कैप्टन कूल, मैच फिनिशर, लिविंग लीजेंड, माही, एम एस, इन तमाम संबोधनों से पहचान रखने वाले महेन्द्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त 2020 को अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अपने संन्यास की घोषणा इंस्टाग्राम के जरिए दी। समय उन्होंने चुना 7.29 का। सात, सवा सात या साढ़े सात क्यों नहीं, ये तो धोनी ही बता सकते हैं। वैसे भी धोनी सबको अपने फैसलों से चौंकाने में माहिर हैं। 2014 दिसंबर में इसी तरह उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर विजय दाहिया ने कुछ वक्त पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि मुझे लगता है कि महेंद्र सिंह धोनी के साथ अगर कोई 30 साल भी रह ले तो वह इंसान भी नहीं जान पाएगा कि धोनी क्या सोच रहे हैं और आगे क्या करने वाले हैं। ऐसे ही हैं महेंद्र सिंह धोनी।
आज उनकी यह बात सौ फीसदी सच लग रही है। वैसे तो बीते एक-डेढ़ साल से धोनी के रिटायरमेंट को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। उन्हें टीम इंडिया में शामिल न करने को लेकर या उनके फार्म को लेकर सवाल भी उठ रहे थे। लेकिन इस तरह के सवाल उठाने वाले भी जानते थे कि भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाने का काम जिस तरह महेन्द्र सिंह धोनी ने किया है, उसकी कोई मिसाल नहीं है। क्रिकेट टीम गेम है, इसलिए किसी एक खिलाड़ी को सफलता का श्रेय नहीं दिया जा सकता। बीते बरसों में महेन्द्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने जो सफलता हासिल की, उसके पीछे तमाम खिलाड़ियों की मेहनत थी, और उन खिलाड़ियों पर भरोसा जताने का काम कैप्टन कूल ने किया।
खासकर छोटे शहरों औऱ मध्यमवर्गीय परिवारों से आए लड़कों पर न केवल भरोसा जताया, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी भरा। धोनी खुद साधारण परिवार से आते हैं और संघर्ष के बाद टीम इंडिया में उन्होंने अपनी जगह बनाई, इसलिए वे जानते हैं कि छोटे शहरों के आम परिवारों से आने वाले लड़कों पर कितने किस्म का दबाव और उम्मीदों का बोझ होता है, इसका असर उनके खेल पर भी पड़ता है। इसलिए धोनी ने हमेशा नए खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की और उन पर भरोसा जताकर उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। यह बात उन्हें अपने समय के अन्य दिग्गज खिलाड़ियों से अलहदा करती है। कितनी दिलचस्प बात है कि धोनी के संन्यास लेने की घोषणा के तुरंत बाद ही सुरेश रैना ने भी इंस्टाग्राम पर अपने संन्यास की घोषणा कर दी। उन्होंने लिखा -आपके साथ खेलना सिर्फ और सिर्फ प्यारी बात थी माही। गर्व से भरे अपने दिल के साथ मैंने आपकी इस यात्रा में शामिल होना चुना है। थैंक यू इंडिया। जय हिन्द!
