-मिथिलेश।।
एगो न्यायमूर्ति जी हैं ,जे सेवा से निवृत्त हो गये हैं लेकिन फरमावे से बाज अभियो नहीं आ रहे हैं. फरमावे के माने पूरा आदेश नहीं समझ लीजियेगा,बल्कि ई समझियेगा कि बिन मांगले सलाह दे रहे हैं जने-तने बईठके.और ओकरो में बईठल-बेगरिया पत्रकार लोग के संगे बईठ के ! अरे वही पत्रकार जे पहिले पत्रकारी और नौकरी छोड़ के नेता बनेले गया, लेकिन वहाँ ऊ दाले नहीं गला पाया आपन. लीजिये हम शुरू हो गये और आपलोग को बतैबे नहीं कि जज साहेब कौन नाँव-गाँव के हैं ! तो बता देना जरूरी है और आप सब भी अकुला रहे होंगे कि ई बताने के बदले खली पलौटे बांध रहा है .त लीजिये उनकर नाम है – मार्कंडेय काटजू .अउर ऊ सलाह का दिये हैं ई नयं जानना चाहियेगा ? अरे बताओगे तब न कि अपने से जान जायेंगे! काटजू साहेब जो सलाह दिये हैं कि राष्ट्रीय सरकार बनाओ. उनकर नाम के माने-मतलब कुच्छो जानते हैं ? पहिला मतलब है – शिव याने शंकर . हाँ ठीक बूझे वही शंकर बाबा बम भोले नाथ .ऊ तीनो लोकों के मालिक देवाधिदेव महादेव हैं . त जे तनियो टेढ़-बाकुच बतियाता रहा उसको टोकने से बाज़ नहीं आते रहे. टोकल-टाकल से बात बनते नहीं देखते तो तेसरकी आँख खोले में भी देरी नहीं लगता था उनको.ऊ जब तेसर आँख खोल देते हैं तो जानिये कि सब भसम हो जाता है. कई-कईगो सृष्टि के आरंभ से अब तक भसम हो चुका है. लेकिन अब कल-जुग न आ गया है अऊर ई बात के रिटायर्ड जज साहेब मार्कंडेय बाबा समझे ला तैयारे नहीं हैं. अब ऊ पुण्य-प्रताप का ज़माना नहीं न है और न आप कैलाश पर्वत के वासी हैं जे हुवयीं से ताकियेगा और पूरी दुनिया लौउक जायेगी आपको! भले ही सॅटॅलाइट-वेटेलाइट की सहायता से चले वाला चैनल सब जे विडियो-फोटो दिखा देता है ओकरा सब के देख के आप बिन मांगले सलाह दे रहे हैं हमारे नर श्रेष्ट प्रधान सेवक को.
रुद्रावतार जज साहेब के ई समझे में नहीं आ रहा है कि बिन मांगले सलाह ऊ केकरा दे रहे हैं . अरे, जज साहेब जेकरा आप सलाह दे रहे हैं न ऊ नरेश है और सभी नरों में इंद्र माने राजा, नर-श्रेष्ट है और जे कहते हैं नाम-राशि ई सब - त ऊ बिच्छू( वृश्चिक ) राशि वाला ही-मैन हैं, जेकर आराध्यदेव गणपति गणनायक हैं और जिनकर पूजा हर देवी देवता से पहले की जाती है और नईं तो विघ्न उत्पन्न हुआ ही जानिये. अब भगवान् मुँह दे दिया है और काम - धाम से छुट्टी पा गए हैं, सरकारी खजाना से पेंशन-वेंशन भी मिल जा रहा है तो जे मन में आएगा ऊ सलाह दे दीजिएगा. अरे आप ई देखे हैं कि आप केतना पढ़ल-लिखल हैं? बेसी से बेसी आप एलएलबी एलएलएम् किए होंगे ओर करिया कोट पाहीन के कुछ लोअर-हाई-सुप्रीम में लेफ्ट-राईट किए होंगे, एकर से तो बेसी तो नहींये ना कुछ किए हैं . और जौन टूटपुंजिया पत्रकार के साथ बईठ के आप प्रवचन माने मुफ्त के सलाह दे रहे थे थे, ओहो केतना पढ़ा-लिखा है ? ढेर से ढेर एमए-पीएचडी किया होगा. हमको तो लगता है की उभी नईं किया है. काहे से कि पढ़ल-लिखल रहता त ओकरा देश-दुनिया के समझ नईं होता, हर-हमेशा हमरे नर-श्रेष्ट राजन के खिलाफे में चमड़ा के मूंह खोलले रहता है.
