-श्याम मीरा सिंह।।
प्रधानमंत्री के गुजरात से बेहद घृणित खबर आ रही है। टीवी9 गुजरात चैनल ने अपनी एक रिपोर्ट की है जिसमें मजदूरों को टिकट बेचने में दलाली खाई जा रही है। रिपोर्ट में एक्सपोज किया है कि कैसे रेलवे अधिकारियों और सूरत नगरनिगम के अधिकारियों ने टिकट में दलाली के लिए साठगांठ की है जिसमें बीजेपी के लोकल नेता दलाली खा रहे हैं। राजेश वर्मा नाम से बीजेपी का नेता है जो म्युनिसिपेलिटी के काउंसलर अमित राजपूत के साथ मिलकर टिकट बेच रहा है। ये एक पूरा रैकेट है जो टिकट बेचने का काम कर रहा है। गुजरात से झारखंड जाने वाली टिकटों को 2-2 हजार रुपए में बेचा जा रहा है जबकि इसकी सामान्य कीमत 1 हजार रुपए होती है।
मजदूरों के एक समूह से बीजेपी नेता राजेश वर्मा ने 1 लाख, 16 हजार रुपए ऐंठ लिए। जब एक प्रवासी मजदूर ने टिकटों के डबल पैसे लिए जाने का विरोध किया तो बीजेपी नेता ने मजदूर की इतनी पिटाई की कि सर ही फूट गया।
इकोनॉमिक टाइम्स में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि किस कदर ट्रैन टिकट हांसिल करने की पूरी प्रोसेज एक हेक्टिक प्रोसेज बन गई है। मजदूरों को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा, सोचिए अपढ़ मजदूर जो ईंट भट्ठों पर काम करते हैं, जो लेबर का काम करते हैं, मंडियों में काम करते हैं कैसे-कैसे रजिस्ट्रेशन करवा पा रहे होंगे? उसके बाद उन्हें मेडिकल करवाना होता है। मेडिकल करवाने में भी धांधली की खबर मीडिया में आ चुकी हैं। तब जाकर मजदूरों को ट्रेन की टिकट मिल पा रही है।
आप सोचिए महामारी के समय में क्या मजदूरों को घर पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं बनती? 45 दिन से अधिक हो गये, बिना कमाए कितना पैसा बचा होगा मजदूरों के पास? आप कल्पना भी नहीं कर सकते मजदूर क्या क्या बेचकर टिकट का इंतजाम कर पा रहे होंगे।
ये महामारी खत्म क्यों नहीं होती? ऊपर से सरकार के चमचों ने मजदूरों का खून पीना शुरू कर दिया है। ये बेहद घृणित खबर है। अब हाथ कांपते हैं लिखते हैं।
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