-संजय कुमार सिंह||
मास्को में रक्षा मंत्रियों की बात चीत में क्या हुआ इसे कवर करने वाला कोई भारतीय पत्रकार नहीं था। विस्तृत जानकारी देने वाली कोई सरकारी विज्ञप्ति जारी नहीं हुई। जो खबरें आईं उसका आधार रक्षा मंत्री का ट्वीट था। इस आधार पर कुछ लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि रक्षा मंत्री को डांटा गया, हड़काया गया या ऐसा ही कुछ। जाहिर है इसे कम प्रचार-प्रसार मिलेगा। दूसरी ओर, सरकार का बाजा बजाने वाले अखबारों (में एक) ने लिखा है, India China Border Dispute : चीनी रक्षा मंत्री को राजनाथ सिंह ने सुनाई खरी-खोटी, कहा – भारत को लेकर भ्रम न पाले चीन। पूरी खबर पढ़ जाइए – पता नहीं चलेगा कि अखबार को यह बात कैसे मालूम हुई।

खबर में लिखा है, बैठक पर रक्षा मंत्री कार्यालय का बयान आया है जिसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फ़ेंघे ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के साथ भारत-चीन संबंधों पर खुलकर और गहन चर्चा की। और अब शीर्षक पढ़िए। इस खबर में यह नहीं कहा गया है कि चीनी रक्षा मंत्री ने क्या कहा। आपको पता होगा कि यह बैठक पहले से तय नहीं थी। अखबारों की खबरों के अनुसार, चीन ने बुलाई थी और प्रभात खबर की इस खबर के अनुसार खरी-खोटी सुनने के लिए। हालांकि, राजनाथ सिंह ये खरी-खोटी यहां से भी सुना सकते थे। एक सरकारी अधिकारी ने राजनाथ सिंह के बॉडी लैंग्वेज की तारीफ की है। यह सब कुछ जाने माने प्रचारकों की पोस्ट और ट्वीट से अलग नहीं है। मेरा मानना है कि जो हुआ वह (कम से कम) एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया जाना चाहिए था। बताया जाता तो अटकल नहीं लगती। नहीं बताकर अटकल लगाने के लिए छोड़ दिया जाता है। बाकी काम प्रचारक करते हैं। बाजा बजाने वाले अखबारों की क्या बात करूं? बस लिख दिया। यह आधुनिक देश भक्ति है। यही चल रहा है कई साल से …. शायद ऐक्ट ऑफ गॉड।
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