-चंद्र प्रकाश झा||
कोरोना वायरस के वैश्विक उत्पात के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम सम्बोधन की श्रृंखला में असत्य के प्रयोग की कलई लागतार खुलती जा रही है। अमेरिका में स्वतंत्र शोध संस्था, प्यू के सर्वे के हवाले से आज ही सुबह मिली खबर के मुताबिक़ दो -तिहाई अमेरिकियों का मानना है कि उनके देश में कोरोना के कहर के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की काहिली जिम्मेवार है ,जो इससे निपटने के तेज उपाय करने के बजाय संयुक्त राष्ट्र से सम्बद्ध विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से ही भिड़ गए और उसकी फंडिंग रोक देने तक की धमकी दे डाली। इसके बारेमें हम इस स्तम्भ के आगे के अंकों में विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत में अमेरिका की तरह अभी तक ऐसा कोई सर्वे नहीं हुआ है और शायद आगे भी संभव न हो सके। लेकिन अभिनव सिन्हा, गिरीश मालवीय , हिमांशु कुमार आदि अनेक सोशल मीडिया एक्टिविस्ट ने मोदी जी के असत्य की कलई विश्वसनीय रूप से खोल दी है। अभिनव सिन्हा ने इनकी बाकायदा बिंदुवार लिस्ट ही बना दी है। जिनके मुताबिक़ मोदी जी के असत्य निम्नवत हैं :
1.मोदी जी का यह दावा सफेद झूठ है कि भारत सरकार ने सही समय पर सही कदम उठा लिया। सत्य ये है कि भारत में कोरोना का पहला मामला इस वर्ष 30 जनवरी को सामने आया। तब सावधानी के नाम पर भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों में से कुछ ही पर उतरने वाले यात्रियों को बुखार होने या ना होने की जांच के लिए उनका सिर्फ टेम्परेचर मापने का काम शुरू किया था. उनकी स्क्रीनिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी।डब्ल्यूएचओ की स्पष्ट चेतावनियां के बावजूद मोदी सरकार ने कोरोना के संदिग्ध पीड़ितों के परीक्षण, पहचान एवं उपचार के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उसने इन चेतावनियों को धता बता कर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के भारत आगमन के उपलक्ष्य में गुजरात के अहमदाबाद में राजकीय तौर पर अभूतपूर्व स्वागत कार्यक्रम आयोजित कर एक स्टेडियम में हज़ारों लोगों की भीड़ जुटायी। फिर मोदी सरकार ने निरोधक तैयारियों का काम हाथ से निकल जाने पर जो किया वो और भी बेतुका साबित हुआ। मोदी जी ने 25 मार्च को रात आठ बजे राष्ट्र के नाम सम्बोधन में उसी आधी रात से बिना किसी तैयारी के तीन हफ्ते का लॉकडाउन घोषित कर दिया गया।
उसके नतीजे एक -एक कर सामने आ रहे हैं , जिनमें सबसे भयावह करोड़ों माइग्रेंट लेबर के तत्काल पैदल ही अपने गांव -घर निकल पड़ने का अब तक असम्पन्न सिलसिला शामिल है.
2.कोरोना केस विकासशील भारत के मुकाबले विकसित देशों में अधिक सामने आये हैं। मोदी जी का ये कहना कि भारत ने इस महामारी का मुकाबला उन देशों के मुकाबले बहुत अच्छी तरह से किया है बिल्कुल असत्य है। भारत में कोरोना के पीड़ितों का सही आकलन ही सम्भव नहीं है. क्योंकि प्रति दस लाख परीक्षण की दर , भारत में लगभग सभी देशों से कम है।हमें पता ही नहीं हैं कि कोरोना से संक्रमित आबादी वास्तव में कितनी है। हमें उनकी मौत से पता चलेगा कि वास्तव में संक्रमण का परिमाण क्या है। इसलिए प्रचारमंत्री ने जो आंकड़े बताये वे सभी असत्य हैं।
3.मोदी जी का ये कहना कि आर्थिक संकट , कोरोना के कारण पैदा हुआ और इससे बचना मुमकिन नहीं था सरासर गलत है.आर्थिक संकट भारतीय अर्थव्यवस्था में 2019 की तीसरी तिमाही से ही भयंकर रूप में प्रकट हो चुका था. देश में कोरोना का पहला केस सामने आने से पहले ही ऑटोमोबाइल सेक्टर और टेक्सटाइल सेक्टर में मन्दी उभर चुकी थी। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि कमतर हो रही थी। वैश्विक एजेंसियों ने भारत की वृद्धि दर का आकलन पहले से चार प्रतिशत से नीचे रहने की भविष्यवाणी कर दी थी। कोरोना महामारी से पहले ही मोदी राज में चार करोड़ नौकरियां जा चुकी थीं। तय है कि कोरोना संकट से आर्थिक संकट और गहरायेगा। लेकिन मोदी सरकार इस महामारी के बहाने आर्थिक तबाही की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है. ताकि बाद में मज़दूरों के ऊपर ”अनिवार्य कठोर कदम” उठाने के नाम पर उनसे 12 घण्टे काम करवाने का कानून संशोधन किया ताकि उनके हर प्रकार के श्रम अधिकार को ख़त्म किया जा सके।

4 . मोदी जी ने कहा कि ग़रीब मज़दूर उनके परिजन समान हैं और सरकार द्वारा उनकी तकलीफ कम करने का हर प्रयास किया जा रहा है। यह नितांत असत्य है.
