-विष्णु नागर।।
किसी भ्रम में न रहें कि नागरिकता संशोधन कानून( सी ए ए) के बाद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन आर सी) नहीं आएगा।यह बात गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में भी बड़े विश्वास से कही थी।राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में यह कहा था।फिर विवाद बढ़ता देख प्रधानमंत्री ने ठंडा पानी डालने के लिए बरगलाया था कि अभी इस पर विचार नहीं किया गया है। ध्यान रहे, उन्होंने भी यह कहा था कि अभी विचार नहीं किया गया है। आएगा नहीं,यह नहीं कहा था।दोनों बातों में बड़ा अंतर है। और विचार हो चुका है,यह गृहमंत्रालय के इस शपथपत्र से जाहिर है और इसकी अब एक तरह से औपचारिक घोषणा फिर से कर दी गई है।कल कोई प्रधानमंत्री को झूठा साबित नहीं कर पाएगा।वैसे भी सब जानते हैं कि गाँधीजी के बाद एक ही सत्यवादी हरिश्चंद्र पैदा हुए हैं और वह हैं हमारे माननीय प्रधानमंत्री।
मगर अब पर्दा पूरी तरह हट चुका है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए के विरुद्ध याचिकाओं पर गृह मंत्रालय के निदेशक बी सी जोशी ने जो शपथपत्र दाखिल किया है, उसमें साफतौर पर कहा है कि किसी भी सार्वभौमिक देश के लिए नागरिकों और अनागरिकों की पहचान के लिए एन आर सी जरूरी है।1955 के नागरिकता कानून में भी यह व्यवस्था है।सरकार ने विदेशी नागरिक कानून का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार के पास पूर्णतया तथा अबाधित अधिकार है कि वह विदेशियों को बाहर का रास्ता दिखाए।