-पंकज चतुर्वेदी||
साकेत गोखले ने एक आर टी आई की मदद से जो खुलासा किया है उससे तो स्पष्ट है कि केचुआ अर्थात केन्द्रीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध है . चुनाव आयोग पर आरोप है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान आयोग के सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की देखरेख करने का जिम्मा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और आईटी सेल को दिया गया था यानी आयोग के पास मौजूद डेटा तक किसी ऐसी निजी कंपनी की पहुंच थी जो साफ और घोषित तौर पर राज्य की तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ी हुई थी.
चुनाव आयोग का जिम्मा राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया हैंडल और पेज पर पैनी निगाह रखना था. लेकिन खुद आयोग के सोशल मीडिया हैंडल, वेबसाइट, पेज और इनमें दर्ज डेटा एक खास राजनीतिक दल के कारोबारी पदाधिकारी के पास गिरवी रखे थे. आयोग की आंखों में उंगुली डालकर दिखाए जाने के बाद मामले की जांच के लिए हलचल तेज़ हो गई है.चौंकाने वाला खुलासा है कि सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग के जन जागरण अभियान और पूरे चुनावी मिशन पर निगरानी का काम जिस कंपनी और शख्स को दिया गया वो तो बीजेपी के युवा विंग बीजेवाईएम यानी भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का संयोजक भी रहा है. नाम है देवांग दवे और उनकी कंपनी है सोशल सेंट्रल मीडिया सॉल्युशन एलएलपी.
Shocking details:
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) July 23, 2020
Election Commission of India literally hired the BJP IT Cell for handling their social media in Maharashtra in the run-up to the 2019 State Assembly Elections.
Thread ?
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर को यह भी साफ करना होगा कि उनकी वेबसाइट, मीडिया हैंडल, पेज, उन पर मौजूद विज्ञापन पर पता 202, प्रेस मैन हाउस, नेहरू रोड,विले पार्ले ईस्ट, मुंबई. यानी उसी कंपनी वाला क्यों है जो बीजेपी की भी सोशल नेटवर्किंग देखती है और आयोग की भी!
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