सच्चाई यह है कि देश भर के गोदामों में 7 -8 माह लिए पर्याप्त खाद्यान्न है, पर्याप्त बुनियादी सामग्रियां हैं. लेकिन इनका सार्वभौमिक एवं सार्वजनिक वितरण करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
वित्तमन्त्री निर्मला सीतारमण ने कारपोरेट घरानों की आर्थिक हानि से निपटने के लिए सरकारी छूट बता दी हैं जिनसे साफ है कि उसे मज़दूरों को और ज्यादा निचोड़ने के लिए कानूनी छूट भी दी जायेगी। बेरोज़गारी और भूख से तड़प रहे मज़दूर इसके लिए मजबूर होंगे क्योंकि ठेका, दिहाड़ी और यहां तक कि स्थायी मज़दूरों की बड़ी आबादी बेरोज़गार हो चुकी है।
5. मोदी जी का दावा है कि सिर्फ लॉक डाउन को 3 मई तक जारी रखने से कोरोना महामारी से निपटा जा सकता है। डब्ल्यूएचओ पहले ही बता चुका है कि कोरोना संक्रमण भारत में अब जिस चरण में है उसमें महज़ लॉकडाउन पर्याप्त नहीं है. बल्कि बहुत ही बड़े पैमाने पर मास टेस्टिंग, क्वारंटाइनिंग और ट्रीटमेण्ट की आवश्यकता है। सरकार द्वारा इसके लिए ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं और जो भी उपाय किये गए वे बिलकुल अपर्याप्त हैं। सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ और डॉक्टर इस सच्चाई का लगातार इंगित कर रहे हैं.लेकिन मोदी सरकार उन्हें अनसुनी कर रही है।
6 . मोदी जी का तर्क है कि कोरोना की रोकथाम पूरी तरह से जनता की जिम्मेदारी है और इसलिए वह ” वफादार सिपाही की तरह लॉकडाउन के सारे नियमों का पालन करे, बुनियादी सेवाएं प्रदान कर रहे लोगों का सम्मान करे, बुजुर्गों का ध्यान रखे, ग़रीबों की मदद करे ”. लेकिन सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के अलावा ठोस तौर पर क्या करे इसके बारे में मोदी जी ने कोई बात नहीं कही। सबसे ज़रूरी तीन काम हैं: पहला, व्यापक पैमाने पर मास टेस्टिंग, क्वारंटाइनिंग एवं ट्रीटमेण्ट; दूसरा, ग़रीब मेहनतकश आबादी के लिए सभी बुनियादी वस्तुओं का सार्वभौमिक एवं सार्वजनिक वितरण और तीसरा, सभी स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण एवं टेस्टिंग किट्स मुहैया कराना, जिसके लिए स्वास्थ्यकर्मी शुरू से ही मांग कर रहे हैं। इस बारे में मोदी जी ने कुछ भी नहीं कहा।
7 .मोदी जी ने सीमित संसाधनों का रोना रोया जबकि एनपीआर-एनआरसी की गैर-जरूरी और जनविरोधी प्रक्रिया चलाने के लिए ये सीमित संसाधन सरकार के लिए कभी बाधा नहीं रहे। हाल ही में सांसदों के वेतनों और भत्तों में भारी बढ़ोत्तरी करने में सीमित संसाधन बाधा नहीं रही , पूंजीपतियों को हर साल लाखों करोड़ रुपयों की छूट देने और सारे गबनकारी पूंजीपतियों को छूट देने और चार्टर्ड विमानों से भगाने में सीमित संसाधन कभी बाधा नहीं रहे , कोरोना महामारी फैलने के बाद 102 चार्टर्ड विमानों से धनासेठों की औलादों को देश वापस लाने में सीमित संसाधन कभी बाधा नहीं रहे। लेकिन जब ग़रीब आबादी को इस संकट में खाना देने की बात आयी तो मोदी सरकार ने सीमित संसाधनों का रोना शुरू कर दिया। सरकार ने सभी अस्पतालों का कोरोना से निपटने के लिए राष्ट्रीकरण करने के सुझाव का सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिये विरोध किया है.
