-संजय कुमार सिंह।।
मुझे दैनिक जागरण में पहले पन्ने पर प्रकाशित इस खबर के शीर्षक से लेकर तथ्यों पर कुछ पूछना है। मैं प्रयोग किए गए शब्दों को उचित नहीं मानता हूं। हो सकता है यह मेरा पूर्वग्रह हो। स्वस्थ पत्रकारिता के हित में इसपर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। मैं तैयार हूं गंभीर चर्चा के लिए। जाति, धर्म, प्रांत, उम्र, वरिष्ठता मातृभाषा, लिंग, पेशा, अनुभव, शिक्षण समेत किसी भी भेदभाव के बिना हर कोई आमंत्रित है। शर्त सिर्फ यह है कि आप देवनागरी में झेलने लायक अशुद्ध (शुद्ध) हिन्दी लिख / टाइप कर सकते हों। अगर आप गंभीर हैं तो मुझे फेसबुक पर इन बॉक्स में मैसेज कीजिए मैं आपको टैग करूंगा और फिर कमेंट शुरू कीजिए।
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पेश है खबर की करतन और उसपर मेरे सवाल (कोष्ठक में हैं)
विदेश भागने की कोशिश में धरे गए 18 मलेशियाई (मलेशिया नागरिक अपने देश वापस जा रहे थे – तो भाग रहे थे लिखना सही है और विदेश क्यों, वो तो अपने देश जा रहे थे, लॉक डाउन के इस समय में क्या कोई ऐसी कोशिश करेगा, मुझे लगता है उन्हें कुछ गलत फहमी होगी और वे जाना समझ रहे होंगे, उसपर भी चर्चा कर सकते हैं)।
निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज में शामिल मलेशियाई नागरिकों के देश से भागने की कोशिश धरी रह गई। (मलेशिया के थे मलेशिया जाना चाह रहे थे यह सामान्य सी बात है पर इसे रहस्यमय बना दिया गया लगता है) रविवार को गोपनीय तरीके (क्या हवाई अड्डे से कोई विदेशी नागरिक गोपनीय तरीके से भाग सकता है, लॉक डाउन में शहर में निकलना भी मुश्किल रहा होगा) से देश से बाहर निकलने की फिराक में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे आठ मलेशियाई नागरिकों को पकड़ लिया गया। वहीं, चेन्नई में चार्टर्ड विमान से मलेशिया जा रहे 10 लोगों को उतार लिया गया। अन्य 157 यात्रियों को लेकर विमान मलेशिया रवाना हो गया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मरकज से जुड़े सभी विदेशियों की सूची बनाकर पहले ही लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी करा दिया है (क्या यह अब पकड़े गए 18 लोगों के लिए जारी किया या करा दिया गया है?)। बताते हैं (इसमें बताते हैं क्यों लिखा गया है, क्या यह शक है कि वे हवाई अड्डे पर ही थे, या बहुत पहले पहुंच गए होंगे) कि आठों विदेशी 12:45 बजे एयरपोर्ट पहुंचे तो इमिग्रेशन ने रोक लिया (यहां लिखा जाना चाहिए था कि किस आधार पर रोक लिया)।
स्वास्थ्य जांच के बाद इन्हें फिलहाल 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में भेज दिया गया है (शीर्षक में धरे गए हैं का क्या मतलब हुआ)। इनके खिलाफ फोरेन एक्ट व महामारी अधिनियम आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है (क्यों?)। पुलिस को आशंका (इसे कंफर्म करना क्या बहुत मुश्किल है? मेरे ख्याल से यह आरोप है और बिना पुष्टि के नहीं लगाया जाना चाहिए) है कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू से पहले अथवा 22 से 28 मार्च के बीच मरकज से निकलकर ये मलेशियाई नागरिक कहीं छिप गए थे (क्या उनके पास कोई और विकल्प था, यहां छिपने और फंसने का अंतर भी देखा जाना है, मुझे लगता है वे वापस नहीं जा सकने के कारण कहीं सामान्य तौर पर रहे रहे होंगे, पुलिस को सूचना देना जरूरी हो तो दिया या नहीं और नहीं था तो कहीं रहना छिपना नहीं हो सकता है)। मरकज से कोरोना संक्रमण के मामले ने तूल पकड़ा तो इन लोगों ने अपने देश के दूतावास से संपर्क कर निकाले जाने का अनुरोध किया था। रविवार को मलेशिया के विमान से इन लोगों को वापस जाना था, लेकिन लुकआउट सकरुलर नोटिस जारी होने के कारण इनकी कोशिश धरी रह गई (अब लग रहा है कि सारा मामला इस कारण है)।
उधर, चेन्नई में चार्टर्ड विमान से जा रहे दस मलेशियाई नागरिकों को उतार लिया गया। इन लोगों ने दिल्ली के तब्लीगी मरकज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था (क्या इनके खिलाफ लुक आउच नोटिस नहीं था, इन्हें किस आधार पर उतारा गया, यहां उतारा गया तो चेन्नई में क्यों नहीं रोका गया, क्या दोनों जगह दो तरह के कानून हैं?) । वहां से तमिलनाडु के टेंकासी जिले में गए थे। वहीं से चेन्नई आए थे। विमान में सवार सभी मलेशियाई तमिल थे जो 24 मार्च को लॉकडाउन के बाद तमिलनाडु की विभिन्न जगहों पर फंसे हुए थे (जब फंसे हुए थे तो दिल्ली में क्यों उतारा गया यह स्वाभाविक तौर पर बताया जाना चाहिए, छिपे हुए का तो समझ में आता है)। ज्ञात हो, कोरोना संकट के चलते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा बंद कर दी गई है, लेकिन प्रत्येक देश की सरकारें चार्टर्ड विमान भेजकर अपने लोगों को निकाल रही हैं (फिर मलेशिया के इन लोगों को क्यों नहीं जाने दिया गया)। पुलिस टीम पकड़े गए लोगों से पूछताछ करेगी।