कह सकते हैं कि मैदान पर न होने के बावजूद धोनी अब भी बहुतों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। एक कप्तान और विकेटकीपर बैट्समैन के रूप में धोनी ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। कुछ ऐसे रिकार्ड्स बनाए, जो अब तक केवल उनके ही नाम हैं। धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 का टी 20 वर्ल्ड कप जीता था। यह भारतीय क्रिकेट के नए युग की शुरुआत थी जहां टीम फाइनल सिर्फ खेलती नहीं, बल्कि जीतती थी। इसके बाद धोनी ने 2011 में भारत को 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जिताया। और इस जीत के दो साल बाद, 2013 में धोनी की कप्तानी में भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती। इसके साथ ही धोनी आईसीसी की तीनों मेजर ट्रॉफीज जीतने वाले इकलौते कप्तान बन गए। धोनी की कप्तानी में भारत ने 332 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। इनमें 200 वन डे, 60 टेस्ट और 72 टी 20 शामिल हैं। यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
धोनी ने भारत को 6 बहुराष्ट्रीय वन डे टूर्नामेंट्स के फाइनल तक पहुंचाया है। इनमें से भारत ने चार में जीत दर्ज की है। इस प्रदर्शन के चलते धोनी बहुराष्ट्रीय वन डे टूर्नामेंट्स के सबसे सफल कप्तान हैं। कप्तान के रूप में धोनी ने कुल 110 वनडे मैच जीते हैं, उनसे आगे केवल रिकी पोंटिंग हैं। वनडे में धोनी 84 बार नाबाद लौटे हैं। यह भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। एक खिलाड़ी के रूप में एम एस धोनी की उपलब्धियां तो शानदार हैं ही, वे एक अच्छे सिपाही के रूप में भी खुद को स्थापित करना चाहते हैं। साल 2011 में टेरिटोरियल आर्मी में धोनी को लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। धोनी ऐसे पहले खिलाड़ी नहीं है जिन्हें भारतीय सेना या डिफेंस फोर्स ने मानद रैंक दी गई हैं लेकिन वह बेशक सेना की वर्दी के प्रति अपना फर्ज निभाने की दौड़ में अपने साथियों से काफी आगे हैं। धोनी जब एक सैन्य अधिकारी की वर्दी में दिखते हैं तो वह उसमें इतने रमे नजर आते हैं कि उनके अंदर एक क्रिकेटर को ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है।
लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक मिलने के अगले ही साल वह एलओसी के पुंछ इलाके में गए थे। वहां उन्होंने कहा था कि, ‘मैं सक्रिय तौर पर भारतीय सेना से जुड़ना चाहता हूं। हालांकि यह सब क्रिकेट के बाद। एक बार मेरा क्रिकेट करियर खत्म होता है तो मैं सेना से जुड़ना चाहूंगा।’ 2018 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया और राष्ट्रपति भवन में जब धोनी यह पुरस्कार लेने पहुंचे तो वह अपनी मानद रैंक लेफ्टिनेंट कर्नल की यूनिफॉर्म में नजर आए थे। जैसे ही उनका नाम पुकारा गया धोनी किसी सैन्य अधिकारी की ही तरह कदमताल करते हुए राष्ट्रपति के पास पहुंचे, और उसी तरह वापस आए।
धोनी 106 पैरा बटालियन में लेफ्टिंनेंट कर्नल रहते हए क्वालिफाइ पैराट्रूपर बने थे और आम सैन्य अधिकारी की तरह आगरा में ट्रेनिंग बेस पर धोनी ने पांच पैराशूट जंप किए थे। पिछले साल धोनी 15 दिन के लिए कश्मीर में सेना के साथ ट्रेनिंग करने पहुंचे थे। धोनी ने विक्टर फोर्स के साथ ट्रेनिंग की जो कश्मीर में आतंक प्रभावित इलाकों में काम करती है। 31 जुलाई से शुरू हुई ट्रेनिंग का अंत उन्होंने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लद्दाख में तिरंगा लहरा कर किया था। अब एक बार फिर धोनी ने 15 अगस्त के साथ अपना खास कनेक्शन जोड़ लिया है।
धोनी क्रिकेट से अभी पूरी तरह जुदा नहीं हुए हैं, दर्शक उन्हें आईपीएल के मैच खेलते देख सकेंगे। धोनी के संन्यास पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं तमाम क्षेत्रों से आ रही हैं, उनसे पता चलता है कि हरेक के लिए वे कितने खास थे। आसमान जैसी ऊंचाइयां छूने के बावजूद जमीन पर पैर रखे धोनी ने खुद को पल दो पल का शायर बताया, यही सादगी उन्हें सबसे खास बनाती है। उनके जीवन पर बनी फिल्म का एक संवाद बहुत चर्चित हुआ कि माही मार रहा है। और माही के चौकों-छक्कों, हैलीकाप्टर शाट को देखने के लिए भीड़ उमड़ जाती। वाकई माही का मारना बहुत याद आएगा।
(देशबंधु)
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