-प्रिया गुप्ता||
उज्जैन के महाकाल मंदिर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होने के साथ ही मंदिर में काफी भीड़ होती है. ऐसे में कोई अपराधी मंदिर में कैसे जा सकता है? जबकि वह जानता था, उसका एनकाउंटर कही भी हो सकता है. क्योंकि अगर विकास दुबे नहीं मारा गया तो, आकाश से लेकर पाताल लोक का सच सबके सामने आ जाएगा. खैर अभी तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. पुलिस वालों तैयार हो जाओ कहीं ऐसा ना हो कुख्यात अपराधी तुम्हारी गिरफ्त से भागने की कोशिश करें. और तुम उस पर एनकाउंटर कर दो. इसलिए अपनी गाड़ी का टायर, पेट्रोल और डीजल सब चेक कर लो. कहीं विकास तुम लोगो को चकमा ना दे जाए. लिहाजा अभी भी यह सबसे बड़ा सवाल है, कि अपराधी विकास दुबे ने खुद सरेंडर किया या फिर उसकी गिरफ्तारी हुई?
दरअसल सवाल उठना भी जरुरी है. ऐसी गिरफ्तारी कौन करता है भाई. एक तरफ मध्यप्रदेश पुलिस को विकास दुबे की सूचना मिलती है. तो वहीं दूसरी तरह वाह वाही बटोरने के लिए मौके पर मीडिया वालों को भी बुला लिया जाता है. यहां से शुरू होता है, पुलिस और अपराधी विकास दुबे का ड्रामा. आप सभी ने वीडियो में देखा किस तरह से विकास दुबे चीखता चिल्लाता हुआ बोला. मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला. तभी पुलिस वाला उसे चट से मरता है. सही कहा है किसी ने कलयुग में कुछ भी सकता है भाइयों और बहनों. जिस अनदेखे वायरस ने पूरी दुनिया को हिला रहा रख दिया है. लेकिन विकास दुबे तो उससे भी बड़ा वायरस निकला. इसने तो कोरोना के क्रेज को ही कम कर दिया.
कानपुर मुठभेड़ के बाद यूपी, एसटीएफ लगातार हर दिन किसी न किसी को मार गिरा रही है. इतना नहीं उत्तर प्रदेश का हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से राजनीतिक लोगों का जुड़ाव सामने आ रहा है. खैर छोड़िए आज तो सिर्फ गिरफ्तारी हुई है. असली पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्तों. जल्द ही यूपी पुलिस विकास दुबे को यूपी लाएगी. उसके बाद शुरू होगा सभी मंत्रियों और अधिकारियों के परेशानियों का सिलसिला.
सभी को यही मांग करनी चाहिए, कि जिस तरह से 2017 में ऑन विडियो पूछताछ हुई थी. वैसे ही इस बार भी ऑन विडियो पूछताछ होनी जरूरी है. क्योंकि उन बेकसूर 8 पुलिसकर्मियों की शहादत बेकार नहीं होनी चाहिए. इस घिनौने अपराध के पीछे जिस भी नेता या अधिकारी ने विकास दुबे को शह दे रखा था. उन सभी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. ताकि आने वाले समय में विकास दुबे जैसे अपराधी किसी की दम पर फलते फूलते ना रहे. वहीं क्योंकि मौजूदा सरकार ने अपने नारों के दाम पर एक बात कही थी कि हम भारत देश को जल्द ही अपराध मुक्त बनाएंगे. तो आज इस वादे पर अमल करने का दिन आ गया है.
तकरीबन 5 दिनों में कानपुर का मानो टशन ही बदल गया. जिन लोगों को विकास दुबे में अपनी जाति का शेर दिखता है. वह समाजद्रोही है. अपराधी की कोई जाति नहीं होती. उसका मकसद मानवता की हत्या और समाज विरोधी कृत्य होता है. ऐसे दुर्दांत को शेर बताने वालों को शर्म आनी चाहिए.
नरोत्तम मिश्रा भी कहीं इस अपराध में शामिल तो नहीं? अरे जी हा ये वही मिश्रा जी है, जो यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के कानपुर चुनाव प्रभारी थे. लेकिन अब वर्तमान समय में यह उज्जैन के गृहमंत्री मंत्री है. दरअसल जब यह कानपुर में भाजपा के प्रभारी थे. तब कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने इनकी खूब खातिरदारी की थी. यह सभी पहलू आज चर्चा का विषय बनता जा रहे हैं. ऐसे में नरोत्तम मिश्रा पर भी कई सवाल खड़े कर दिए गए हैं. फिलहाल अब हमें धैर्य बनाए रखने की जरूरत है. अपराधी पकड़ में तो आ गया है. अब धीरे-धीरे इसके जरिए कई पोल भी खुल जाएगी.
ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि हमारा देश किस दिशा में अग्रसर हो रहा है. आपकी सोच जहां तक नहीं पहुंचती वहां कुछ लोग अपराध को जन्म देने का काम करते हैं. और धीरे धीरे एक मामूली सा व्यक्ति कुछ नेता अधिकारी की शह पाकर बड़े बड़े कांड कर देंते हैं. वहीं वक्त का पहिया चलता रहता है. आप और हम वक्त के बदलाव के साथ इन घटनाओं को भी भूल जाते हैं. यही से शुरू होता है ऐसे अपराधी, नेताओं और अधिकारियों का रुतबा.