-संजय कुमार सिंह।।
एक टीवी एंकर से सवाल पूछने पर विमान यात्री को विमान यात्रा से प्रतिबंधित कर दिया गया। एक टीवी पैनेलिस्ट को ऑन एय़र गाली देने वाले दूसरे पैनिलिस्ट या चैनल के खिलाफ किसी कार्रवाई की खबर नहीं है। दोनों अलग मंत्री हैं दोनों के अपने विवेक हैं और उनकी कार्रवाई पर क्या सवाल करना। मंत्री हैं, जो चाहे कर सकते हैं। गुजरात के एक मंत्री के बेटे से भिड़ने पर एक महिला पुलिस कर्मी को नौकरी छोड़नी पड़ी और अब इसी क्रम में एक नया मामला जुड़ गया है।
खबर उड़ी (असल में बाकायदा फैलाई गई) कि प्रियंका गांधी ने अपने सरकारी बंगले में रहने की अवधि बढ़ाने की अपील की और ‘उदारहृदय’ (यह खबर में नहीं था पर यही जताने की कोशिश में खबर बनाई गई होगी) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अनुमति दे दी। दिलचस्प यह रहा कि आईएएनएस के हवाले से दैनिक जागरण में कृष्ण बिहारी सिंह की बाईलाइन वाली इस खबर को प्रियंका गांधी ने फेक न्यूज करार दिया। यह खबर और भी एजेंसियों और सूत्रों से चली थी पर बाद में मामला ही पलट गया। इसलिए जो पकड़े गए उन्हीं की बात कर रहा हूं।
दिलचस्प यह है कि अल्ट न्यूज के अनुसार आईएएनएस ऐसी फर्जी खबरें करता रहा है और (बिना वेरीफाई या पैरोडी ट्वीटर हैंडल के ट्वीट से) हाल फिलहाल में ऐसी कई खबरें की हैं। पर आदत है कि सुधर ही नहीं रही। हालांकि वह अलग मामला है। तो कुल मिलाकर आईएएनएस की इस खबर के चलते या वैसे भी ‘सूत्रों’ के हवाले से खबर देने वाले मीडिया संस्थानों ने खबर दी और फंस गए। लेकिन इन खबरों या इन मीडिया संस्थानों के बचाव में आए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी। उन्होंने ट्वीट किया, फैक्ट स्पीक फॉर देमसेल्व्ज यानी तथ्य बोलते हैं। और ऐसा ही हुआ।
दिन में 1:05 पर इस ट्वीट में उन्होंने कहा, एक शक्तिशाली कांग्रेस नेता (पता नहीं कैसा और कौन शक्तिशाली। प्रियंका से शक्तिशाली कांग्रेस में कौन हुआ या हरदीप पुरी किसे शक्तिशाली मान रहे हैं) जिसकी पार्टी में अच्छी चलती है ने 4 जुलाई 2020 को 12:05 पर मुझे कॉल किया (हालांकि अंग्रेजी में किसी को कनफूजियाना चाहें तो ऐसे लिखकर कह सकते हैं कि आकर कहा) और आग्रह किया कि प्रियंका वाला बंगला 35 लोधी इस्टेट कांग्रेस के किसी अन्य सांसद को आवंटित कर दिया जाए ताकि प्रियंका उसमें रह सकें। बेशक बंगले में प्रियंका को एक महीने रहने देने का अधिकार केंद्रीय मंत्री को होगा और हर चीज प्रधानमंत्री से पूछ कर करने का रिवाज भले हो, नियम नहीं है।
इसलिए, इस ट्वीट से भी पता चलता है कि खबर गलत है और किसी ने लिखवाई है। हालांकि, हरदीप सिंह पुरी ने लिखा है कि हर चीज को कृपया सनसनीखेज न बनाया जाए (यानी आपको बंगला चाहिए तो मुझसे भी कह सकती थीं, खंडन करने की क्या जरूरत है। बड़ी बदनामी हो चुकी है अब थोड़ा लीप-पोत लेने दीजिए)। इस पर प्रियंका ने लिखा पुरी साब अगर आपको किसी ने फोन किया था, तो मैं उनकी चिन्ता के लिए उनका शुक्रगुजार हूं लेकिन इससे हकीकत नहीं बदलती। मैंने ऐसा कोई अनुरोध नहीं है और ना अब कर रही हूं। जैसा मैंने कहा है, मैं पत्र में दिए निर्देश के मुताबिक एक अगस्त तक बंगला खाली कर दूंगी।
कहने की जरूरत नहीं है कि फर्जी खबर बनाई गई थी और पकड़ी गई तो मंत्री जी सनसनी नहीं फैलाने की बात कर रहे हैं। अगर प्रियंका ने आग्रह किया ही नहीं तो यह फर्जी खबर आईएएनएस या किसी पत्रकार ने अपने स्तर पर तो बनाई नहीं होगी। जाहिर यह खबर, अगर वाकई किसी कांग्रेसी नेता ने आग्रह किया हो तो लीक हुई है। और लीक वह खुद नहीं करेगा। वैसे भी, खबर लीक करना कोई बड़प्पन नहीं है। पर इस सरकार और इसके मंत्रियों से ऐसे हादसे होते रहे हैं। इसीलिए ये प्रेस कांफ्रेंस से भागते हैं। आप यह मत समझिए कि कोरोना काल में यह खाली बैठे मंत्री का काम है। हवाई यात्रा से रोकने का काम कोरोना काल में नहीं हुआ था और गाली देने वाले टीवी पैनेलिस्ट पर चुप्पी कोरोना काल में ही छाई रही।
कहने की जरूरत नहीं है फिर भी ट्वीटर पर लोग कह ही रहे हैं कि बंगला मंत्री जी का नहीं है कि वे अपनी इच्छा से आवंटित कर देंगे। यह भी कि भाजपा के लोग फोन टेप करने के आदी रहे हैं। टेप जारी कर दें कम से कम उस नेता का नाम तो बता ही दें। वैसे भी नेता ने कहा होगा कि किस नेता के नाम आवंटित किया जाए आदि। और यह सब बताया जाना चाहिए पर मंत्री जी ने 1:46 बजे एक और ट्वीट किया, आपसे आग्रह करूंगा कि सार्वजनिक रूप से गुस्सा जताने से पहले अपनी पार्टी में मामला निपटा लें …..। पर यह सलाह देने की जरूरत मंत्री जी को क्यों पड़ी? वे प्रियंका पर अहसान करने के लिए क्यों आमादा हैं। और उन्हें कैसे पता कि वे बिना पार्टी में निपटाए ऐसी सख्त शब्दावली का प्रयोग कर रही हैं?
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