा हो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं तो वे थाने पहुंच गए और कमल शुक्ला को घसीटते हुए पुलिस थाने से बाहर ले आए तथा पीटना शुरू कर दिया। यही नहीं स्थानीय पुलिस तमाशबीन बन इन कांग्रेसी गुंडों की गुंडागर्दी देखती रही।
जिससे साफ जाहिर होता है के किसी पुलिस वाले ने ही कांग्रेसी गुंडों को पत्रकारों के इकट्ठे होने की सूचना दी थी. अब भी अगर किसी को लगता है कि कांग्रेस भाजपा के फासीवादी राज से लड़ सकती है व बेहतर शासन व्यवस्था ला सकती है, तो उसकी समझ पर शक है.
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