खबर और प्रचार के घालमेल में प्रचारकों की मुश्किल..
आप खबरों से अपने मतलब निकालने के लिए स्वतंत्र हैं..
-संजय कुमार सिंह||
अमिताभ बच्चन मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। इसके साथ यह अफवाह है कि वे अस्पताल की स्वामी कंपनी के निवेशकों में हैं और मामूली लक्षण पर अस्पताल में भर्ती होकर उसका प्रचार कर रहे हैं। कंपनी ने इससे इनकार किया है और कहा है कि वे अस्पताल के बोर्ड में नहीं हैं। निवेशक नहीं हैं ऐसा तो नहीं दिखा पर वह मुद्दा नहीं है। दरअसल अस्पताल में उनके दाखिल होने के बाद ही एक वीडियो वायरल होना शुरू हुआ था जो अप्रैल का है। चूंकि वीडियो ज्यादा पुराना नहीं है इसलिए वायरल नहीं हुआ फिर भी कई लोग, पत्रकार और चैनल वाले झांसे में आ गए। हालांकि, यह इरादतन भी हो सकता है। पहले विज्ञापन और खबरें अलग होती हैं अब पेड न्यूज होते हैं तो पेड न्यूज गढ़े भी जा सकते हैं। पर अभी मेरा मकसद सिर्फ प्रचारकों की मुश्किल बताना है। वे कुछ भी करें, बीमार भी हों तो प्रचार मान लिया जाता है। निश्चित रूप से यह प्रचारकों के मानवाधिकार का उल्लंघन और उनके सामान्य जीवन में हस्तक्षेप है।
फर्जी खबरों से परेशानी जग जाहिर है और ये क्यों चलती हैं, कौन चलाता है और किसका संरक्षण है सबको पता है। लेकिन इसे रोकने की कोई ठोस कोशिश नहीं हो रही है। कार्रवाई तो बहुत ही सेलेक्टिव है। जबकि फर्जी खबरों में तथ्यों के साथ ऐसा खिलवाड़ किया जाता है जिससे फर्जी खबर सही लगती है। उदाहरण के लिए यह अफवाह पढ़िए (अनूदित) – “अमिताभ और अभिषेक बच्चन दोनों कोरोना पॉजिटिव हैं और उनकी हालत बेहतर है। उनके पास जुहू में तीन बंगले हैं, जिनमें 18 कमरे हैं। यहां तक कि एक कमरे में मिनी आईसीयू है और दो डॉक्टर वहां 24 घंटे रहते हैं। लेकिन, उन्होंने खुद को नानावती अस्पताल में भर्ती कराया और सीनियर बच्चन अपने हर ट्वीट में नानावती और इसके डॉक्टर का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। (ट्वीट मैंने नही देखा पर लिखा है) उन्होंने रेडिएंट ग्रुप में निवेश किया है और इसके बोर्ड मेंबर भी हैं, जो कि नानावती का ही है। यह हॉस्पिटल भारी भरकम बिल बनाता है, 10 में से 7 को कोरोना पॉजिटिव बताता है और मरीजों को जरूरत से ज्यादा लम्बे समय तक भर्ती रखता है। नानावती की छवि को चमकाने के लिए बेहतरीन स्क्रिप्ट और एक्टिंग।”
यह तथ्य अपनी जगह है कि मुंबई में अमिताभ-अजिताभ के कितने बंगले हैं और उनमें कितने कमरे हैं और क्वारंटीन होने की सुविधाएं हैं कि नहीं। लेकिन जब आम लोग अपने घरों में सुविधाएं जुटा रहे हैं तो अमिताभ को हॉस्पीटल में दाखिल होना कितना जरूरी था और उन्हें घर में ये सब क्यों रखना चाहिए जब अस्पताल के पैसे दे सकते हैं। रेखा के मामले में खबर बिल्कुल अलग है। उसपर आगे। कुल मिलाकर, मेरा कहना है कि एक ही खबर को कई तरह से प्रस्तुत किया जा सकता है और यह दिलचस्प है कि अस्पताल का खंडन मुझे ज़ी न्यूज के साथ रीपबलिक वर्ल्ड पर भी नजर आया। हालांकि, पहला खंडन द प्रिंट का है। बाकी बड़े नाम नहीं हैं। आजकल खबरें छापने और नहीं छापने का खेल चल रहा है। कुछ साल पहले तक खबर सिर्फ खबर होती थी और जैसे आती थी वैसे दी जाती थी।