8 . मोदी जी ने गरीबों को अपना ”परिवार” बताया। लेकिन इन्हीं गरीबों के बीच अल्पसंख्यकों की भारी आबादी पर कोरोना संकट के नाम पर संघ परिवार के गुण्डे जो हमले कर रहे हैं, उसके बारे में मोदी जी ने एक शब्द नहीं कहा। साफ है कि फासीवादी गिरोह , कोरोना संकट को ग़रीब
मुसलमान आबादी को निशाना बनाने का एक और अवसर मान चुका है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ जनान्दोलन के नेतृत्व के लोगों की धरपकड़ अभी भी जारी है। गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुंबड़े जैसे जनवादी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों पर झूठे मामले दर्जकर उन्हें गिरफ्तार करना जारी है। साफ दिख रहा है कि फासीवादियों की प्रथामिकताएं क्या हैं और मोदी जी के नकली सरोकार की असलियत क्या है।
9 .मोदी जी ने लॉकडाउन के दौरान सभी गतिविधियों को बन्द करने की बात की लेकिन बुनियादी सेवाओं के अलावा और भी कई गतिविधियां जारी हैं। जैसे कि संसद सत्र न होने के बावजूद ऑर्डिनेंस के जरिये चार में से तीन प्रस्तावित मज़दूर-विरोधी लेबर कोड को लाने की तैयारी की जा चुकी है।
10. ताली – थाली बजाने और मोमबत्ती जलाने से पूरी दुनिया में मोदी जी की भद्द ही पिटी। मध्यवर्गीय लोग अपनी बालकनी से ”गो कोरोना गो कोरोना ” का भयंकर उत्सव देख घबरा गये. लेकिन ग़रीब आबादी में इस नौटंकी से मौजूदा व्यवस्था के प्रति नफ़रत और बढ़ गई। इसी वजह से मोदी जी ने अगली बार मज़दूरों और ग़रीबों की मदद की बात की और किसी नयी नौटंकी के लियेे अपने भक्तों का आह्वान नहीं किया।
गिरीश मालवीय के अनुसार मोदी जी कहते है कि ‘ जब हमारे यहां कोरोना का एक भी केस नहीं था, उससे पहले ही भारत ने कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।’ लेकिन इस स्क्रीनिंग की हकीकत कनिका कपूर के केस से स्पष्ट हो गया. 8 जनवरी से 23 मार्च तक करीब 15 लाख विदेशी यात्री भारत आए, जो केबिनेट सेकेट्री स्वीकार कर चुके हैं.उन्हें आने दिया गया . उसके बाद केंद्र सरकार राज्य सरकार को कहती हैं कि एक एक आदमी को ढूंढो ओर उसे क्वारंटाइन करो! मोदी जी का दावा है कि इंडिया में ‘ कोरोना के मरीज 100 तक पहुंचने के पहले ही भारत ने विदेश से आए हर यात्री के लिए 14 दिन का आइसोलेशन अनिवार्य कर दिया था।’ इसमे पेंच है.विदेशी यात्रियों को आइसोलेशन में रखने की एडवाजरी एक साथ जारी नही की गयी. भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अंतर्गत सबसे पहले 10 मार्च 2020 को निम्न 12 देशों के बारे में अधिसूचना जारी की गयी थी- चीन, हांगकांग, कोरिया, जापान, इटली, थाईलैंड, सिंगापुर, ईरान, मलेशिया, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी. दूसरी एडवाइजरी 11 मार्च को जारी की गई जो इटली, ईरान, कोरिया, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी से आए यात्रियों को क्वारंटाइन में रखने का था. तीसरी एडवाजरी 16/ मार्च 2020 को जारी हुई इसके अनुसार जो लोग क़तर,ओमान, कुवैत, UAE गए थे उनको होम क्वोरंटीन करना था. विदेशी हवाई यात्रा पर पहली रोक 18 मार्च 2020 को यूरोपियन यूनियन, टर्की, यू.के के नागरिकों के लिए लगाई गई और 22 मार्च 2020 से सभी अंतराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाई गयी।यह एडवाजरी वाली जानकारी मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग की प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी है इसलिए इस पर शंका
करने का कोई आधार नही है.
हम सब जानते हैं कि सत्य परास्त किया जा सकता है लेकिन उसे नष्ट नहीं किया जा सकता हैं। विडम्बना ये भी सत्य है कि इसे ट्रम्प जी और मोदी जी नहीं जानते और नहीं मानते। सच में ट्रम्प जी और मोदी जी भाई भाई लगते हैं !