-चन्द्र प्रकाश झा।।
कोरोना वायरस और उससे पैदा हालात को लेकर भारत समेत पूरी दुनिया में खबरों की बाढ़ सी आ गई है. हर खबरिया टी वी चैनल और अखबार आदि कोरोना की खबरों से भरे पड़े हैं. खेल तक के पन्नों में कोरोना ज्ञान घुस गया है। भारत में तो हालात ऐसे हो गए हैं कि पूछो मत. रवीश कुमार जैसे को छोड़ हर एंकर – एंकरनी ने खुद को खुदा मान सारी खुदाई को अधकचरा ज्ञान देने का चोखा धंधा शुरू कर दिया है. वे सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को खुद से ज्यादा ग्यानी -विज्ञानी मानते हैं. उनका उद्देश्य है कि लोग भी यही मानें कि ऐसी विकट परिस्थिति मे मोदी जी ही भारत के तारणहार है और यही भारत के विश्वगुरु बनने का अवसर है। मोदी जी बचाएंगे , तभी भारत बचेगा और भारत बचेगा तभी दुनिया बचेगी .
लिहाजा वे मोदी जी के ‘ अहम् ब्रम्हाश्मि ‘ के भाव में राष्ट्र को सम्बोधन में कही गई हर बात का भाष्य तैयार कर लोगों को परोस देते हैं। सत्य और तर्क की कोई जगह हो ही नहीं सकती उनके भाष्य में. मोदी जी के राष्ट्र के नाम सम्बोधन के अनुपालन में भारत में 22 मार्च को 14 घंटे का स्वेच्छिक ( कर्फ्यू ) रहा था. मोदी जी ने स्वेच्छिकलॉक डाउन के उपरान्त डॉक्टरों की सराहना के नाम पर ताली और थाली बजाने कहा। उत्तरआधुनिक चारण- भाट से परिपूर्ण टी वी चैनलों में इसे साबित करने की होड़ लग गई कि यही विज्ञान सम्मत है. यही देशभक्ति है। जो भी इसके खिलाफ बात करेगा वो देशद्रोही है। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन से लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार तक को अपने परिजनों के साथ ताली-थाली बजाते हुए दिखा कर मान लिया गया कि कोरोना , मोदी जी से डर कर भाग गया।
अतिउत्साही भक्तों ने हर्ष उल्लास के साथ उसी शाम इंदौर आदि जगहों की सडकों पर ‘ नागिन डांस ‘ तक किये आज तक किसी ने नहीं बताया कि उस नागिन डांस के बावजूद इंदौर में कोरोना का प्रकोप क्यों बढ़ गया? इंदौर को चीन का वुवान कहा जाने लगा है जहां से कोरोना के दुनिया में फैलने की बात कही जा रही है।
इस आलेख के साथ प्रकाशित सोशल मीडिया पर सक्रिय गोपाला वर्दराजन के कार्टून को गौर से देखिये तो इस आलेख का मकसद स्पष्ट हो जाएगा। कार्टून का कैप्शन तमिल में है। लेकिन इसे देख किसी की भी समझ में आ जाना चाहिए कि कोरोना पैनडेमिक से ज्यादा खरनाक अधकचरा कोरोना ‘ इन्फोडेमिक ‘ है।

कोरोना लॉक डाउन का औपचारिक पहला चरण 25 मार्च की आधी रात से 21 दिन के लिए अनिवार्य रूप से लागू किया गया.पहले चरण की अवधि ख़तम होने से पहले ही उसे तीन मई तक बढ़ा दिया गया. यह आम धारणा थी कि लॉक डाउन का पहला चरण अप्रैल माह के अंत के साथ ही ख़त्म हो जाएगा। लेकिन मोदी जी को सरप्राइज देने में मज़ा आता है। उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने पिछले सम्बोधन में जब इसे तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की तो एंकरों ने किसी एक स्रोत से प्राप्त ब्रीफ के आधार पर उसे विज्ञान और युक्ति सम्मत बताने के साथ कहा कि ये तो अवकाश के दिन हैं और इसलिए तीन दिनों की इस बढ़ोत्तरी से आम लोगों को कोई कष्ट नहीं होगा। इंडिया टीवी के मालिक एंकर रजत शर्मा ने तो यहां तक कहा कि उन्होंने 37 बरस के अपनी पत्रकारिता में मोदी जी जैसा दूरदर्शी नहीं देखा है .