-संजय कुमार सिंह।।
आप जानते हैं कि कोरोना की शुरुआत चीन से हुई। शुरू में हमारे यहां यह खबर चली कि 1981 में आई एक किताब में ही बता दिया दया गया था कि 2019 में ऐसा वायरस आएगा और उसका यह नाम होगा। इसे लोगों ने खूब चटखारे लेकर पढ़ा। बाद में पता चला (चटखारे लेने वालों को नहीं पता होगा) कि वह खबर गलत थी। ऐसी एक कहानी जरूर है पर वह चीन की नहीं है और नाम -वाम तो खैर फर्जी हैं ही। दूसरी ओर, भारत में यह बीमारी आ सकती है। इसका पता था। वैसे ही जैसे चीन के दूसरे हिस्सों को था। हांगकांग समेत चीन के कई हिस्सों में यह नहीं फैल पाया। एक खबर बताती है कि चीन की राजधानी में ट्रैफिक जैम शुरू हो गए हैं यानी स्थिति सामान्य हो रही है और भारत में हम इसे रोक तो नहीं ही पाए, आज जनता कर्फ्यू है।

दूसरी खबर बताती है कि पश्चिम बंगाल के बर्द्वान की एक महिला ने 31 दिसंबर को इंटरनेट पर जूतों के लिए ऑर्डर किया था। तब उन्हें ना कोरोना का पता था और ना यह पता था कि सामान चीन से चाइना पोस्ट के जरिए भेजा जाएगा। खबर बताती है कि लगभग तीन महीने बाद यह पार्सल बर्द्वान पहुंचा तो डाकघर में घबराहट फैल गई कोई उसे छून को तैयार नहीं था और डिलीवरी की तो बात ही दूर। महिला को डाकघर से अपना सामान लेने के लिए कहा गया। डाकघर में उसे अपमानित किया गया और फिर पुलिस को सूचना दी गई जो उसे परेशान कर रही है। महिला का कहना है कि अगर वायरस फैलने का डर था तो उसे पैकेट दिया ही नहीं जाता। देने के बाद पुलिस को बताने की क्या तुक?

जानकारों का कहना है कि तीन महीने में चीन से बर्द्वान पहुंचे पार्सल में वायरस होने की आशंका नहीं है पर अधिकारी तो अधिकारी हैं। डाक विभाग के हों या पुलिस के। दूसरी ओर, सरकार के काम से लगता ही नहीं है उसे इन सब चीजों का अंदाजा है। ऐसे में जो हो रहा है और होगा वह सब राम भरोसे ही माना जाए। फिर भी कुछ हो रहा है तो थाली और ताली बजाइए और ऐसे अधिकारियों को माफ कीजिए। अपने और अपने करीबियों के लिए दुआ कीजिए।