आप देश के बदनाम करे के मुहिम काहे चला रहे हैं? आपको पता होना चाहिए कि नरों में जिस श्रेष्ट को भारत माता ने अपने माथे पर पिछले छह साल से बिठाया हुआ है, उसकी डिग्री-उग्री का पता है आपको? अरे ऊ जो हैं सो आपलोग से कई गुना बेसी पढ़ल-लिखल हैं और एनटायर पोलिटिकल साइंस के डिग्री उनकर पास है. अब समझ में आया आपको? आप एनटायर लॉ पढ़े थे कि ऊ पत्रकार जे पढ़ा से ऊ विषय एनटायर पढ़ा है? नहीं न! तब फिर काहे को ऐसा-वैसा बोल रहे हैं ?
राजा साहेब एनटायर पॉलिटिक्स पढ़े हैं तो पूरा जानते भी हैं और उसमे साइंस भी जुड़ल है. तबे न गणेश भगवान् के कटल देहि पर हाथी के माथा बैठावे के प्राचीन भारत में किया जाने वाला प्लास्टिक सर्जरी बताये थे! और कर्ण के जनम-करम को स्टेम सेल थेरेपी का परिणाम भी बताये थे साहेब. एतना ज्ञानवान आदमी के आप सलाह देने की हिमाकत भी कर रहे हैं और आयें-बांयें-सांयें बके जा रहे हैं.
अब देखिये न मार्कंडेय बाबा, आपके नाम के एक ऋषि भी थे प्राचीन काल में जे ‘देवी महात्म्य’ लिखे थे ओर पुण्य के भागी बने और आप अपने नाम के पहले अर्थ के नज़दीक तो चले जाते हैं पर दूसरे अर्थ को अपने आस-पास फटकने भी नहीं देते. क्या जाता आपका, जो आप भी एक ‘नर-इंद्र-देव महात्म्य’ लिख डालते और देश- भक्ति का जाप करते रहते ! यदि ई सब करते रहते तो आज आपको घरे नयें बैठना पड़ता, देश के कौनो राजभवन में आपका मन भाता और तन शोभायमान रहता, कुच्छो नहीं तो ऊपर वाले सदन की मेम्बरी तो मिलिएना जाती, देखिये ऊ पुरुब मुलुक कारू कमिक्षा हासाम वाले जज साहेब के मिला न मन - मोताबिक फैसला देने पर. लेकिन आप आदत से लाचार हैं और दिन-दुनिया का उदाहरण देके अपनों भद्द पिटवा रहे हैं और एतना पढ़ल-लिखल , विद्वान् देशभक्त नर श्रेष्ट को सलाहों दे रहे हैं!
पुरनका जज साहेब का फरमाए हैं सो आपलोग जानते हैं कि नहीं ? ऊ फरमाए हैं कि अप्पन देश में ‘नेशनल गवर्नमेंट’ याने राष्ट्रीय सरकार बना दिया जाए. ई भी काहे से कि अभी जिनको इस महान देश की अति महान जनता ने तीन सौ से बेसी सीट के साथ राज काज सौंपा है ,ऊ अकेले देश के नहीं संभल सकते हैं. एतने नहीं ऊ कहते हैं कि खाली विपक्षी दल वाला लोग के साथ नहीं लेवें बल्कि अर्थशास्त्री , वैज्ञानिक, बिजनीस, मैन,पत्रकार, उद्योगपति और जे भी प्रोफेशनल-उरोफेशनल अप्पन-अप्पन फील्ड का माहिर लोग हैं सब को अप्पन में मिला लेवें और सरकार चलावें. अब ई कौन बात हुई कि सबको मिला लेवें ! केहन ऊ सबके मिलावें के चक्कर में, अप्पन रंग मधिम नहीं पड़ेगा और अपने मिटटी में मिल गए तब? ई खतरा तो हय्यिए न है कि जौन देशभक्ति का राग और मुसलमान-पाकिस्तान, उरी, पुलवामा, बालाकोट-का खटराग सुना के वोट लिए तो सब व्यर्थ नहीं हो जाएगा ? और जज साहेब आप ई कैसे बूझ गए कि नर-श्रेष्ट अकेले नहीं निबट लेंगे, चप्पन इंच का सीना कौन दिन के लिए रखे हुए हैं. यह्गी सीना देख के न पब्लिक वोट दिया है और उसको देशद्रोही सबके साथ बाँट देवें, वाह जी , वाह !
