बिहार की राजधानी पटना के पत्रकारिता जगत में इन दिनों अक्षत यानि पूजा के अभिमंत्रित चावलों की चर्चा जोरों पर है। कोई अक्षत की महिमा गाने में जुटा है तो कोई इसे बकवास बता रहा है लेकिन हर कोई इसकी चर्चा जरूर कर रहा है। दरअसल पिछले दिनों हिंदुस्तान, पटना के स्थानीय संपादक अक्कु श्रीवास्तव की कुर्सी पर अक्षत पड़े मिले थे। इसके बाद पूरे कार्यालय में हड़कंप मच गया था और लोगों ने कहा कि ये चावल अभिमंत्रित थे जिन्हें किसी ने टोना-टोटका कर के डाल दिया था । बताया जाता है कि खुद अक्कु भी डरे हुए थे, लेकिन तब उन्होंने इसे जाहिर होने नहीं दिया था, लेकिन अब फिर उसकी चर्चा शुरु हो गई है। ताजा चर्चा शुरु होने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि अक्कु समेत चार पत्रकारों के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी हुआ है।
यह मामला पिछले साल अप्रैल महीने का है। पटना के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि 21 अप्रैल 2010 को किसी ने अक्कु को उनके मोबाइल नम्बर 9431015041 पर लगातार दो दिनों तक धमकी दी तथा धमकी भरे कई मैसेज भेजे। तब संपादक के आदेश पर हिंदुस्तान में कार्यरत तथा तत्कालीन सीनियर रिपोर्टर विनायक विजेता ने पटना की कोतवाली थाने में एफआईआर संख्या 117/10 में मामला दर्ज कराया था। कोतवाली पुलिस ने तत्परतापूर्वक कार्रवाई करते हुए इस मामले में सुरेश गोप नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जो पिछले डेढ़ वर्षों से जेल में है। अक्कु के अलावा जो तीन अन्य पत्रकार हैं उनमें हिंदुस्तान के चीफ रिपोर्टर कमलेश कुमार, विनायक विजेता व एक अन्य संवाददाता राकेशधारी का नाम शामिल है।
इस मामले का ट्रायल भी पिछले कई महीनो से शुरू है, लेकिन बार-बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद न तो अक्कु श्रीवास्तव अदालत पहुंचे, न विनायक विजेता और न कोई अन्य गवाह। उधर आरोपी की जमानत याचिका जब निचली अदालत ने खारिज कर दी तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने ट्रायल अदालत को इस मामले को जल्दी से निपटाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने पटना के एसएसपी को भी आदेश दिया है कि वह तमाम गवाहों को न्यायालय में पेश करे. इस आदेश के बाद निचली अदालत ने अक्कु श्रीवास्तव सहित अन्य तीन पत्रकारों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। इसके बाद से ही हिन्दुस्तान कार्यालय में सनसनी फैली हुई है।
दरअसल अक्षत की चर्चा शुरु होने के पीछे हिंदुस्तान, पटना कार्यालय का इतिहास और किस्से ज्यादा जिम्मेवार हैं। कभी वहां चीफ रिपोर्टर रहे प्रमोद कुमार और उनके बाद बने चीफ रिपोर्टर आशीष मिश्रा की कुर्सी पर भी ऐसे ही अक्षत पड़े मिले थे। दोनों को इसके कुछ ही दिनों बाद अपनी कुर्सी गंवानी पडी थी। यह वाक्या शाम के समय तब हुआ था जब अक्कु अपने एक सहयोगी के साथ किसी काम से ऑफिस के बाहर गए थे। जब वे वापस आए तो अपने चैंबर में देखा कि उनकी कुर्सी और टेबल पर चावल के दाने छींटे हुए थे। काफी देर तक अक्कु उस कुर्सी पर बैठे ही नहीं। इस संदर्भ में कार्यालय के चपरासी से लेकर तमाम लोगों से पूछताछ की गई पर किसी ने किसी को संपादक के चंबर की तरफ जाते नहीं देखा था।
बहरहाल, यह वारंट का मामला अक्कु श्रीवास्तव को कोई नुकसान पहुंचाए या नहीं, इतना जरूर है कि पटना के मीडिया सर्किल में इसके असली कारणों की चर्चा कई दिनों तक होती रहेगी।
ye kissa ascharya paida karta hai yadi akkuji jaise log bhi gawahi dene se darne lage to fir sach kaun likhega aur bolega,aur aam aadmi kisi apradhi ke khilaf witness kaise banega