-कुमार सौवीर।।
अब तो सरकार ही बताये कि उसने कोरोना-संक्रमण को रोकने के लिए जनता में जान-जागरूकता के लिए जनता-कर्फ्यू का आह्वान किया था, या जनता-कर्फ्यू के नाम पर सरकारी-उत्पीड़न की कार्रवाई।
मत भूलिए कि इस महामारी को रोकने के लिए सरकार ने पिछले तीन महीनों तक नागरिकों को सिर्फ रिंगटोन ही सुनाई थी, कोई ठोस प्रयास नहीं। और अब लाठियां बरसाई जा रही हैं नागरिकों को। सच बात तो यही है कि समय रहते सरकार चेत जाती, तो हालत इतनी बदतर नहीं होती।
सरकार ! कोरोना को लेकर नागरिक खुद बहुत संवेदनशील है। सरकारी या प्रशासनिक कोशिशों से लाख गुना बेहतर तरीके से। जानलेवा भय, आशंका,और सुरक्षा को लेकर आम आदमी खुद ही बेहाल है। शनिवार से ही लखनऊ खामोश होने लगा था। जो भी इक्का-दुक्का बाहर निकले भी, वे बहुत मजबूरी में ही। चाहे वह राशन हो, बच्चों के लिए दूध या फिर दवाओं के लिये व्याकुल थे।
ऐसी हालत में अपने नागरिकों को लाठियों से मत अपमानित कीजिये। अपनी लापरवाहियों पर शर्म व्यक्त कीजिये, नागरिकों के घावों पर मलहम लगाइए, और ठोस रणनीति बना कर लागू कीजिये।