इस बार भी जब यह खबर आई की अमिताभ बच्चन कोरोना पॉजिटिव हैं तभी यह खबर भी आई कि फिल्म अभिनेत्री रेखा के बंगले का गार्ड भी कोरोना पॉजिटिव है। गार्ड की खबर जाहिर है अमिताभ बच्चन से बड़ी है और दोनों को समान महत्व नहीं मिलना था, नही मिला। पर यह सवाल या उत्सुकता तो है ही कि रेखा के बंगले का गार्ड कोरोना पॉजिटव है तो रेखा हैं कि नहीं? उनकी जांच हुई कि नहीं। पर काफी समय गुजर गया ऐसी कोई खबर नहीं आई। सुबह मैंने एक ट्वीट देखा कि रेखा ने जांच कराने से मनाकर दिया है। क्या यह खबर है? मुझे लगता है बिल्कुल है और यह गार्ड के पॉजिटिव होने के साथ ही आनी चाहिए थी पर कोई खबर दिखी नहीं। अभी ढूंढते हुए दैनिक जागरण, एबीपी लाइव की दो दिन पुरानी खबर दिखी। दैनिक जागरण ने लिखा है, बीएमसी के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि रेखा ने बीएमसी से अपनी टेस्ट करवाने के लिए मना कर दिया है। एक्ट्रेस नहीं चाहतीं कि बीएमसी की तरफ से उनका कोरोना वायरस का टेस्ट किया जाए। अमिताभ बच्चन एडमिट हैं तो उनसे यही अपेक्षा की जा रही है। और रेखा के बारे में बताया जा रहा है, उन्होंने कहा है कि वो ख़ुद अपना टेस्ट कराएंगी। एक गार्ड के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एक्ट्रेस के बाकी स्टाफ मेंबर्स का भी टेस्ट करवाया जा रहा है।
एबीपी की खबर है (पुरानी ही), बीएमसी के अधिकारियों ने रेखा के बंगले के बाहर नोटिस लगाया है, जिस पर इसे कंटेनमेंट जोन बताया है। उन्होंने एक पॉजिटिव केस आने के बाद पूरे बंगले को सेनिटाइज किया गया। इतना ही नहीं उनके पड़ोसी और गीतकार जावेद अख्तर के बंगले में रहने वाले लोगों को भी कोविड टेस्ट किया गया है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि रेखा नहीं चाहती कि बीएमसी उनका कोविड-19 टेस्ट करें। रेखा और जावेद अख्तर का मामला तो ठीक है पर धारावी की कितनी खबरें टीवी पर दिखीं। मैं नहीं देखता इसलिए मुझे पर नहीं है पर तब पड़ोसियों के नाम नहीं बताए गए थे क्योंकि वे सेलीब्रिटी नहीं थे। और तब बीएमसी क्या कर रहा था वह भी नहीं। मुझे लगता है रेखा से बात किए बगैर या वैसे भी इस खबर का कोई मतलब नहीं है। पर आजकल दूसरों की छवि का ख्याल किसे है और सूत्र क्या नहीं बता सकते हैं। अमिताभ बच्चन बड़े प्रचारक हैं तो उनके खिलाफ भी ताकतें होंगी पर रेखा के मामले में ऐसा नहीं होगा पर खबरें बिकती हैं तो मौका क्यों चूकना। जो भी हो, खबर गढ़ दो। जांच नहीं हो रही हो तो, हो रही हो तो भी, पॉजिटिव हों तो भी,निगेटिव हों तो भी, नहीं पता हो तो भी।
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