जज साहेब आप कह रहे हैं कि ई लौकडाउन से आर्थिक संकट बढेगा ही और नर-श्रेष्ट उससे अकेले पार नहीं पा सकेंगे. इसीलिए आप दर दिखा रहे हैं कि जब जर्मनी वाला फासिस्ट इंग्लैंड पर धावा बोलने वाला था सन ’40 में तब वहाँ का प्रधान सेवक विन्स्टन चर्चिल नेशनल गवर्नमेंट बना कर समस्या से निबटा था . का वही चर्चिल जइसन हमरो देश वाला नर-श्रेष्ट को बूझते हैं का ? ई पते नहीं है आपको कि राम जी की भक्ति से सब शक्ति प्राप्त हुई है और उनके ही पुण्य प्रताप से हिमालय जइसन पहाड़ के उठा के भी बजरंग बली संजीवनी बूटी ले आये थे लंका तक तो का ई उत्तराखंड से उसको गुजरातो—महाराष्ट्र तक नहीं ले जा पायेंगे. ई तो अभी देख देखा रहे हैं कि ई विप्पत्ति के काल में आपलोग जइसन राजद्रोही लोग का का बोलता है ? फिर कौनो दिन ठीक आठ बजे टीवी पर आयेंगे और एके घोषणा में आपलोग चित्त हो जाईएगा. इसलिए अभी चुप्पे रहिये और तुलसी बाबा जे कहे हैं ना की-
धीरज धरम मित्र अरु नारी. आपद काल परिखियहीं चारी..
से अभी आपलोगों की ही नहीं समस्त देश वासियों के धैर्य-धर्म- सब चीज़ की नर-श्रेष्ट परीक्षा ले रहे हैं, तो परीक्षा दीजिये न और बढियाँ नंबर से पास करने का सोचिये.
और, का बोले हैं आप कि रविवार 17 मई, 2020 के शुभ मुहूर्त में इजराइल वाला लोग भी नेशनल गवर्नमेंट बना लिया है, तो ओकरा से का इजराइल और इंडिया कौनो फरक आपको नयें बुझाता है ? ऊ देशवे तो कब्जियाके बनाया गया है और दुनिया वाला लोग हमरा देश पर कब्ज़ा किआ है और अभियो करने की कोशिश कर रहा है. अब कब्ज़ा करे के वैसे ज़रूरत भी नहीं पड़ने वाला है हामरे नर-श्रेष्ट ही सबको न्योत रहें हैं और न्योतते ही रहे हैं . देख लीजियेगा , ऊ सब आएगा पैसा फेंकेगा और लोग सब तमाशा देखना शुरू कर देगा. जज साहब आप इहो फरमा रहे हैं कि देश लोन में डूब जाएगा. यही सब बोली-बचन देख सुन के न लगता है कि आप अप्पन देश की दर्शन-परंपरा को एकदम से जानबे नहीं करते हैं. का आप ई भी नहीं सुने हैं कि-
यावज्जीवेत सुखं जीवेत ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत .
भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः..
माने, आदमी जबतक जिंदा रहे सुख से जीये, उधार पैंचा लेकर भी घी पिए. परलोक, पुनर्जन्म और आत्मा-परमात्मा के परवाह भला करे का कौन ज़रूरत है? थोड़ा-मोड़ा लोन-वोन होइए जाएगा, तो का हो जाएगा ? एतना दोस्त-मित्र लोग पेटी के पेटी पैसा खा के उड़ गया सो देखिये की सात समुन्दर पार जा के डकारो तक नहीं ले रहा है और आप जज साहेब हमारे नर-श्रेष्ट को कह रहे हैं कि अकेले आदमी फैसला लेने में गलती करता ही है इसलिए सब लोग मिलके सही फैसला करे . का गारंटी है कि सब मिल के सहिये फैसला लेगा? नर-श्रेष्ट गलत भी फैसला लेते हैं तो देश का लोग उसको ठीके मानता है तो केकर कहल करें ऊ ? आप जइसन रिटायर्ड बूढ़ा के जे कहा जाता है न कि ‘मुसलमान बूढ़ा काजी और हिन्दू बूढ़ा पाजी’ सो आप अप्पन हालत के समझिये और चुप्पे रहिये. काहे से कि अभी देश नर-श्रेष्ट के साथे कोरोना से लड़े में जुटल है और हंसुआ के बीयाह में आप खुरपी के गीत गा के पब्लिक के दिमाग ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं. ‘आल इज वेल’ बोलिए और चैन की नींद लीजिये. क्या कह रहे हैं जज साहेब आप कि हम भी बोलें! ना-ना हम ई सब नयीं करेंगे, काहे से कि-
‘हम क्यों बोलें इस आंधी में कई घरौंदे टूट गये ,
इन असफल निर्मीतियों के शव कल पहचाने जायेंगे.’( दुष्यंत )