छाले पड़े पांव में पैदल घिसट रही है रामकली
भूखी प्यासी है खुद में ही सिमट रही है रामकली
लॉक डाउन की दूरी भूली भूल गई कोरोना को
गोदी के बच्चे से देखो चिपट रही है रामकली
खाने रहने के आश्वासन केवल आश्वासन झूठे
सत्ता को गाली दे देकर निपट रही है रामकली
कोरोना से मर जाने से भूख से मरना ही अच्छा
भूख गरीबी बीमारी के निकट रही है रामकली
अबकी आऐं वोट मांगने जूतों से पूजेगी वो
अच्छे दिन में अच्छी खासी विकट रही है रामकली
कोरोना से मर जाएं सब साले वोट भिकारी ये
जिन की खातिर अब तक केवल टिकट रही है रामकली
रामकली तो एक बहाना मजदूरों की पीड़ा का
शत-शत रामकली रमचन्ना चिकट रही है रामकली
● सुरेंद्र सुकुमार
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