प्रदेश में भाजपा की मजबूती के लिये मानवेन्द्र सिंह की घर वापसी के लिये बन रहा है स्वागत द्वार? भाजपा में असमंजस, लेकिन जल्द फैसला लेंगे नरेन्द्र मोदी. कांग्रेस में घुल मिल नहीं पाये हैं मानवेन्द्र सिंह..
-ओम भाटिया।।
“कमल का फूल हमारी भूल” कहकर भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कर कांग्रेस में सम्मिलित होने वाले पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह की भाजपा में घर वापसी के समाचार एक बार फिर सोशल मीडिया में सुर्खियों बने नज़र आ रहे हैं। प्रदेश स्तर पर विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में जसवन्त समर्थक राजपूतों की नाराजगी दूर होने व भाजपा को मजबूत करने के लिये पार्टी स्तर पर कई नेता मानवेन्द्र सिंह की घर वापसी का स्वागत द्वार बनाने में जुटे हुए है। हालांकि भाजपा में इस निर्णय को लेकर असमंजस बरकरार है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्तर पर शीघ्र फैसला लिये जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। पिछले विधानसभा चुनावों से पूर्व स्वाभिमान रैली कर भाजपा छोड़ने वाले मानवेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री वसुंधरा के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर झालापाटरन से विधानसभा चुनाव अवश्य लड़ा था, लेकिन कांग्रेस में आज तक वह घुल मिल नहीं पाये।
पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह के पिता जसवन्त सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक रहे है तथा वाजपेयी मंत्रीमण्डल में वित्त-विदेश व रक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की कमान सम्भाल चुके हैं, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में वसुंधरा राजे से जो तलवारें खिंची तो वसुंधरा ने जसवन्त सिंह को बाड़मेर-जैसलमेर टिकट से तो वंचित रखा ही वहीं भाजपा से बाहर का रास्ता भी बता दिया था।
मानवेन्द्र ने स्वाभिमान रैली कर छोड़ी थी भाजपा
भाजपा के भीतर वसुंधरा युग था और वसुंधरा से लड़कर भाजपा की राजनीति करना तब के विधायक मानवेन्द्र सिंह के लिये बड़ा मुश्किल सा कार्य हो रखा था। एक समय था जब वसुंधरा राजे द्वारा निकाली गई परिवर्तन यात्रा के मुख्य सारथी स्वयं मानवेन्द्र सिंह थे। लेकिन वसुंधरा राजे के बीते मुख्यमंत्रीत्व काल में मानवेन्द सिंह को राजनैतिक हाशिये पर ले जा पटकने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने मानवेन्द्र सिंह से सब्र रखने को कहा था। बकौल स्वयं मानवेन्द्र ने कहा था कि जिस समय राजनैतिक घावों पर केन्द्रीय मरहम की जरूरत थी तो किसी ने मरहम नहीं लगाया, आखिर में भाजपा में दम घोंटु वातावरण को देखते हुए मानवेन्द्र सिंह ने गत विधानसभा चुनावों से पूर्व बहुचर्चित स्वाभिमान रैली करी तथा कमल का फूल हमारी भूल कहकर भाजपा को टाटा कर दिया। राहुल गांधी से मित्रता के चलते उनके घर में जाकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करी, लेकिन कांग्रेस में उन्हें कुछ मिल नहीं पाया।
कांग्रेस में घुल मिल नहीं पाये मानवेन्द्र सिंह
राहुल गांधी की नजदीकियों के चलते मानवेन्द्र सिंह ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण अवश्य कर ली लेकिन कांग्रेस में मानवेन्द्र सिंह कभी घुल मिल नहीं पाये, यही नहीं कांग्रेस के कुछ नेताओं ने विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस की टिकट दे उन्हें राजनैतिक मोहरा अवश्य बना उनके बीच व्यक्तिगत लड़ाई की आग को और भड़का कर रख दिया जबकि मानवेन्द्र विधानसभा की बजाय लोकसभा चुनाव की दावेदारी चाहते थे। लोकसभा की टिकट मिली लेकिन मोदी लहर में रिकार्ड मतों से पराजित हो गये उसके बाद कहने को मानवेन्द्र सिंह कांग्रेसी तो अवश्य रहे लेकिन कांग्रेस की राजनीति में कभी सक्रिय नज़र नहीं आये। बीते डेढ-दो साल में चाहे मुख्यमंत्री गहलोत बाड़मेर-जैसलमेर की यात्रा पर आये हो, मानवेन्द्र सिंह कभी उनके साथ नज़र नहीं आये, यही नहीं कांग्रेस के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस के भीतर कभी आगे नहीं बढ़ने दिया।
भाजपा में भी राह आसान नहीं
भाजपा में वसुंधरा बनाम अमित शाह जंग जग जाहिर है, केन्द्रीय नेतृत्व वसुंधरा को वर्तमान में प्रदेश की राजनीति में भले ही दरकिनार कर बैठा हो लेकिन वसुंधरा की प्रदेश में पकड़ अभी कमजोर नहीं हुई है। ऐसे में 18 के विधानसभा चुनावों में उनके सामने आ खड़े हुए मानवेन्द्र की घर वापसी के समाचारों से वसुंधरा राजे सक्रिय हो गई है, हालांकि मानवेन्द्र सिंह की वापसी होती है तो इसका फैसला मोदी अमित शाह एक झटके में ही ले लेंगे लेकिन इस निर्णय पर वसुंधरा खामोश रहेगी इसकी सम्भावना कम ही नजर आती है। वैसे भी केन्द्रीय नेतृत्व अकेले मानवेन्द्र सिंह की ही नहीं वरन् वसुंधरा राजे से प्रताड़ित कई अन्य नेताओं की घर वापसी के लिये स्वागत द्वार बना रहा है।
घर वापसी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं
क्या आपकी भाजपा में घर वापसी हो रही है, का सवाल पूछने पर पूर्व सांसद ने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी। जब उनसे कहा गया कि उनकी घर वापसी के समाचार सोशल मीडिया पर सुर्खियां बने हुए हैं तो उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया पर हूं ही नहीं। यही नहीं बताया जाता है कि पिछले दिनों फूटबाॅल संघ का प्रदेशाध्यक्ष बनने पर जैसलमेर में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकारों से राजनीति से जुड़े सवाल की पूछने की अनुमति भी नहीं दी थी तथा कहा था कि पत्रकार सिर्फ खेल संबंधी सवाल ही पूछे। कुछ दिन पूर्व जब प्रदेश की गहलोत सरकार संकट में थी तथा पूरी सरकार जैसलमेर आई थी तब भी मानवेन्द्र सिंह पूरे घटनाक्रम के दौरान कहीं भी सक्रिय नज़र नहीं आये थे।