यह कोई पंचतंत्र की कहानी नहीं, 2जी घोटाला मामले में देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी का देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल हलफनामा है। सीबीआई ने रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (आरएडीएजी) के मुखिया अनिल अंबानी को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में बेदाग बता दिया है। एजेंसी ने टाइगर, जेब्रा और पैरट नाम की तीन कंपनियों के भंवरजाल को इस मामले में जिम्मेदार ठहरा दिया। हालांकि सीबीआई प्रवक्ता यह भी कह रहे हैं कि इस मामले में अभी भी जांच जारी है। अंबानी पर 2 जी घोटाले में विभिन्न कंपनियों के पुनर्गठन और स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली एक कंपनी स्वान टेलीकाम को धन हस्तांतरित करने के आरोप हैं।
सीबीआई ने जांच की प्रगति के बारे में 29 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत स्थिति-पत्र में कहा है, ”जांच में ऐसा कोई मौखिक या लिखित सबूत नहीं मिला है जिससे लगता हो कि विभिन्न कंपनियों के पुनर्गठन और धन के हस्तांतरण में अनिल अंबानी शामिल हैं।” सीबीआई ने यह जवाब 2जी मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण की तरफ से अदालत में दाखिल एक पत्र के जवाब के तौर पर दिया है। सीबीआई ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने इस पत्र में उसकी जांच की निष्पक्षता और ईमानदारी के बारे में गलत राय पैदा करने की कोशिश की है।
भूषण ने सवाल खड़ा किया था कि क्या ऐसा संभव है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले कंपनी समूह के सिर्फ तीन अधिकारियों ने ही कंपनियों का एक जाल बुना ताकि स्वान टेलीकाम के वास्तविक स्वामित्व को छुपाया जा सके। भूषण ने यह भी पूछा था कि उन्होंने ग्रुप के अध्यक्ष अनिल अंबानी की अनुमति के बगैर 1000 करोड़ रुपये का हस्तांतरण कैसे कर दिया? सीबीआई ने कहा कि स्वान टेलीकॉम द्वारा समग्र सेवा लाइसेंस के लिए दूरसंचार विभाग के पास आवेदन करते वक्त स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड में मैसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड की 91.1 प्रतिशत और मैसर्स रिलायंस टेलीकॉम की 9.1 प्रतिशत भागीदारी थी।
इसी टाइगर ट्रेडर्स में जेब्रा कंसल्टेंटस और मैसर्स पैरट कंसल्टेंटस की भागीदारी थी। ये तीनों कंपनियां एक दूसरे में हिस्सेदार थीं। स्वान के शेयर खरीदने के लिए टाइगर ट्रेडर्स ने जो धन लगाया उसका स्रोत मैसर्स एडीएई वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड था। 2 मार्च, 2007 को टाइगर ट्रेडर्स ने स्वान टेलीकॉम में 95.50 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह पैसा सोनाटा इन्वेस्टमेंट के मार्फत आया था। इसके अलावा टाइगर ट्रेडर्स को कुछ पैसा एएए कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से भी मिला था।
सीबीआई ने अपने जवाब में आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी द्वारा जारी एक स्टेटमेंट के मुद्दे पर भी सफाई दी है। इस स्टेटमेंट में पूछा गया था कि जब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा के चेक की मंजूरी के लिए अनिल अंबानी और उनकी पत्नी की स्वीकृति जरूरी होती है तो ऐसे में 1,000 करोड़ रुपये कैसे दे दिए गए? सीबीआई ने कहा कि बैंक की यह टिप्पणी तथ्य को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का मामला है। सीबीआई ने सुबूतों के आधार पर कहा कि अंबानी दंपति ने इस मामले में कोई चेक काटा ही नहीं था। जांच एजेंसी के अनुसार स्वान को टाइगर ट्रेडर्स से 95.51 करोड़ रुपये की राशि 10 अलग-अलग चेकों के जरिए की गई, जो 10 करोड़ रुपये या उससे कम की थीं। इन पर अभियुक्तों यानि गौतम दोषी और हरि नायर के हस्ताक्षर हैं।